विशेष
फिर भी कल्पना सोरेन का साथ मिलने से विनोद सिंह दे रहे हैं अच्छी टक्कर
अन्नपूर्णा देवी के सामने पिछड़ा रिकार्ड कायम करने की बड़ी चुनौती
जेपी वर्मा के निर्दलीय खड़ा होने से भाजपा और माले, दोनों को नुकसान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झारखंड की अपनी तीसरी यात्रा में कोडरमा संसदीय क्षेत्र का माहौल बदल दिया। पीएम की सभा वैसे तो गिरिडीह जिले के बिरनी में थी, लेकिन यह क्षेत्र कोडरमा संसदीय क्षेत्र में आता है। इसलिए इस सभा का सीधा असर कोडरमा पर पड़ा है, हालांकि पड़ोस के गिरिडीह संसदीय क्षेत्र पर भी इसका असर दिखाई देने लगा है। पीएम मोदी की यात्रा के बाद कोडरमा संसदीय क्षेत्र में बदलाव की बयार साफ महसूस की जा सकती है। यहां के वोटरों का मूड जानने के लिए आजाद सिपाही टीम ने बिरनी से कोडरमा तक की यात्रा की। इस दौरान साफ तौर पर महसूस हुआ कि पीएम की सभा के बाद लोगों का नजरिया बदल गया है। भाजपा की प्रत्याशी अन्नपूर्णा देवी के प्रति जो माहौल दो दिन पहले तक था, उसमें एक सकारात्मक बदलाव आया है। इस बात में कोई संदेह नहीं है कि कोडरमा में भाजपा का दबदबा है और उस दबदबे को विनोद सिंह चुनौती देने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं। वह दमदार तरीके से फाइट दे रहे हैं और उनकी मेहनत का ही असर है कि भाजपा प्रत्याशी के लिए निश्चिंत होने लायक माहौल अब तक नहीं बना है। इंडी गठबंधन की तरफ से भाकपा माले प्रत्याशी विनोद कुमार सिंह का ग्रास रूट चुनाव प्रचार ग्रामीण क्षेत्रों के बाद अब शहरी इलाकों में दाखिल होने लगा है। कल्पना सोरेन के विनोद सिंह के पक्ष में पूरी तरह से उतर जाने के बाद निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे जेपी वर्मा की जमीन कमजोर हुई है। वैसे जेपी वर्मा जो भी वोट लायेंगे, उससे भाजपा और माले प्रत्याशी दोनों को नुकसान होगा। प्रधानमंत्री मोदी की सभा का कोडरमा के साथ-साथ पड़ोस के गिरिडीह संसदीय क्षेत्र पर क्या असर पड़ा है और इसका कितना लाभ एनडीए को मिलेगा, बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार 14 मई को कोडरमा संसदीय क्षेत्र के बिरनी के पेसम में एक विशाल जनसभा को संबोधित किया। इस जनसभा में कितने लोग शामिल हुए थे, इस सवाल का जवाब बिरनी के राजेंद्र साहू देते हुए कहते हैं कि ऐसा लगा था कि यह कुंभ मेला है। हम तो सभास्थल पर एकत्र भीड़ का अंतिम छोर नहीं देख सके। उनके पास ही खड़े थे बगोदर के नरेश सिंह, जो विशेष रूप से पीएम की सभा में आये थे और रात होने की वजह से बिरनी में ही रुक गये थे। नरेश सिंह ने कहा कि मोदी की बात सुनने के बाद अब कोई ‘इफ-बट’ नहीं रह गया है। कोडरमा ने कमल फुल खिलाने का फैसला कर लिया है।

कोडरमा संसदीय क्षेत्र का बरकट्ठा हो या फिर बगोदर, पीएम की सभा के बाद लोगों की बातचीत का विषय बदल चुका है। इस इलाके के गांवों से बहुत सारे लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भाषण सुनने गये थे। सभा से लौटने के बाद यहां के लोगों में अब एक बदलाव नजर आने लगा है। ये लोग अब भ्रष्टाचार और आदिवासी हितों की बात करने लगे हैं। हालांकि वोट किसे देते हैं या देंगे, इस सवाल पर लोग चुप्पी साध लेते हैं, लेकिन तीन दिन पहले तक जहां लोग वोट के प्रति नकारात्मक नजरिया रख रहे थे, वहीं अब वे वोट डालने के लिए उत्सुक नजर आने लगे हैं। वे मानते हैं कि उनके रुख में यह बदलाव पीएम मोदी को सामने से देखने और उनकी बातें सुनने के बाद आया है। लोग झारखंड के पिछड़ेपन पर चिंता जताते हैं और कहते हैं कि देश के साथ-साथ राज्य का विकास भी बेहद जरूरी है।

कोडरमा संसदीय क्षेत्र में पीएम मोदी की यात्रा का सीधा असर अब जमीन पर भी दिखने लगा है। बिरनी की सभा में कही गयी उनकी बातों की गूंज जरूर सुनाई देती है। कोडरमा से गिरिडीह जानेवाले रास्ते पर पहले भाकपा माले के साथ-साथ झामुमो और कांग्रेस के समर्थकों से मुलाकात होती थी, अब लगता है स्थिति बदल गयी है। लोग अब अन्नपूर्णा देवी को लेकर सकारात्मक बातें करने लगे हैं।
कोडरमा लोकसभा सीट से केंद्रीय शिक्षा राज्यमंत्री अन्नपूर्णा देवी लगातार दूसरी बार भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं। उनके मुकाबले इंडिया गठबंधन ने बगोदर के माले विधायक विनोद सिंह को चुनावी मैदान में उतारा है। इस सीट पर बागी झामुमो नेता और पूर्व विधायक जयप्रकाश वर्मा के नामांकन ने चुनावी मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है। जयप्रकाश वर्मा के मैदान में उतरने से कुछ घाटा अन्नपूर्णा देवी को, तो कुछ विनोद सिंह को भी होगा।

