-कांग्रेस को मिले 138, भाजपा 65 पर सिमटी
-राहुल ने कहा पहली कैबिनेट में वादा करेंगे पूरा, नफरत की दुकानें बंद हुईं
आजाद सिपाही संवाददाता
नयी दिल्ली/बंगलुरू। कर्नाटक में कांग्रेस सरकार बनाएगी। विधानसभा चुनाव के नतीजों में पार्टी ने बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया। कांग्रेस को…. सीटें मिलीं हैं। वहीं, भाजपा को …… और जेडीएस को. .. सीटें मिलीं। सरकार बनाने के लिए 224 में 113 सीटों का जादुई आंकड़ा चाहिए। जिसे कांग्रेस ने पार कर लिया है। सुबह से ही रुझान कांग्रेस के पक्ष में रहा। दोपहर करीब 12 बजे 12 बजे कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार घर की बालकनी पर आये। कांग्रेस का झंडा फहराया और कार्यकतार्ओं के सामने हाथ जोड़े। उधर, एक बजे के आसपास भाजपा ने हार मान ली। मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई सामने आये और कहा कि नतीजों का एनालिसिस करेंगे। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि कर्नाटकमें नफरत की दुकानें बंद हुईं। पहली कैबिनेट में जनता से किया वादा पूरा करेंगे। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लगभग शाम 5. 00 बजे कांग्रेस को जीत की बधाई दी। समर्थन करने वालों का शुक्रिया किया।
कांग्रेस की जीत के कारण:
जानकारों का कहना है कि कांग्रेस की जीत और भाजपा की हार का कोई एक कारण नहीं है। हिमाचल प्रदेश के बाद चार महीने के भीतर भाजपा ने दूसरा राज्य गंवाया है। हार के कारण और परिस्थितियां भी कमोबेश एक जैसी रही हैं। कांग्रेस वर्तमान भाजपा सरकार के 40 फीसदी कमीशन की छवि को भुनाने में सफल रही। कांग्रेस ने जो पांच वादे किये वह भाजपा पर भाड़ी पर भारी पड़ा। कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में बजरंग दल और पीएफआई को बैन करने की घोषणा की। ये कांग्रेस की सोची हउई चाल थी। क्योंकि किसी भी संगठन को बैन करने का अधिकार केंद्र के पास होता है। सबसे अहम बात यह रही कि धुव्रीकरण की राजनीति भादपा की ताकत मानी जाती है, जिसे कांग्रेस तोड़ने में कामयाब रही।
वोक्कालिगा और अन्य जातियों ने दिया साथ:
जानकारों का कहना है कि भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व जातिगत रणनीति में पिछड़ गयी। लिंगायत वोट बैंक बिखरा। इसकी वजह येदियुरप्पा की अचानक विदाई भी रही। वहीं कांग्रेस ने अच्छी रणनीति तैयार की। कांग्रेस जानती थी कि राज्य के त्रिकोणीय मुकाबले में ज्यादातर इलाकों में उसके और भाजपा के बीच टक्कर है, सिवाय ओल्ड मैसूर क्षेत्र छोड़कर। ओल्ड मैसूर में भाजपा पारंपरिक रूप से कमजोर है। यहां कांग्रेस और जेडीएस के बीच मुकाबला रहता है। कांग्रेस यह जानती थी कि जेडीएस को जितनी अधिक सीटें मिलेंगी, वह सत्ता से उतनी ही दूर होती जाएगी। इसे ध्यान में रखते हुए कांग्रेस ने दो स्तर की रणनीति पर काम किया। भाजपा के खिलाफ मुकाबले के लिए उसने जातीय समीकरण और पांच वादे जैसे स्कीमों को हथियार बनाया। जेडीएस एस को नुकसान पहुंचाने के लिए उसने राज्य के 13 फीसदी मुस्लिम मतदाताओं को अपने पक्ष में पोलराइज़्ड करने की रणनीति पर काम किया। कांग्रेस को 80 प्रतिशत मुस्लिम वोट मिले। वोक्कालिगा और अन्य जातियों का समर्थन भी कांग्रेस को मिला। नतीजतन कांग्रेस अपने बूते पर सरकार बनाने के आंकड़े तक पहुंच गयी।
भारत जोड़ो यात्रा का हुआ असर:
राहुल गांधी की बारत जोड़ो यात्रा के बाद पहले राज्य का चुनाव हुआ। इस यात्रा के असर को नकारा नहीं जा सकता है। राहुल की भारत जोड़ो यात्रा कर्नाटक में 21 दिन चली और 7 जिलों से गुजरी। इन जिलों में 48 विधानसभा सीटें हैं। इनमें से 32 सीटें कांग्रेस ने जीत ली है। ये 2018 से दो गुने से भी अधिक है। 2018 के विधानसभा चुनाव में यहां कांग्रेस 15 सीटें जीत पायी थी।
परिणाम एक नजर में
कुल सीट-224 बहुमत: 113
कांग्रेस-136
भाजपा-65
जेडीएस-19
अन्य-4
कर्नाटक ने दिखा दिया कि देश को मोहब्बत पसंद है: राहुल
कांग्रेस नेता राहुल गांधी दिल्ली में मीडिया के सामने आये। मीडिया से 6 बार नमस्ते कहा। फिर बोले, सबसे पहले मैं कर्नाटक की जनता को, कांग्रेस के कार्यकतार्ओं को, सब नेताओं को और उनके काम को बधाई देता हूं। हमने नफरत से लड़ाई नहीं लड़ी। कर्नाटक ने दिखा दिया कि देश को मोहब्बत पसंद है। राहुल ने कहा कि कर्नाटक के चुनाव में एक तरफ सरकार के करीबी पूंजीपतियों की ताकत थी, तो दूसरी तरफ गरीब जनता की शक्ति थी। इस चुनाव में शक्ति ने ताकत को हरा दिया। यही हर राज्य में होगा। कांग्रेस कर्नाटक में गरीबों के साथ खड़ी हुई। हम उनके मुद्दों पर लड़े। हमने नफरत और गलत शब्दों से ये लड़ाई नहीं लड़ी। हमने मोहब्बत से ये लड़ाई लड़ी। कर्नाटक ने दिखाया कि इस देश को मोहब्बत अच्छी लगती है। राहुल ने कहा कि कर्नाटक में नफरत का बाजार बंद हुआ है, मोहब्बत की दुकानें खुली हैं। ये सबकी जीत है। सबसे पहले यह कर्नाटक की जनता की जीत है। हमने चुनाव में कर्नाटक की जनता से 5 वादे किये थे। हम इन वादों को पहली कैबिनेट मीटिंग में पूरा करेंगे।