राज्य में गरमी चरम पर है। उसमें भी चाइबासा की गरमी का अंदाजा वहां के लोगों के जुबानी या वहां जा कर ही समझा सकता है। चाइबासा का तापमान शुक्रवार को 40 डिग्री तापमान था। सूर्य की किरण शरीर में गर रही थी। इस गरमी पर चाइबासा में शुक्रवार को चुनावी तपिश भारी दिखी। कारण था, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आगमन। मोदी को देखने और सुनने वालों की भीड़ ने साबित कर दिया कि उनका क्रेज सूर्य की तपती किरण से तेज है। हर वर्ग, हर समुदाय, हर आयु के लोगों से सभा स्थल पटा पड़ा था। महिलाएं गोद में बच्चा तक लिये हुए सभा स्थल में मौजूद थीं। मोदी के आगमन से पहले ही लोगों का जुटना शुरू हुआ। जो उनके जाने के बाद ही छटा। प्रधानमंत्री के आगमन पर मोदी, मोदी और मोदी से पूरा इलाका गूंजा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा को कवर करने के लिए ‘आजाद सिपाही’ की टीम भी रांची से शुक्रवार को चाइबासा गयी थी। वहां का जो नजारा था वह आंखों देखी प्रस्तुत कर रहे हैं हमारे विशेष संवाददाता राकेश कुमार सिंह।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दो दिन के दौरे शुक्रवार को झारखंड आना था। पूरे राज्य में इसकी चर्चा पिछले एक सप्ताह से तेज थी। मोदी का शुक्रवार को चाइबासा में जनसभा और रांची में रोड शो। राजभवन में रात्रि विश्राम और शनिवार को पलामू औप लोहरदगा में जनसभा का कार्यक्रम तय हुआ। कार्यक्रम तय होने के बाद चुनावी सरगरमी तेज होने लगी। ज्यों-ज्यों उनके आगमन का दिन नजदीक होता गया, कार्यक्रम की तैयारी तेज होती गयी। आखिरकार 3 मई यानी शुक्रवार को मोदी के आगमन का समय भी आ गया। रांची से चाइबासा एक हो गया। मीडिया इससे दूर रहे यह संभव ही नहीं था। मीडिया को भी तो कार्यक्रम कवर करना था। ‘आजाद सिपाही’ भी कवर करने के लिए उत्सुक था। रांची से चाइबासा की दूरी लगभग 160 किमी है। रांची से वहां तक जाने में लगभग 3.30 घंटे का समय लगता है। प्धानमंत्री का कार्यक्रम में शाम 4.30 बजे से था। यानी इससे पहले हमारी टीम को सभा स्थल पर पहुंचना था। जिससे नजारा भी देख सकें। लोगों से बात भी कर सकें। मोदी को सुन भी सकें और लोगों की प्रतिक्रिया भी देख सकें। कुठ घंटों में वहां का चुनावी पारा मापना था।
‘आजाद सिपाही’ की टीम शुक्रवार सुबह 10 बजे चाइबासा रवाना होने के लिए तैयार हो गयी। भाजपा वालों ने ही पत्रकारों के लिए गाड़ी की व्यवस्था भी की थी। करीब 11 बजे 7-8 गाड़ियों में सवार मीडियाकर्मी निकले। जब हमारी टीम चक्रधर पहुंची, तो प्रधानमंत्री के सभा की आहट मिलने लगी। वहीं से भाजपा समर्थक गाड़ियों में भर-भरकर चाइबासा की ओर बढ़ रहे थे। लगा मानो आज पूरा चाइबासा जाम होगा। वहां भारी भीड़ होगी। हम करीब 3 बजे चाइबासा शहर पहुंचे। वहां का नजारा देखकर हमारी आंखें दंग रह गयी। चाइबासा की बाजारों में पूरी तरह सन्नाटा पसरा था। रोजमर्रा के हिसाब से भी शहर में स्थानीय लोगों चहल पहल बिलकुल नगण्य थी। हमें यकीन नहीं हुआ। आंखों पर विश्वास नहीं हुआ कि चाइबासा में मोदी का आगमन होने वाला है और शहर में सन्नाटा पसरा है। लोगों से अधिक तो पुलिसकर्मी सड़कों पर दिखायी दे रहे थे। हमारी गाड़ी पुराने डीसी कार्यालय के पास रुकी। यहां से भाजपा के कार्यकर्ता सभी मीडियाकर्मियों को सभा स्थल पर एक साथ ले जाने के लिए मौजूद थे।

हमारी टीम सभा स्थल की ओर बढ़ी। चिलचिलाती धूप थी। ऐसा लग रहा था मानो सूर्य की किरणें अभी भी शरीर को भेदने के लिए तैयार हैं। धूप की तपिश बरकरार थी। हमने एक दुकान से पानी का बोतल लिया। दुकान वाले से पूछा कि आज मोदी आ रहे हैं, लेकिन शहर में सन्नाटा क्यों पसरा है। मैंने पूछा कि कहीं गर्मी के कारण तो लोग घर से बाहर नहीं निकल रहे हैं। चूंकि चाइबासा सही में तप रही थी। धूप इतनी तेज की लोग गश खाकर गिर पड़ें। फिर दुकान वाले ने कहा कि शहर में सन्नाटा नहीं है, सब मोदी को देखने पहुंच रहे हैं। सभी मोदी को देखे गये हैं। उसके बाद हमारी टीम टाटा कॉलेज की ओर बढ़ी, जहां सभा का आयोजन होना था। सभा स्थल का नजारा देख कर समझ में आ गया कि बाजार में क्यों सन्नाटा पसरा था। पूरा का पूरा चाइबासा और आसपास के लोग वहां जुटे हुए थे। भीड़ देख हमारी आंखें दंग रह गयी। क्या बच्चे क्या बूढ़े, क्या महिलायें क्या जवान, सब गमछा ओढ़े मोदी को देखने पहुंच रहे थे। महिलायें दूध मुंहे बच्चों के साथ सभा देखने पहुंच रही थी।
