विशेष
झारखंड की सात सीटों पर कम नहीं हुआ मतदान
मतदान का प्रतिशत जरूर कम हुआ, लेकिन मतों की संख्या बढ़ी
चुनाव आयोग के आंकड़े जारी करने के बाद साफ हुई पूरी तस्वीर
नमस्कार। आजाद सिपाही विशेष में आपका स्वागत है। मैं हूं राकेश सिंह।
लोकसभा के लिए देश भर में चल रही चुनाव प्रक्रिया में हर बार की तरह इस बार भी कम मतदान को लेकर चुनाव आयोग से लेकर राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों द्वारा गंभीर चिंता व्यक्त की जा रही है। सात चरणों में होनेवाले मतदान के छह चरण पूरे हो चुके हैं और सातवें चरण का मतदान 1 जून को होगा। कम मतदान को लेकर व्यक्त की जा रही चिंताओं के बीच चुनाव आयोग ने इस बार एक बड़ा काम किया है। उसने पांच चरणों के मतदान का प्रतिशत तो जारी किया ही है, इस बार उसने प्रत्येक संसदीय सीट पर मतदाताओं की कुल संख्या और कुल मतदान का आंकड़ा जारी कर दिया है। इस आंकड़े के गहन विश्लेषण से यह बात साफ होती है कि इस बार इन पांच चरणों के चुनाव में मतदान का प्रतिशत कम जरूर हुआ है, लेकिन डाले गये मतों की संख्या 2019 के मुकाबले काफी अधिक है। झारखंड की 14 सीटों में से 11 पर चुनाव हो चुके हैं और चुनाव आयोग ने जो आंकड़ा जारी किया है, वह सात सीटों का है। इनमें खूंटी, लोहरदगा, सिंहभूम, पलामू, हजारीबाग, चतरा और कोडरमा हैं। इन सभी सीटों पर प्रतिशत के हिसाब से इस बार कम मतदान हुआ, लेकिन पिछली बार की तुलना में मतों की कुल संख्या में उत्साहजनक वृद्धि हुई है। इन आंकड़ों के विश्लेषण से मिले नतीजों का सीधा मतलब यह है कि कम से कम झारखंड में कहीं सत्ता विरोधी लहर नहीं है और भाजपा इस पर संतोष जता सकती है। झारखंड की सात सीटों के मतदान के आंकड़ों का विश्लेषण और उसका सियासी मतलब निकाल कर उसके असर का आकलन कर रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।

देश के आम चुनावों की प्रक्रिया के अंतिम दौर में पहुंचने से पहले ही इस बार कम मतदान को लेकर चौतरफा चिंता व्यक्त की जा रही है। चुनाव आयोग से लेकर राजनीतिक दल और उम्मीदवारों में कम मतदान को लेकर गंभीर चिंता पसरी हुई है। कुल सात चरणों में होनेवाले इस चुनाव का छठा चरण शनिवार को संपन्न हो गया, जिसमें आठ राज्यों की 58 सीटों पर वोट डाले गये। लेकिन मतदान के आंकड़ों को लेकर जो गलतफहमी फैली हुई है, उसकी तह में जाने का शायद आज से पहले किसी ने प्रयास भी नहीं किया है।

क्या है गलतफहमी
आम तौर पर मतदान के बाद मतदान का प्रतिशत निकाला जाता है और इसके आधार पर परिणाम का आकलन किया जाता है। यह काम मतदान के हर चरण के बाद होता है और मतदान के प्रतिशत की तुलना पिछली बार के चुनाव से की जाती है। इस क्रम में चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर भी संदेह किया जाता है और इस बार तो मतदान के आंकड़े का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस बारे में चुनाव आयोग को कोई निर्देश देने से साफ मना कर दिया, लेकिन तमाम चुनाव विश्लेषकों और भविष्यवक्ताओं का संदेह तो बना ही हुआ है।

क्या किया चुनाव आयोग ने
चुनाव आयोग ने इस बार पहले पांच चरण में हुए मतदान का विस्तृत आंकड़ा जारी कर ऐतिहासिक कदम उठाया है। इन आंकड़ों में बताया गया है कि पांच चरणों के चुनाव में प्रत्येक संसदीय सीट पर कितने मतदाता थे और कितने वोट डाले गये। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में यह आंकड़ा बूथवार जारी करने की मांग की गयी थी, जिस पर चुनाव आयोग ने कहा था कि इस आंकड़े को सार्वजनिक करने से अव्यवस्था फैल सकती है।

क्या कहा मुख्य चुनाव आयुक्त ने
मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने छठे चरण के मतदान में अपना वोट डालने के बाद चुनाव आयोग पर उठ रही अंगुली को आधारहीन करार दिया। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों का काम ही संदेह पैदा करना है। उन्होंने दावा किया कि आयोग में ऐसी मजबूत प्रणालियां हैं, जिनसे सुनिश्चित होता है कि कोई त्रुटि न हो। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों का काम ही संदेह पैदा करना है। हमारी प्रणाली मजबूत है, आज से नहीं, बल्कि पिछले 70-72 वर्षों से। उनकी टिप्पणी से ठीक पहले चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव के शुरूआती पांच चरणों में डाले गये वोट की संख्या पर स्वयं लोकसभा क्षेत्रवार आंकड़ा जारी किया था। आयोग ने कहा कि इसने प्रत्येक संसदीय क्षेत्र में डाले गये वोट की संपूर्ण संख्या को शामिल करने के लिए मतदान डाटा के प्रारूप को और विस्तारित करने का निर्णय लिया है।

