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    Home»देश»कर्नाटक में सत्ता मिलते ही बदल गयी कांग्रेस
    देश

    कर्नाटक में सत्ता मिलते ही बदल गयी कांग्रेस

    adminBy adminMay 22, 2023No Comments3 Mins Read
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    -विधानसभा का किया शुद्धिकरण, गोमूत्र छिड़का, हनुमान चालीसा पढ़ी
    -भड़के मुसलमानों ने पूछा : पवित्र कुरआन शरीफ और बाइबिल क्यों नहीं पढ़ी गया
    आजाद सिपाही संवाददाता
    बेंगलुरु। कर्नाटक की सत्ता हासिल होते ही कांग्रेस की पूरी कार्यशैली बदल गयी है। सोमवार को उसके कार्यकर्ताओं ने कर्नाटक विधानसभा का शुद्धिकरण अनुष्ठान किया। सत्तारूढ़ दल के कार्यकर्ताओं के एक समूह को एक पुजारी के साथ विधानसभा के सामने गोमूत्र छिड़क कर सफाई करते हुए देखा गया। नयी विधानसभा के तीन दिवसीय सत्र की शुरूआत से पहले की जाने वाली रस्मों के तहत कांग्रेस कार्यकर्ता गोमूत्र छिड़क रहे थे। भाजपा पर भ्रष्टाचार से विधानसभा को प्रदूषित करने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस पार्टी ने सत्ता में आने के बाद विधानसभा को गोमूत्र से शुद्ध करने का वादा किया था। हालांकि कार्यक्रम में कांग्रेस का कोई मंत्री या विधायक शामिल नहीं हुआ। अनुष्ठान में शामिल कार्यकर्ताओं ने बाद में हनुमान चालीसा का पाठ भी किया। आयोजन में शामिल एक कांग्रेस नेता ने मीडिया को बताया कि विधानसभा को शुद्ध करने के लिए यह अनुष्ठान किया गया, जिसे भाजपा की ‘40 प्रतिशत’ सरकार ने प्रदूषित कर दिया था। उन्होंने कहा कि अनुष्ठान विधानसभा से भ्रष्ट भाजपा सरकार को धोने का प्रतीक है।
    भाजपा ने इसे ‘सस्ती हरकत’ करार दिया है। पार्टी के एक नेता ने कांग्रेस को पिछली सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच का आदेश देने की चुनौती दी। कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने जनवरी में कहा था कि वह सत्ता में आने के बाद विधानसभा को डेटॉल और गोमूत्र से शुद्ध करेंगे।

    अनुष्ठान से मुसलमान नाराज
    कांग्रेस कार्यकर्ताओं के इस आयोजन से मुसलमान खासे नाराज हो गये हैं। मुसलमानों की प्रतिनिधि संस्था ने एक बयान जारी कर कहा है कि विधानसभा का शुद्धिकरण कर कांग्रेस ने अपनी धर्मनिरपेक्ष छवि पर कुठाराघात किया है। उसकी इस हरकत से राज्य के धार्मिक अल्पसंख्यक निराश हैं। उन्होंने सवाल किया कि यदि कांग्रेस खुद को धर्मनिरपेक्ष कहती है, तो फिर किसी एक धर्म के अनुरूप अनुष्ठान करने के बदले सर्वधर्म समारोह क्यों नहीं कराया गया। हनुमान चालीसा के साथ पवित्र कुरआन शरीफ और बाइबिल क्यों नहीं पढ़ी गयी।

    स्पीकर पद पर बैठने को कोई तैयार नहीं
    कर्नाटक में सरकार बनाने के बाद कांग्रेस के सामने अब एक नयी समस्या आ गयी है। वह है स्पीकर का चुनाव। स्थिति यह है कि कोई विधायक स्पीकर बनने को राजी नहीं है। विधायकों का मानना है कि कर्नाटक में विधानसभा स्पीकर की कुर्सी मनहूस है और जो भी वहां बैठता है, चुनाव में उसकी हार हो जाती है। कर्नाटक विधानसभअ के इतिहास में 2004 के बाद से ऐसे उदाहरण मिले हैं, जब विधानसभा अध्यक्ष रहे नेता को हार का सामना करना पड़ा या उनका राजनीतिक कॅरियर ही समाप्त हो गया। ताजा उदाहरण विश्वेश्वर हेगड़े कागेरी का है। वह पिछली विधानसभा में स्पीकर थे, लेकिन इस बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा। आमतौर पर सबसे वरिष्ठ सदस्य को स्पीकर बनाया जाता है, लेकिन इस बार हर कोई इनकार कर रहा है। कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया अपने वरिष्ठ साथी जी परमेश्वर को स्पीकर की कुर्सी पर बैठाना चाहते थे, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया। अब कांग्रेस खेमे में चर्चा है कि बीआर पाटिल, वाइएन गोपालकृष्ण, टीबी जयचंद्र या एचके पाटिल में से किसी को यह जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है।

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