विशेष
-कर्नाटक के बाद मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी होने लगा विरोध
-गले में जहरीला सांप अभी लटका ही पड़ा है और अब बजरंग दल का मुद्दा गरमा गया
-विधानसभा तो छोड़िये, अब लोकसभा चुनाव में भी इसका दिख सकता है असर

कर्नाटक में 10 मई को होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस ने अपना घोषणापत्र जारी किया। इसमें कांग्रेस ने विश्व हिंदू परिषद की युवा शाखा बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने का वादा किया है। अब यह वादा कांग्रेस के लिए कितना फायदेमंद होगा यह वह ही जाने, लेकिन कोई भी सुलझा हुआ राजनीतिक व्यक्ति यही कहेगा कि यहां कांग्रेस ने चूक कर दी। इसका कितना रिएक्शन होगा यह एक राज्य के चुनाव को छोड़ दीजिये, लेकिन लोकसभा चुनाव में तो इसका खामियाजा कांग्रेस को भुगतना पड़ सकता है। खैर कांग्रेस के इस ऐलान से भाजपा को चिक्कमंगलुरु, हुबली-धारवाड़ क्षेत्र और आसपास के तटीय इलाकों में हिंदू समर्थक वोटरों को लुभाने का मौका मिल गया है। यह सब ऐसे समय में हो रहा है, जब कर्नाटक चुनाव के प्रचार में भाजपा ने प्रतिबंधित इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ्रंट आॅफ इंडिया (पीएफआइ) को तरजीह देने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस पर लगातार हमला बोला है। हाल ही में कर्नाटक की भाजपा सरकार ने राज्य में चार प्रतिशत मुस्लिम आरक्षण को रद्द कर दिया। कांग्रेस का कहना है कि सत्ता में वापसी पर वह यह आरक्षण फिर से बहाल कर देगी। कांग्रेस के इस कथन का भी भाजपा को लाभ होता दिख रहा है। कर्नाटक में हिंदुत्व वोट बैंक का प्रभाव 20-25 सीटों तक फैला हुआ है। हालांकि भाजपा इन सीटों पर अच्छी स्थिति में दिख रही है, लेकिन जगदीश शेट्टार जैसे वरिष्ठ नेताओं के दल बदलने और मौजूदा विधायकों के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर, हिंदुत्व से इतर अन्य मुद्दों के समर्थकों ने भाजपा की टेंशन बढ़ायी है। यही वजह है कि भाजपा धर्म, संस्कृति और विरासत के मुद्दों पर अधिक जोर लगा रही है। विभिन्न सर्वेक्षणों में कांग्रेस को आगे दिखाया जा रहा था, लेकिन बजरंग दल के मुद्दे पर पार्टी को अब नुकसान होने की संभावना जतायी जाने लगी है। इसलिए पार्टी के एक बड़े वर्ग ने कहा भी है कि अभी पार्टी के गले में ‘जहरीला सांप’ लटका ही हुआ है और अब ‘बजरंग बली’ को छेड़ने की कीमत उसे चुकानी होगी। इस पूरे प्रकरण का विश्लेषण कर रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।

अगले सप्ताह होनेवाले कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के घोषणापत्र में विश्व हिंदू परिषद की युवा इकाई बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने का वादा किया गया है। कांग्रेस के घोषणा पत्र में कहा गया है कि वैसे सभी संगठनों, जो जाति और धर्म के आधार पर समुदायों में नफरत और दुश्मनी फैलाते हैं, को प्रतिबंधित किया जायेगा। कांग्रेस के इस वादे से सियासत गरमा गयी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसे लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा है। कर्नाटक में भाजपा के लिए चुनाव प्रचार कर रहे असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा ने भी कांग्रेस के इस वादे को मुस्लिम मतदाताओं का तुष्टिकरण करने की कोशिश बताया है। भाजपा ने जिस ढंग से इस मुद्दे को उछाला है, उससे कांग्रेस पूरी तरह रक्षात्मक मुद्रा में आ गयी है। विभिन्न सर्वेक्षणों में मजबूत दिख रही कांग्रेस इस एक मुद्दे से पिछड़ती हुई दिखने लगी है। कांग्रेस नेताओं का मानना है कि पार्टी को अभी इस तरह के मुद्दे को छूने की जरूरत नहीं थी, क्योंकि पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने मोदी को ‘जहरीला सांप’ कह कर पहले ही कांग्रेस को बैकफुट पर धकेल दिया था।