भरी दुपहर में धूप को धत्ता बताते हुए सभा स्थल पर लोगों का पहुंचना शुरू हो गया था। हमारे पहुंचने से पहले भारी संख्या में लोग वहां मौजूद थे। मोदी-मोदी के नारों से वातावरण गूंज रहा था। इतना ही नहीं लोगों का आने का सिलिसिला बंद नहीं हुआ था। हमारे पहुंचने के बाद भी लोगों का पहुंचने का सिलसिला लगातार जारी था। चप्पे-चप्पे पर प्रशासन मुस्तैद। मोदी को देखने भीड़ की भीड़ सभास्थल से करीब दो से तीन किलोमीटर की दूरी पर नजर आने लगी। सब ओर मोदीमय हुआ पड़ा था। कोई मोदी का मुखौटा लगाये था, कोई मोदी की तस्वीर वाली टी-शर्ट, भगवा गमछा की तो मानो भरमार थी। कोई मोदी की तस्वीर की तख्तियां लेकर पहुंच रहा था। भाजपा के पट्टे की तो भरमार थी। सभास्थल के बाहर पैर रखने की जगह नहीं थी। सभा स्थल के कैंपस में अंदर दाखिल होते ही भाजपा के वालंटियर्स भीड़ को पानी का पाउच दे रहे थे। भाजपा समर्थक मोदी और उनकी माता की तस्वीर बना लाया था। जहां मोदी जमीन पर बैठे थे और उनकी माता कुर्सी पर बैठीं बातें कर रहे थे।
सभा स्थल जहां हमें कवरेज के लिए बिठाया गया था, वहां से खड़ा हो कर नजारा देखा, तो केवल लोगों के सिर ही सिर दिखे। चारों ओर दूर तक भीड़ दिख रही थी, मैदान कहां से शुरू हो रहा ये पता ही नहीं चल रहा था। शाम करीब 4.15 बजे तक सभास्थल की सारी कुर्सियां भर गयी थी। उसके बाद भी लोगों की भीड़ आ ही रही थी। प्रधानमंत्री और उनके सुरक्षा में लगा हेलिकॉप्टर करीब 4.30 बजे से आकाश में मंडराने लगा। जैसे-जैसे हेलीकॉप्टर की आवाज नजदीक सुनने में आ रही थी, लोगों में उत्साह बढ़ता गया। हेलीकॉप्टर की भी आवाज लोगों के उत्साह के सामने फींकी पड़ गयी। प्रधानमंत्री का हेलिकॉप्टर करीब 4.40 बजे लैंड किया। उसके बाद सभास्थल मोदी के नारों से गूंज उठा। मोदी के स्वागत के लिए सभा का हर व्यक्ति खड़ा हो गया। लोग चीखने लगे, चिल्लाने लगे। जय श्रीराम और मोदी के नारों से चाइबासा गूंज गया। गजब का क्रेज, गजब का शोर। जैसे ही मोदी मंच पर आये एक गजब का ओज उनके चेहरे और आभा से आ रहा था। लोग उनकी झलक देखते झूम उठे, मंत्रमुग्ध हो गये। सभा के बीच में एक दौर ऐसा आया जब मोदी ने लोगों से मोबाइल का टोर्च जलाने को कहा जिससे वह उनका समर्थन हासिल कर पायें, ऐसा नजारा दिखा की मानो सब दूधिया हो गया हो।
प्रधानमंत्री चाइबासा में लगभग एक घंटे रहे। वह मंच पर 4.45 में आये। स्वागत के बाद उनका भाषण शुरू हुआ। एक-एक वाक्य पर तालियों की गूंज से लोगों ने उनका स्वागत किया। मोदी लगभग 45 मिनट बोले। शाम 5.45 में वह चाइबासा से हेलिकॉप्टर से रवाना हो गये। सभा की खासबात यह रही कि सभी अनुशासन में थे। सब कुछ व्यवस्थित था। सारा दिन धूप में रहने के बाद भी किसी को वहां से निकलने की जल्दी नहीं थी। मोदी जब तक हेलिकॉप्टर में बैठ नहीं गये, लोग सभा स्थल से रवाना होने को तैयार नहीं थे। इसका मतलब यही था कि चाइबासा ने मोदी को सुना नहीं था, इसलिए पूरा चाइबासा मोदी को सुनने आया था। उनके जाने के बाद कतार में लोग सभा स्थल से निकलना शुरू किया। सड़क पर सभा स्थल से लौटने वाले लोगों की भीड़ थी। हमारी गाड़ी भी भीड़ को चीरते आगे निकली। कई किलोमीटर तक मेला जैसा महौल दिखा। सड़क किनारे लगे ठेले-खोमचे पर लोग खाने का आंनद ले रहे थे। कोई समोसा, तो कोई जलेबी, कोई चना, तो भुजिया खा रहा था। चिप्स, पानी और कोल्ड ड्रिंक्स लेने वालों की तादाद भी कम नहीं थी। लोगों की जैसी पसंद, इस तरह की दुकानों, ठेला खोमचा पर भीड़। इन सब के बीच एक बात कॉमन दिखी। सभी के चेहरे पर थकान से अधिक संतुष्टि। मानो मोदी को सुन कर, देख कर सभामें आना सफल हो गया हो।

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