दिग्गजों की फौज ने डेरा डालना शुरू कर दिया
घाटशिला के आलीशान होटल और रिसोर्ट लगभग बुक
सड़कों पर दौड़ने लगा है वीआइपी गाड़ियों का काफिला
अरुण सिंह
घाटशिला (आजाद सिपाही)। घाटशिला विधानसभा क्षेत्र में उप चुनाव के लिए भले ही झामुमो और भाजपा ने अपने उम्मीदवार के नाम की घोषणा अभी तक नहीं की है, लेकिन दोनों दलों के प्रत्याशियों का नामांकन 17 अक्टूबर को होगा। इसके लिए आवश्यक कागजी तैयारी प्रारंभ हो चुकी है। झामुमो केंद्रीय समिति की बैठक 15 अक्टूबर को रांची में होने वाली है। उसी में पार्टी अपने प्रत्याशी के नाम का एलान करेगी, ऐसा कहा जा रहा है। दूसरी तरफ, प्रदेश भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष आदित्य साहू ने पिछले दिनों कार्यकर्ताओं को भरोसा दिलाया कि जल्द ही उम्मीदवार के नाम कि घोषणा की जायेगी।
झामुमो उम्मीदवार के नामांकन में राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपने दलीय नेताओं के साथ मौजूद रहेंगे। इंडी अलायंस के सहयोगी दल यथा कांग्रेस, राजद और कम्युनिस्ट पार्टी के प्रतिनिधि भी झामुमो प्रत्याशी के नामांकन में दिखेंगे। दूसरी तरफ भाजपा भी अपने प्रत्याशी की नामांकन सभा को भव्य बनाने की तैयरी में जुटी हुई है। नामांकन के दौरान विपक्ष के नेता बाबूलाल मरांडी सहित कुछ अन्य प्रमुख नेता दिखेंगे। आजसू पार्टी सुप्रीमो सुदेश महतो के भी रहने की बात कही जा रही है।

घाटशिला में एनडीए पर भारी इंडी अलायंस
घाटशिला विधानसभा क्षेत्र में एनडीए और इंडी अलायंस के सांगठनिक स्थिति की बात की जाये, तो झामुमो को भाजपा पर बढ़त मिलती दिखाई पड़ रही है। इंडी अलायंस में झामुमो के साथ यहां कांग्रेस एवं भाकपा के संगठन का थोड़ा-बहुत प्रभाव है। भले ही अब कांग्रेस और भाकपा कमजोर हुई हैं, किंतु यह भी नहीं भूलना चाहिए कि घाटशिला सीट का प्रतिनिधित्व भाकपा पांच बार और कांग्रेस चार दफा विधानसभा में कर चुकी है।
इसके ठीक उलट एनडीए के घटक दल में भाजपा के अलावा आजसू पार्टी, जनता दल यूनाइटेड और लोजपा शामिल हैं, लेकिन आजसू पार्टी को छोड़ कर जदयू और लोजपा का यहां बिल्कुल भी कोई प्रभाव नहीं है। इसलिए इस उप चुनाव में भाजपा को अपने सहयोगी दलों से बहुत ज्यादा सहयोग मिलने की उम्मीद कम ही जान पड़ती है।

11 % यानी 26 हजार से ज्यादा कुड़मी वोटर बनेंगे बड़ा फैक्टर
घाटशिला विधानसभा क्षेत्र में झारखंड लोकतंत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा (जेएलकेएम) भी प्रभावी भूमिका अदा करेगा। वर्ष 2024 के चुनाव में पहली दफा चुनावी रण में उतरी इस पार्टी ने झारखंड के कई नेताओं को अर्श से फर्श और फर्श से अर्श पर लाकर खड़ा दिया था। घाटशिला सीट पर इसके उम्मीदवार रामदास मुर्मू को आठ हजार से अधिक वोट प्राप्त हुए थे। इस उप चुनाव में जेएलकेएम सुप्रीमो विधायक जयराम महतो अपना उम्मीदवार उतारेंगे या नहीं, यह अभी भविष्य के गर्भ में है। जयराम महतो हालांकि अपने एक बयान में कह चुके हैं कि जल्द ही पार्टी इस मुद्दे पर फैसला लेगी। लेकिन भाजपा के सूत्र बताते हैं कि इस बार घाटशिला सीट पर टाइगर जयराम अपने पहलवान को संभवत: चुनावी अखाड़े में नहीं उतारेंगे।
फिलहाल, झारखंड में आदिवासी एवं कुड़मी के बीच भारी विवाद चल रहा है, यह बात भी किसी से छिपी नहीं है। ऐसे में राजनीतिक पंडित यह मान कर चल रहे हैं कि इस बार कुड़मी वोट झामुमो को मिलने की संभावना काफी कम है। अब ऐसे में अगर जेएलकेएम अपना उम्मीदवार नहीं उतारता है और महतो वोटरों का साथ झामुमो को नहीं मिलता है, तो जाहिर है कि इसका एकतरफा फायदा भाजपा को मिलेगा। बता दें कि घाटशिला विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं की कुल संख्या 2. 55 लाख है और इसमें कुड़मियों की भागीदारी 11 फीसदी यानी 26 से 30 हजार के आसपास है। विधानसभा चुनाव में जीत-हार को प्रभावित करने के लिए वोटरों की यह संख्या काफी मायने रखती है।