पीएम की सभा के बाद अचानक बदला माहौल
दरअसल, दो दिन पहले तक कोडरमा का चुनावी माहौल भाजपा की तरफ झुका हुआ नहीं दिख रहा था। झुमरी तिलैया से लेकर कोडरमा बाजार तक, जो अन्नपूर्णा देवी के प्रभाव वाला इलाका माना जाता है, लोगों में चुनाव और मतदान के प्रति कोई उत्सुकता नहीं थी। लेकिन मोदी की यात्रा के बाद अब लोग चुनाव परिणाम की बात करने लगे हैं।

भाजपा का गढ़ रहा है कोडरमा
1977 में अस्तित्व में आयी कोडरमा लोकसभा सीट पर अब तक 16 बार लोकसभा चुनाव हुए हैं। इनमें से सिर्फ तीन बार कांग्रेस को जीत मिली, जबकि सबसे ज्यादा आठ बार भाजपा ने बाजी मारी। भाजपा के टिकट पर रीतलाल वर्मा पांच बार सांसद रहे। वह 1999 का चुनाव हार गये। 2004 में भाजपा के टिकट पर बाबूलाल मरांडी मैदान में उतरे। उस समय सत्ता विरोधी लहर के बावजूद पूरे झारखंड में भाजपा एकमात्र यही सीट बचा सकी थी। 2009 में बाबूलाल मरांडी भाजपा से अलग होकर जेवीएम के टिकट पर चुनाव लड़े और कोडरमा से दूसरी बार जीते। 2014 के मोदी लहर में भाजपा उम्मीदवार रवींद्र राय कोडरमा से सांसद चुने गये।
बिहार के पूर्व मंत्री रमेश यादव की मौत के बाद उनकी पत्नी अन्नपूर्णा देवी ने 1998 में राजनीति में एंट्री ली। उस समय कोडरमा में हुए उपचुनाव में जीत कर वह पहली बार राजद की विधायक बनीं। अन्नपूर्णा देवी भाजपा के टिकट पर 2019 का लोकसभा चुनाव जीत गयीं।

कोडरमा का सियासी गणित
कोडरमा लोकसभा में छह विधानसभा सीटें हैं। इसमें से तीन कोडरमा, धनवार और जमुआ भाजपा के खाते में है। बगोदर में माले और बरकट्ठा सीट पर निर्दलीय विधायक अमित कुमार का कब्जा है, जबकि गांडेय में उपचुनाव होने जा रहा है। अमित कुमार भले ही निर्दलीय विधायक हैं, लेकिन वह पूरी तरह से भाजपा का समर्थन कर रहे हैं। जानकी यादव के झामुमो में जाने के बाद अमित कुमार के सामने दूसरा रास्ता भी नहीं है। यादव, मुस्लिम और पिछड़ा बहुल कोडरमा में भाजपा ओबीसी, वैश्य और अगड़ी जातियों के समर्थन से कांग्रेस-राजद और लेफ्ट के एमवाइ समीकरण पर हमेशा भारी रही है। 2019 में भाजपा के टिकट पर पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ीं अन्नपूर्णा देवी को उस समय यादव वोटर के ध्रुवीकरण का फायदा मिला था। तब भाजपा को रिकॉर्ड मतों से जीत मिली थी। पिछले चुनाव में अन्नपूर्णा देवी के हाथों मात खाने वाले बाबूलाल मरांडी इस चुनाव में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष हैं। ऐसे में कोडरमा के मैदान में भाजपा को टक्कर देना आसान नहीं है।

कोडरमा का सामाजिक ताना-बाना
कोडरमा लोकसभा सीट की कुल आबादी की बात करें, तो यह 28 लाख 27 हजार 701 है। यहां की लगभग 93.52 फीसदी आबादी गावों में रहती है, वहीं 6.48 फीसदी आबादी शहर में रहती है। जातीय समीकरण की बात करें, तो यहां पर एससी समुदाय की आबादी 14.05 प्रतिशत है और एसटी समुदाय की आबादी 5.96 प्रतिशत है।

बिहार और झारखंड की सीमा पर कोडरमा होते हुए ही झारखंड में प्रवेश मिलता है। इसलिए कोडरमा को ‘गेटवे आॅफ झारखंड’ भी कहा जाता है। कुछ महीने पहले राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा कोडरमा के रास्ते ही झारखंड में दाखिल हुई थी। तब कांग्रेस समर्थकों का सैलाब उमड़ पड़ा था। ऐसे में विपक्षी गठबंधन को कड़ी टक्कर की उम्मीद थी, लेकिन अब यह साफ है कि प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा ने भाजपा के पक्ष में सकारात्मक माहौल बना दिया है। लोग कहते हैं कि अन्नपूर्णा देवी ने अपनी पूरी क्षमता से काम तो किया, हालांकि जितना विकास होना चाहिए था, नहीं हुआ, तो इसके लिए राज्य सरकार भी बराबर की जिम्मेवार है। लेकिन भाजपा के लोग स्वीकार करते हैं कि तमाम अनुकूल परिस्थितियों के बावजूद इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि अन्नपूर्णा देवी के सामने भाकपा माले के विनोद कुमार सिंह कड़ी चुनौती पेश कर रहे हैं।

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