राजीव
रांची। इन दिनों झारखंड के प्राथमिक शिक्षकों के माथे पर बल है। यह बल कोरोना संकट से उत्पन्न पस्थितियों के कारण आया है। लगातार सरकारी स्कूलों में पढ़ाई नहीं हो रही है। ऐसे में बच्चे भी स्कूल नहीं आ रहे हैं। इधर, किताबें छप कर स्कूलों तक पहुंचा दी गयी हैं। शिक्षकों को यह समझ नहीं आ रहा था कि आखिर किताब कैसे बांटी जाये। इस उलझन को सुलझाने के लिए सरकार ने आदेश दिया कि शिक्षक तमाम बच्चों के घर जाकर किताब पहुंचायें। इसके बाद तो शिक्षकों की परेशानी और बढ़ गयी। स्कूल का रजिस्टर लेकर मुहल्ले-मुहल्ले, घर-घर मास्टर साहब किताब लेकर पहुंचने लगे। कोई रिक्शा, कोई ठेला, तो ऑटो से किताब लेकर पहुंचने लगा। गांव में पदस्थापित शिक्षकों की स्थिति ज्यादा असहज नहीं हुई, कारण उसी गांव के बच्चे थे, लेकिन शहर में शिक्षकों को बच्चों का घर खोजने और किताब देने में खूब पसीना बहाना पड़ रहा है। सबसे अधिक परेशानी का सामना उन शिक्षकों को करना पड़ रहा है, जो दुर्गम, जंगली क्षेत्र में पदस्थापित हैं। वहां कुछ घर तो पहाड़ पर हैं, वहीं कुछ घर तक पहुंचने के लिए नदी-नाला भी पार करना पड़ता है। ऐसे में यहां पदस्थापित शिक्षक को बच्चों के द्वारे-द्वारे पहुंचने में काफी परेशानी हो रही है।
घर बैठे किताबों की पोटली देख बच्चों के चेहरे खिले
कोरोना महामारी के बीच बिन किताब बच्चे पढ़ नहीं पा रहे थे। इसी बीच भले ही एक आदेश ने शिक्षकों की परेशानी बढ़ा दी है, लेकिन इससे बच्चों को काफी राहत मिली है। अचानक जब मास्टर साहब किताबों की पोटली लेकर बच्चों के घर दस्तक दे रहे हैं, तो उनके चेहरे पर खुशी देखते बन रही है। अ•िाभावक भी हेमंत सरकार के इस फैसले का स्वागत कर रहे हैं। बता दें कि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले पहली से आठवीं कक्षा तक के बच्चों को शिक्षा विभाग की ओर से मुफ्त में किताबें मुहैया करायी जाती हैं।
किताब वितरण की सरकार कर रही मॉनिटरिंग
हर बच्चे के हाथ में किताब पहुंच जाये, इसकी लगातार मॉनिटरिंग सरकार कर रही है। समय-समय पर जिला शिक्षा अधीक्षक से इसकी रिपोर्ट भी ली जा रही है। इस माह के अंत तक बचे सभी बच्चों तक किताब पहुंचा देने का निर्देश दिया गया है।
शिक्षकों की परेशानी पर शिक्षक नेता नसीम अहमद कहते हैं कि घर-घर किताब पहुंचाने में काफी परेशानी है, लेकिन सरकार के आदेश के अनुसार कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए किताब का वितरण किया जा रहा है। दुर्गम क्षेत्रों के शिक्षक भारी परेशानी से जूझ रहे हैं।