भगवान राम को ताले में बंद रखा और अब बजरंग बली को कैद करना चाहते हैं: पीएम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और तमाम दूसरे बड़े नेताओं ने कांग्रेस को इस मुद्दे पर घेरना शुरू कर दिया है। पीएम मोदी ने विजयनगर में एक रैली में कहा कि कांग्रेस ने भगवान राम को ताले में बंद रखा और अब बजरंग बली को कैद करना चाहते हैं। पीएम मोदी ने कहा, ‘दुर्भाग्य देखिए, मैं आज जब यहां हनुमान जी को नमन करने आया हूं उसी समय कांग्रेस पार्टी ने अपने मेनिफेस्टो में बजरंगबली को ताले में बंद करने का निर्णय लिया है। पहले श्री राम को ताले में बंद किया और अब जय बजरंगबली बोलने वालों को ताले में बंद करने का संकल्प लिया है।

जिन्ना भी ऐसा मेनिफेस्टो नहीं जारी करते: हिमंत बिस्वा सरमा
असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने कांग्रेस पर बड़ा हमला बोलते हुए उनके घोषणा पत्र को मुस्लिम घोषणा पत्र बता डाला। हिमंत सरमा ने कहा, ‘मुसलमान घोषणा पत्र है और जिन्ना भी ऐसा मेनिफेस्टो नहीं जारी करते। हिमंत ने बेंगलुरु में कहा, ‘पीएफआइ पर पहले से ही बैन लग चुका है। इसलिए वो (कांग्रेस) कह रहे हैं कि हमारी सरकार आयी तो बजरंग दल पर बैन लगा देंगे। इसका मतलब है कि बीजेपी ने पीएफआइ बैन किया तो तुष्टिकरण की राजनीति के लिए वो बजंरग दल पर बैन लगायेंगे। इसलिए मैंने कहा कि यह मुस्लिम एजेंडा है। जो पीएफआइ नहीं कह सकती, वह कांग्रेस कह रही है।

मैं बजरंगी हूं: तेजस्वी सूर्या
मंगलवार को हनुमान का दिन कहा जाता है और कर्नाटक को भगवान हनुमान की धरती। ऐसे में बजरंग दल को बैन करने के मुद्दे पर कांग्रेस को काउंटर करने के लिए बीजेपी ने सोशल मीडिया पर भी अभियान चलाया है। बीजेपी सांसद तेजस्वी सूर्या ने ट्वीट किया, ‘मैं बजरंगी हूं। मैं कन्नडिगा हूं और यह हनुमान की धरती है। मैं कांग्रेस को मुझ पर बैन लगाने की चुनौती देता हूं।

बजरंग दल ने किया विरोध
कांग्रेस के बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने के वादे पर बजरंग दल ने विरोध शुरू कर दिया है। इसी विरोध के तहत बजरंग दल ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में विरोध-प्रदर्शन किया है। साथ ही कर्नाटक में भी जगह-जगह कांग्रेस के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन हो रहा है। इस दौरान हनुमान चालीसा का पाठ भी बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने किया। बजरंग दल के राष्ट्रीय संयोजक नीरज दोनेरिया ने कहा है कि कांग्रेस ने जो घोषणा पत्र जारी किया, उसमें बजरंग दल और पीएफआइ को एक साथ दिखाया गया है। यह बेहद शर्मनाक है कि वह देश और समाज के भले के लिए काम करने वाले संगठन की, आतंकी घटनाओं को प्रोत्साहित करने वाले संगठन से तुलना कर रही है। बजरंग दल नेता ने कहा कि वह मुस्लिम वोट पाने के लिए हम पर प्रतिबंध लगा रहे हैं। उन्होंने हमेशा धर्म के नाम पर समाज को बांटा है। बजरंग दल पर बैन लगाने के कांग्रेस के वादे पर प्रधानमंत्री मोदी ने तीखा हमला बोला। प्रधानमंत्री ने एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि पहले कांग्रेस ने भगवान राम को ताले में बंद किया और अब वह ‘जय बजरंग बली’ बोलने वालों को ताले में बंद करना चाहती है।

विहिप की यात्रा को सुरक्षा देने के लिए हुआ था बजरंग दल का गठन
अक्टूबर 1984 की बात है। विश्व हिंदू परिषद की पहली धर्म संसद में मंदिर आंदोलन की शुरूआत हुई। इसके साथ ही राम जानकी रथयात्रा के नाम से नियमित रूप से शोभा यात्रा निकालने की शुरूआत हुई। इसका मकसद था कि लोगों को हिंदुत्व के बारे में अधिक से अधिक बताया जाये। कुछ समय में ही इससे युवा और साधु-संत जुड़ते गये। इस यात्रा के खिलाफ कुछ लोगों ने बयान देने शुरू कर दिये। कई धमकियां भी दी गयीं। तब विश्व हिंदू परिषद ने यूपी सरकार से यात्रा के दौरान सुरक्षा व्यवस्था के इंतजाम करने का अनुरोध किया। यूपी में तब कांग्रेस की सरकार थी। मुख्यमंत्री थे नारायण दत्त तिवारी। एक तरफ विश्व हिंदू परिषद की इस यात्रा को लेकर धमकियां मिल रहीं थीं, तो दूसरी ओर यूपी सरकार ने सुरक्षा देने से साफ इनकार कर दिया। तब कुछ युवाओं ने अपनी ओर इस यात्रा को सुरक्षा प्रदान करने का ऐलान कर दिया।

