कोलकाता। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में 24 मई को होने जा रही नीति आयोग की अहम बैठक को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की उपस्थिति अब तक स्पष्ट नहीं हो पाई है। राज्य मंत्रिमंडल के एक वरिष्ठ सदस्य ने पुष्टि की है कि मुख्यमंत्री ने न तो कैबिनेट में और न ही पार्टी के भीतर इस विषय पर कोई स्पष्ट संकेत दिया है कि वह बैठक में स्वयं भाग लेंगी या किसी प्रतिनिधि को भेजेंगी।
वरिष्ठ मंत्री ने कहा, “वह सही समय पर इस बारे में सबको सूचित करेंगी।” उन्होंने यह भी जानकारी दी कि 24 मई को मुख्यमंत्री का राज्य में कोई पूर्व निर्धारित कार्यक्रम नहीं है।
गौरतलब है कि पिछले साल 27 जुलाई को हुई नीति आयोग की बैठक के दौरान ममता बनर्जी ने बीच बैठक से यह आरोप लगाते हुए वॉकआउट कर दिया था कि उनका माइक बंद कर दिया गया था और उन्हें केवल पांच मिनट बोलने का समय दिया गया, जबकि अन्य प्रतिनिधियों को 10 से 20 मिनट तक वक्तव्य रखने की अनुमति दी गई थी। उन्होंने इसे आयोजकों की ओर से भेदभाव करार दिया था।
हालांकि, केंद्र सरकार ने उस समय प्रेस सूचना ब्यूरो के तथ्य जांच प्रकोष्ठ के माध्यम से इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि मुख्यमंत्री के बोलने का समय समाप्त हो गया था और निर्धारित प्रक्रिया का पालन किया गया था। पीआईबी ने यह भी स्पष्ट किया था कि घंटी भी नहीं बजी थी, जिससे यह साबित होता है कि उनका समय पूरा हो चुका था।
उल्लेखनीय है कि पिछली नीति आयोग की बैठक में ममता बनर्जी एकमात्र ऐसी मुख्यमंत्री थीं, जो किसी गैर-राजग शासित राज्य से उपस्थित हुई थीं। उन्होंने उस बैठक में भाग लेने का निर्णय तब लिया था जब विपक्षी गठबंधन ‘इंडी’ के अधिकतर मुख्यमंत्री बैठक का बहिष्कार कर चुके थे। उनके इस फैसले को लेकर विपक्षी खेमे में यह चर्चा भी हुई थी कि कहीं तृणमूल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बीच कोई गुप्त समझौता तो नहीं है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि ममता बनर्जी आगामी 24 मई की बैठक में भाग लेती हैं या नहीं, और यदि नहीं, तो उसके पीछे क्या राजनीतिक संकेत छिपे हैं।