रांची। मेकॉन लिमिटेड ने भारत सरकार के इस्पात मंत्रालय के तत्वावधान में सेल के साथ मिलकर 30 और 31 मई को एमटीआइ में इस्पात पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन (आइकॉन्स) का आयोजन किया। पहले दिन मेकॉन के अध्यक्ष सह एमडी संजय कुमार वर्मा ने विषयवस्तु से अवगत कराया। उद्घाटन इस्पात मंत्रालय के सचिव नागेंद्र नाथ सिन्हा, अतिरिक्त सचिव सुकृति लिखी, संयुक्त सचिव अभिजीत नरेंद्र, डॉ संजय रॉय, सीएमडी एनएमडीसी अमिताभ मुखर्जी, सीएमडी मॉयल अजीत कुमार सक्सेना, सीएमडी संजय कुमार वर्मा, अध्यक्ष अमरेंदु प्रकाश ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया।

सचिव नागेंद्र नाथ सिन्हा ने कहा कि आज भारत में स्थापित की जा रही इस्पात परियोजनाओं के लिए सावधानीपूर्वक परियोजना नियोजन और समय पर क्रियान्वयन बड़ी चुनौतियों में से एक है। हमें इस्पात परियोजनाओं को सुदृढ़ बनाये रखने और उनकी दीर्घकालिक स्थिरता के लिए अपनी परियोजनाओं को समय पर क्रियान्वित करने के नवोन्मेषी उपाय खोजने की आवश्यकता है।
संयुक्त सचिव अभिजीत नरेंद्र ने कहा कि यद्यपि हम इस्पात उत्पादन में दूसरे स्थान पर हैं, लेकिन इस्पात उद्योग के लिए मशीनरी बनाने में हमारी सीमाएं हैं। उन्होंने सभी हितधारकों को शामिल करने वाले इकोसिस्टम बनाने पर जोर दिया।
एनएमडीसी के सीएमडी ने कहा कि भारत पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और हम सबसे युवा और जीवंत राष्ट्र हैं। भारत मूल रूप से सेवा क्षेत्र आधारित राष्ट्र है। विनिर्माण क्षेत्र को पर्याप्त रूप से विकसित करने की आवश्यकता है। मॉयल के सीएमडी ने कहा कि पूंजीगत वस्तु क्षेत्र अर्थव्यवस्था का व्यापक रणनीतिक हिस्सा है।

मेकॉन के सीएमडी ने राष्ट्रीय इस्पात नीति के बारे में बताया और कहा कि 300 मिलियन टन इस्पात क्षमता तक पहुंचने के लिए नीतिगत लक्ष्य के अनुसार अगले सात-आठ वर्षों में लगभग 138-139 मिलियन टन नयी क्षमता जुड़ने का अनुमान है, जिसमें भारतीय इस्पात उद्योग से 120-130 बिलियन अमेरिकी डॉलर का व्यापक निवेश शामिल है। सम्मेलन के पहले दिन चार तकनीकी सत्र का आयोजन किया गया। सम्मेलन के दौरान विनिर्माण कंपनियों, लौह-इस्पात उत्पादकों, उपकरण आपूर्तिकर्ता, इंजीनियरिंग और परामर्श कंपनियों के वरिष्ठ प्रतिनिधि मौजूद थे।

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