ऐसे पड़ा बजरंग दल नाम
विनय कटियार उन दिनों हिंदूवादी युवा नेताओं में से एक थे। एक अक्टूबर 1984 को बड़ी संख्या में युवा जुटे और इस दल की स्थापना हुई। विनय कटियार ने कहा कि प्रभु श्रीराम की सेवा के लिए हमेशा बजरंग बली आगे रहे हैं और इस बार भी प्रभु श्रीराम और माता जानकी की यात्रा की सुरक्षा बजरंग बली के भक्त ही करेंगे। इसी के साथ इस संगठन का नाम बजरंग दल रख दिया गया।

बजरंग दल को सौंपी गयीं ये जिम्मेदारियां
युवा जोश और उत्साह को देखते हुए विश्व हिंदू परिषद ने बजरंग दल को कई बड़ी जिम्मेदारियां सौंपीं। इनमें धार्मिक स्थलों का नवीनीकरण, धार्मिक स्थलों को अवैध कब्जे से मुक्त कराने के लिए आंदोलन और संघर्ष करना, गौ संरक्षण, सामाजिक कुरीतियों, जैसे दहेज प्रथा, अस्पृश्यता, जातिगत भेदभाव जैसी सामाजिक कुरीतियों और फिल्मों, विज्ञापन के जरिये फैलायी जाने वाली अश्लीलता का विरोध करना, अवैध घुसपैठ का विरोध करना, धर्म परिवर्तन को रोकने जैसा काम शामिल है। इसके अलावा सनातम धर्म को लेकर युवाओं को जागरूक करने का भी काम बजरंग दल के कार्यकर्ता करते हैं। युवाओं को शारीरिक तौर पर मजबूत बनाने के लिए खेल प्रतियोगिताओं और अखाड़े का भी आयोजन बजरंग दल की तरफ से किया जाता है।

कारसेवा में बड़ी संख्या में बजरंग दल के कार्यकर्ता शामिल हुए
बात है 1992 की। अयोध्या में बाबरी मस्जिद के विध्वंस में भी बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। इसके बाद तत्कालीन नरसिंह राव सरकार ने बजरंग दल पर प्रतिबंध लगा दिया था। हालांकि एक साल बाद ही प्रतिबंध हटा दिया गया। पिछले साल बजरंग दल ने देशभर के युवाओं को बजरंग दल से जोड़ने की मुहिम शुरू की। संगठन की ओर से 50 लाख युवाओं को इससे जोड़ने का लक्ष्य रखा गया। बजरंग दल का दावा है कि उसके संगठन के साथ देशभर के 13 लाख से ज्यादा युवा उससे जुड़े हुए हैं। दल की तरफ से युवाओं के लिए नियमित रूप से कार्यक्रम आयोजित किया जाता रहा है।

कांग्रेस अब रक्षात्मक मुद्रा में
कांग्रेस के कारण पूरे देश में चर्चा के केंद्र में आये बजरंग दल के मुद्दे पर कहा जाने लगा है कि अब पूरे कर्नाटक चुनाव का फोकस बजरंग बली पर ही रहेगा। इतना ही नहीं, इस साल के अंत में मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में होने वाले विधानसभा चुनावों में भी इस मुद्दे को भाजपा पूरी ताकत से उठायेगी। इसलिए कर्नाटक में अब तक हमलावर रही कांग्रेस अचानक रक्षात्मक मुद्रा में दिखने लगी है। कर्नाटक में हिंदुत्व का मुद्दा 25 से 30 सीटों पर असर डाल सकता है और यह मुद्दा भाजपा के लिए निश्चित रूप से संजीवनी का काम करने लगा है। अब तक कर्नाटक में पिछड़ती दिख रही भाजपा अचानक हमलावर हो गयी है। उधर कांग्रेस ने भी प्रधानमंत्री और बीजेपी पर पलटवार किया। कांग्रेस ने कहा कि प्रधानमंत्री ने बजरंग दल की तुलना बजरंग बली से करके भगवान हनुमान के भक्तों की आस्था का अपमान किया है। पार्टी के मीडिया और प्रचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने यह भी कहा कि ‘हनुमान जी के करोड़ों भक्तों की आस्था का अपमान करने’ के लिए प्रधानमंत्री को माफी मांगनी चाहिए।

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