रांची। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि झारखंड से बाहर जानेवाले मजदूरों का पूरा आंकड़ा अब सरकार रखेगी। सरकार का मानना है कि बाहर जानेवाले लोगों की पूरी जानकारी उसके पास होनी चाहिए। इसलिए हमने फैसला किया है कि अब जो भी लोग बाहर जायें, तो उसकी पुख्ता जानकारी सरकार को दें, ताकि उनके हितों की सुरक्षा की जा सके। यदि सरकार के पास पूरी जानकारी रहेगी, तो संकट काल में बाहर में फंसे लोगों की मदद आसानी से की जा सकेगी। उन्होंने बाहर जानेवाले मजदूरों से अपील की कि वे अपनी पूरी जानकारी सरकार को दें, ताकि उनके बारे में सरकार को पता रहे। गुरुवार को मीडिया से बात करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रवासी मजदूरों का आना लगातार जारी है। अभी यह नहीं कहा जा सकता है कि यह काम पूरा हो गया है।
एक सवाल के जवाब में सीएम ने कहा कि सरकार लॉकडाउन को धीरे-धीरे हटाने की दिशा में आगे बढ़ रही है। हर स्थिति का आकलन किया जा रहा है। उचित समय आने पर फैसला किया जायेगा। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन का नुकसान केवल एमएसएमइ या बड़े उद्योगों को ही नहीं हुआ है, बल्कि सरकार को भी बहुत घाटा हुआ है। इसकी भरपाई के लिए उपायों पर विचार किया जा रहा है।
सीएम ने कहा कि प्रवासी मजदूरों को सरकार यहीं काम देने की योजना पर काम कर रही है। प्राकृतिक संसाधन झारखंड में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं। इन संसाधनों से यहां के बेरोजगारों को रोजगार देने की दिशा में सरकार काम कर रही है। बेरोजगारों को इन संसाधनों से कैसे जोड़ा जाये, इस पर विचार किया जा रहा है। निजी क्षेत्र को कोयला खनन की अनुमति दिये जाने के केंद्र के फैसले पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि यह संसाधन झारखंड का है और इस पर पहला हक यहां के लोगों का है।

मलेशिया-अफ्रीका में दो झारखंडियों की मौत, सीएम ने विदेश मंत्री ने मांगी मदद
रांची। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर से आग्रह किया है कि लॉकडाउन के दौरान मलेशिया और अफ्रीका के मारूतानियां से दो झारखंडियों के शवों को लाने में मदद करे। इन दोनों की मौत लॉकडाउन के दौरान हो गयी है। रामेश्वर महतो मलेशिया में तथा महादेव सोरेन मारूतानियां में काम करते थे। दोनों के परिवार वाले शवों का इंतजार कर रहे हैं। इन दोनों की मौत की जानकारी मुख्यमंत्री को ट्विटर के माध्यम से दी गयी।
गिरिडीह की अतकी पंचायत के धावाटांड़ गांव निवासी रामेश्वर महतो (32) एक साल पहले मलेशिया गये थे। वह लाइरिको ट्रांसमिशन कंपनी में मजदूर थे और टावर फिटिंग करते थे। लॉकडाउन के कारण रामेश्वर वहीं फंस गये और छह अप्रैल को अचानक तबीयत खराब होने से मलेशिया के ही एक अस्पताल में उनकी मौत हो गयी। गांव में उनकी पत्नी पूनम देवी के अलावा दो बच्चे और माता-पिता हैं।
महादेव सोरेन हजारीबाग जिले की भेलवारा पंचायत के बिसुइया गांव के रहनेवाले थे। वह भी मजदूरी के लिए मरुतानियां गये थे। गांव में उनकी पत्नी मंजू देवी और चार बच्चे हैं।
मरुतानियां में वह कल्पतरु ट्रांसमिशन कंपनी में मजदूरी करते थे, मगर 26 अप्रैल को बाथरूम में पैर फिसल जाने से महादेव की मौत हो गयी।

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