झारखंड की सीटों का आंकड़ा
अब लौटते हैं झारखंड पर। राज्य की 14 संसदीय सीटों में से 11 पर चुनाव हो चुका है। चुनाव आयोग ने इनमें से सात सीटों के मतदान का विस्तृत आंकड़ा जारी किया है। इस आंकड़े के विश्लेषण से पता चलता है कि 2019 के मुकाबले इस बार इन सीटों पर अधिक मतदान हुआ है, भले ही प्रतिशत कम हो गया हो।

शुरूआत करते हैं खूंटी से
खूंटी संसदीय सीट पर 13 मई को वोट डाले गये थे। यहां इस बार 13 लाख 26 हजार 138 मतदाताओं में से नौ लाख 27 हजार 422 ने वोट डाले, यानी यहां 69.33 प्रतिशत मतदान हुआ। अब 2019 के आंकड़े बताते हैं कि उस बार यहां 12 लाख दो हजार 664 मतदाताओं में से आठ लाख 30 हजार 426 मतदाताओं ने वोट डाला था, यानी उस बार खूंटी में 69.25 प्रतिशत मतदान हुआ था। इसका सीधा मतलब है कि इस बार खूंटी में करीब सवा लाख मतदाता बढ़े और डाले गये मतों की संख्या भी करीब एक लाख बढ़ गयी।

लोहरदगा सीट की भी यही स्थिति
अब बात करते हैं लोहरदगा की। यहां भी 13 मई को वोट डाले गये थे। यहां इस बार 14 लाख 41 हजार 302 मतदाताओं में से नौ लाख 57 हजार 690 (66.45 प्रतिशत) ने वोट डाला। 2019 में लोहरदगा में कुल 12 लाख 34 हजार 286 मतदाता थे, जिनमें से आठ लाख 13 हजार 360 (66.30 प्रतिशत) ने वोट डाला था। यहां भी इस बार दो लाख से अधिक मतदाता बढ़ गये थे और डाले गये वोटों की संख्या भी डेढ़ लाख से अधिक है।

सिंहभूम सीट पर भी अधिक मतदान
जहां तक सिंहभूम सीट का सवाल है, तो यहां इस बार 14 लाख 47 हजार 562 मतदाता थे, जिनमें से 10 लाख तीन हजार 482 (69.32 फीसदी) ने वोट डाला। 2019 में सिंहभूम में मतदाताओं की कुल संख्या 12 लाख 69 हजार 917 थी, जिनमें से आठ लाख 78 हजार 480 (69.25 फीसदी) ने वोट डाला था। यानी पिछली बार के मुकाबले इस बार सिंहभूम में करीब पौने दो लाख अधिक मतदाता थे और डाले गये वोटों की संख्या में भी लगभग इतनी ही वृद्धि हुई।

पलामू में भी इस बार अधिक वोटिंग हुई
पलामू संसदीय सीट पर भी 13 मई को वोट डाले गये थे। यहां इस बार 22 लाख 43 हजार 34 मतदाता थे, लेकिन उनमें से 13 लाख 74 हजार 358 (61.27 फीसदी) ने ही वोट डाला। 2019 में पलामू में कुल 18 लाख 81 हजार 441 मतदाता थे, जिनमें से 12 लाख पांच हजार 969 (64.34 फीसदी) ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था। इसका मतलब यह है कि इस बार पलामू में करीब साढ़े तीन लाख मतदाता बढ़े और डाले गये वोटों की संख्या भी करीब पौने दो लाख बढ़ गयी।

हजारीबाग, चतरा और कोडरमा में भी यही स्थिति
झारखंड की तीन सीटों, हजारीबाग, चतरा और कोडरमा में 20 मई को मतदान हुआ था। वहां भी प्रतिशत के हिसाब से कम मतदान की बात कही गयी थी, लेकिन आंकड़ों के विश्लेषण से साफ हो गया है कि इन तीनों सीटों पर डाले गये वोटों की संख्या पिछली बार की तुलना में अधिक रही। हजारीबाग में इस बार 19 लाख 39 हजार 374 मतदाता थे, जिनमें से 12 लाख 48 हजार 798 (64.39 प्रतिशत) ने वोट डाला। 2019 में यहां मतदाताओं की कुल संख्या 16 लाख 67 हजार 465 थी और कुल 10 लाख 79 हजार 155 वोट (64.34 फीसदी) ने वोट डाले थे। चतरा में इस बार 16 लाख 89 हजार 926 मतदाता थे, जिनमें से 10 लाख 76 हजार 352 (63.69 फीसदी) ने वोट डाला। 2019 में यहां 14 लाख 25 हजार 218 मतदाता थे, जिनमें से नौ लाख 22 हजार 361 (64.97 फीसदी) ने वोट डाला था। कोडरमा में इस बार 22 लाख पांच हजार 318 मतदाताओं में से 13 लाख 63 हजार 10 (61.81 फीसदी) ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया। 2019 में कोडरमा में कुल 18 लाख 14 हजार 125 मतदाताओं में से 12 लाख आठ हजार 254 (66.68 फीसदी) ने वोट डाला था।
चुनाव आयोग द्वारा जारी इन आंकड़ों से साफ होता है कि झारखंड में मतदान कम नहीं हुआ है, बल्कि पिछली बार की तुलना में बढ़ा है। प्रतिशत जरूर कम हुआ है, लेकिन इसमें चिंता करने का कोई कारण नहीं बनता है। कुल मिला कर अगर देखा जाये, तो 2024 में भी ट्रेंड 2019 वाला ही है।

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