ड्रावर से दो लाख रुपये बरामद
प्रोजेक्ट भवन के ग्रामीण विकास विभाग में इडी का छापा
मंत्री के पीएस संजीव लाल भी साथ, कपिल राज भी पहुंचे थे
छह दिनों तक होगी पूछताछ, कमीशन किसको-किसको मिलता था इस फोकस
रांची। राज्य बनने के बाद पहली बार कोई जांच एजेंसी सरकार के एक बड़े मंत्रालय में जांच के लिए पहुंची। दिन के करीब 12.30 बजे प्रोजेक्ट भवन में उस समय अफरा-तफरी मची जब कर्मियों को यह पता चला कि इडी के अधिकारी पहुंचे हैं। बुधवार को इडी के अधिकारी ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री आलमगीर आलम के ओएसडी संजीव लाल को लेकर पहुंची थी। प्रोजेक्ट भवन में मंत्री का कार्यालय एपीपी बिल्डिंग में ओएसडी का। ओएसडी के ड्रावर से दो लाख रुपये नगद मिले हैं। इडी के अधिकारी वैसी फाइलों की तलाश कर रहे थे जिसमें कमीशन लेकर ठेका आवंटित किया गया था। कुछ फाइल की फोटो कॉपी अधिकारी अपने पास इडी के अधिकारी रख रहे थे। न्यायालय में ओएसडी संजीव लाल और उनके नौकर जहांगीर आलम से पूछताछ के लिए छह दिन की रिमांड दिया है। पहले ही दिन यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि कमीशन का हिस्सा किन-किन नेता और अधिकारियों के पास पहुंचता है। हाथ से लिखे कुछ कागज भी इडी को मिले हैं।
तीन माह में वसूली गयी थी रकम
इडी ने जहांगीर आलम के यहां से छापामारी कर करीब 32 करोड़ रुपये बरामद किया था। यह रकम महज तीन माह में वसूली गयी थी। यह दावा इडी के अधिकारियों ने ही किया है। साथ गाड़ीखाना स्थित सैय्यद रेजिडेंसी में जो फ्लैट जहांगीर आलम के नाम से लिया गया था वह सिर्फ नोट रखने के लिए ही था।
इस तरह जहांगीर तक पहुंचे थे इडी के अफसर
इडी के अधिकारियों को एक गुमनाम पत्र मिला था। जिसमें इस बात की चर्चा थी कि ग्रामीण विकास में कमीशन का खेल किस तरह से चल रहा है। उस पत्र में ओएसडी संजीव लाल का नाम था। अधिकारी जांच करने की स्थिति में नहीं थे। कोई आधार हाथ में नहीं था। इसी बीच इसी विभाग के मुख्य अभियंता वीरेंद्र राम के बयान और कमीशन, लेनेदेने के कबूलनामे को आधार बनाकर जांच शुरू कर दी गयी। फोकस संजीव लाल पर था। उनके घर की निगरानी रखी जा रही थी। वहीं इडी के अधिकारियों को पता चला था कि जहांगीर नाम का नौकर सब कुछ जानता है। फिर जहांगीर की तलाश शुरू हुई। इस सब में सात से आठ माह लग गये, लेकिन कुछ हाथ नहीं लग रहा था। एक दिन इडी के एक अधिकारी ने देखा कि स्कूटी पर एक व्यक्ति संजीव लाल के घर से निकला। उसके पास एक एयरबैग था। उसका पीछा किया गया। वह गाड़ीखाना स्थित फ्लैट में गया और बैग रखकर लौट आया। अब निगरानी जहांगीर की होने लगी। इडी के अधिकारियों को उस समय शक हुआ जब वह लगातार बैग लेकर जाता था और वापस खाली हाथ लौट आता था। इसके बाद इडी ने छापा मारा।
कमीशन वसूलता था संजीव, केयर टेकर था जहांगीर
ग्रामीण विकास विभाग के ठेका में अधिकारी संजीव लाल कमीशन वसूलने का काम करता था। जहांगीर तो केयर टेकर था। अधिकारी अब यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि यह राशि किसके लिए वसूल की जाती थी। कम से कम हर ठेका पर 15 प्रतिशत की वसूली थी। अब इडी इन दोनों से कमीशन किसको मिलता था यह उगलवाने की कोशिश करेगी।