15 के बाद झामुमो उम्मीदवार के पक्ष में वोट मांगते दिखेंगे विक्टर सोरेन!
स्व रामदास सोरेन के भतीजे विक्टर सोरेन और झामुमो के भावी प्रत्याशी सोमेश चंद्र सोरेन के बीच विवाद की खबरें खूब चलीं, लेकिन अब लगता है कि यह विवाद सुलझने लगा है। झामुमो के एक उच्चपदस्थ नेता की मानें, तो 15 अक्टूबर को केंद्रीय नेतृत्व जैसे ही पार्टी उम्मीदवार का नाम घोषित कर देगा, उसके बाद से विक्टर सोरेन पिछले सारे गिले-शिकवे त्याग करके अपने दल के प्रत्याशी के साथ क्षेत्र में घूमना शुरू करेंगे। वैसे भी, विक्टर खुद अपने कुछ राजनीतिक साथियों से कह चुके हैं कि पार्टी अगर उनके बजाय किसी अन्य को भी प्रत्याशी बनायेगी, तो घोषणा के बाद वे उसके नाम पर वोट मांगेंगे। बता दें कि अपने बड़े पापा रामदास सोरेन के साथ घाटशिला विधानसभा क्षेत्र में विक्टर सोरेन ही ज्यादातर साथ रहते थे। खासकर झामुमो के युवा कार्यकर्ताओं में विक्टर की अच्छी पकड़ है और इसका लाभ झामुमो प्रत्याशी को मिल सकता है।

दिग्गजों ने डाला डेरा
बिहार विधानसभा चुनाव के साथ झारखंड में घाटशिला सीट पर ही उप चुनाव होना है और झामुमो के वरिष्ठ नेता रहे रामदास सोरेन के निधन से खाली हुई इस सीट को पुन: हासिल करने के लिए झामुमो हर एक उपाय करने में लगा है, तो भाजपा भी यहां काबिज होने के लिए एड़ी-चोटी एक किये हुए है। पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा, पूर्व सांसद गीता कोड़ा, भाजपा नेता भानु प्रताप शाही, पूर्व मंत्री अमर बाउरी घाटशिला में डेरा डाल चुके हैं। बाबूलाल मरांडी, आदित्य साहू, कर्मवीर सिंह, प्रदीप वर्मा सरीखे बड़े चेहरों का आना-जाना लगा हुआ है। वहीं अर्जुन मुंडा भी रविवार को घाटशिला पहुंचे थे। इसी प्रकार झामुमो प्रत्याशी के पक्ष में मंत्री दीपक बिरुआ, सुदिव्य कुमार सोनू, प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी के अलावा पड़ोस के विधानसभा क्षेत्र बहरागोड़ा, पोटका एवं जुगसलाई के विधायक भी रणनीति का हिस्सा बने हुए हैं।

होटल और रिसॉर्ट में चुनाव तक नो रूम
उप चुनाव के मद्देनजर घाटशिला के ज्यादातर आलीशान होटलों को झामुमो और भाजपा ने बुक करवा लिया है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन एवं विधायक कल्पना सोरेन सहित झामुमो के कुछ बड़े रणनीतिकार होटल जेएन पैलेस में ठहरेंगे। झामुमो ने गालूडीह रिसॉॅर्ट और होटल इगल के अलावा कुछ अन्य बड़े होटलों में भी कमरे बुक करवाये हैं। इसी तरह भाजपा ने होटल अनिंदिता, होटल एटमॉसफेयर समेत कुछ अन्य होटलों-लॉजों को बुक करवाया है। उप चुनाव को लेकर कई होटलों के तमाम कमरे-हॉल-लॉन आदि बुक कर लिये जाने से शादी-व्याह वाले कुछ वैसे परिवारों को परेशानी उठानी पड़ेगी, जो होटल को मैरेज डेस्टिनेशन बनाने के इच्छुक हैं। एक जानकारी के मुताबिक होटल जेएन पैलेस में चुनाव की अवधि में दो शादी समारोह होने थे। चुनाव में फुल बुकिंग के कारण अब वैसे दोनों परिवारों को समझा-बुझाकर एडवांस की रकम वापस कर बुकिंग कैंसिल की जा रही है। इतना ही नहीं, उप चुनाव में ज्यादातर रूम बुक हो जाने का असर पश्चिम बंगाल से घाटशिला घुमने आने वाले पर्यटकों पर भी पड़ना तय है। 14 नवंबर तक पर्यटकों को घाटशिला के वैसे होटलों-लॉजों में ही रूम मिल पायेगा, जो झामुमो और भाजपा की बुकिंग लिस्ट में शामिल होने से बचे हुए हैं।

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