रांची: सीएनटी-एसपीटी संशोधन विधेयक को लेकर भाजपा के आदिवासी विधायकों और नेताओं ने चार घंटे तक गहन चिंतन-मनन किया। गुरुवार को प्रदेश भाजपा मुख्यालय में भाजपा के आदिवासी सांसद, विधायक और जनजाति मोर्चा के पदाधिकारियों ने सीएनटी-एसपीटी एक्ट से जुड़े तमाम पहलुओं पर खुलकर चर्चा की। खास तौर पर सीएनटी एक्ट की धारा 21 और एसपीटी एक्ट की धारा 13 को लेकर नेताओं ने अपने विचार रखे और कहा कि किसी भी हालत में आदिवासियों को किसी तरह का नुकसान न हो। सीएनटी-एसपीटी एक्ट के दायरे में आने वाली अन्य पिछड़ी जातियों को भी किसी तरह का नुकसान न हो।
भाजपा के विधायक शिवशंकर उरांव, प्रवक्ता जेबी तुबीद और लक्ष्मण टुडू ने विस्तार से अपनी बातों को बैठक में रखा। शिवशंकर उरांव ने सीएनटी-एसपीटी एक्ट की धारा 21 और 13 में संशोधन से पहले हर पहलू पर चर्चा करने की मांग की। उन्होंने कहा कि इन दोनों धाराओं में संशोधन होने से जमीन का नेचर बदलेगा और नेचर बदलते ही जमीन रैयत के हाथ से निकल जायेगी। बैठक में सभी पहलुओं पर चर्चा के बाद यह निष्कर्ष निकला की सीएनटी-एसपीटी एक्ट के दायरे में भाजपा के दूसरे मोर्चों के लोग भी आते हैं, खासकर ओबीसी, इसलिए सभी प्रभावित मोर्चा के पदाधिकारियों के साथ बैठक कर इस मामले में चर्चा की जाये और जो निष्कर्स निकले उसे सरकार को भेजा जाये।
झामुमो के कारण पैदा हुई भ्रम की स्थिति: लक्ष्मण गिलुआ
बैठक के बाद प्रेस को संबोधित करते हुए भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुआ ने कहा कि सीएनटी-एसपीटी एक्ट संशोधन पर आदिवासी सांसदों, विधायकों और एसटी मोर्चा के पदाधिकारियों ने अपनी भावना से पार्टी को अवगत करा दिया है। कई सुझाव आये हैं, अब बुद्धिजीवियों और अन्य लोगों से राय लेनी है। उन्होंने कहा कि झामुमो ने 2014 में सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन का प्रस्ताव लाया था, लेकिन जब रघुवर ने संशोधन किया, तो वह विरोध कर रहा है। इसके कारण राज्य में भ्रम की स्थिति पैदा हो गयी है। इन्हीं सब कारणों से दोबारा सीएनटी-एसपीटी एक्ट पर राय ली जा रही है। चर्चा के बाद प्रारूप तैयार किया जायेगा। इसके बाद ही दोबारा बिल भेजा जायेगा।
आदिवासी विधायकों की भावना के साथ सीएम
प्रदेश भाजपा मुख्यालय में बैठक खत्म होने के बाद मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा, लुइस मरांडी और एसटी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष सह विधायक रामकुमार पाहन अन्य कई पार्टी पदाधिकारियों के साथ मुख्यमंत्री आवास पहुंचे। इन लोगों ने सीएम से मिलकर बैठक में हुई चर्चा से अवगत कराया। बैठक में नेताओं ने सीएनटी की धारा 21 और एसपीटी की धारा 13 में संशोधन नहीं करने की बात रखी थी। सीएनटी की धारा 49 और 71 पर किसी तरह का गतिरोध नहीं है। सूत्रों के हवाले से यह खबर आ रही है कि सीएम ने पूरे मनोयोग से आदिवासी विधायकों और नेताओं की बात सुनी और कहा कि वही होगा, हर हाल में आदिवासियों के हित में होगा।
बैठक में ये थे मौजूद
बैठक में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुआ, सांसद सुदर्शन भगत, पूर्व सीएम अर्जुन मुंडा, मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा, लुईस मरांडी, विधायक शिवशंकर उरांव, रामकुमार पाहन, मेनका सरदार, गंगोत्री कुजूर, हरेकृष्ण सिंह, लक्ष्मण टुडू, पूर्व विधायक कमलेश उरांव, पुत्कर हेंब्रम, भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष समीर उरांव, प्रवक्ता जेबी तुबीद और एसटी मोर्चा के प्रदेश महामंत्री अशोक बड़ाईक समेत मोर्चा के कई पदाधिकारी मौजूद थे। सांसद कड़िया मुंडा और विधायक विमला प्रधान बैठक में नहीं पहुंचे थे।
3 को टीएसी की बैठक
प्राप्त जानकारी के अनुसार सरकार ने 3 जुलाई को टीएसी की बैठक बुलायी है। यह बैठक प्रोजेक्ट भवन में दिन के बारह बजे से होगी। इसमें सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन पर विचार होने की संभावना है।
इसमें जो राय बनेगी, वह विधेयक का आधार बनेगा और फिर से कैबिनेट में भेजा जायेगा। वहां से सदन में और फिर राजभवन।