नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बैंकिंग रेग्युलेशन संशोधन अध्यादेश 2020 पर मुहर लगा दी है। इस अध्यादेश पर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद देशभर के करीब 1540 को-ऑपरेटिव बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) की निगरानी के दायरे में आ गए हैं। दरअसल आम जनता का जमा पैसे की सुरक्षा के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस अध्यादेश को इसी हफ्ते मंजूरी दी थी।
वित्त मंत्रालय ने शनिवार को ट्वीट करके ये जानकारी दी है। बैंकिंग रेग्युलेशन संशोधन अध्यादेश 2020 पर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद देशभर के करीब 1540 को-ऑपरेटिव बैंक और मल्टी स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक आरबीआई के दायरे में आ गए हैं। इस अध्यादेश के जरिए बैंकिंग नियमन अधिनियम, 1949 में संशोधन किया गया है। इसके लागू होने से 8 करोड़ 60 लाख खाताधारकों की इन बैंकों में जमा राशि सुरक्षित होगी।
गौरतलब है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने को-ऑपरेटिव बैंक में जमाकर्ताओं की जमापूंजी की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए बैंकिंग नियमन (संशोधन) अध्यादेश, 2020 को मंजूरी दी थी। राष्ट्रपति ने मंत्रिमंडल के उस अध्यादेश पर अपनी मुहर लाग दी है। अध्यादेश के जरिए बैंकिंग नियमन अधिनियम की धारा 45 में भी संशोधन किया गया है, ताकि आम जनता, जमाकर्ताओं एवं बैंकिंग प्रणाली के हितों की रक्षा करने और उचित प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए किसी बैंकिंग कंपनी के पुनर्गठन या विलय की योजना बनाई जा सके।
को-ऑपरेटिव बैंक किसे कहा जाता है
देश में खेती एवं ग्रामीण इलाकों के लिए साख-सुविधाएं उपलब्ध कराने वाले सहकारी बैंकों यानी को-ऑपरेटिव बैंकों की स्थापना राज्य सहकारी समिति अधिनियम के अनुसार की जाती है। इनका रजिस्ट्रेशन “रजिस्ट्रार ऑफ को-ऑपरेटिव सोसाइटी के पास किया जाता है। को-ऑपरेटिव बैंक के जरिए किसानों, कारीगर मजदूर या दुकानदार को कर्ज देतीं हैं। वहीं जिला सहकारी बैंक, राज्य सहकरी बैंक और भूमि विकास बैंक भी को-ऑपरेटिव बैंक ही होते हैं।