• पुलिस ने जानबूझ कर के ग्रामीणों को गोली मारी
  • राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से मामले की जांच कराने की मांग करेगी भाजपा एसटी मोर्चा
  • परिजनों की हरसंभव सहायता करेगा मोर्चा
    रांची। लातेहार के पीरी गांव के टोला गैनाखड़ में नक्सलियों के साथ पुलिस (झारखंड जगुआर) की फर्जी मुठभेड़ थी। इसमें पुलिस ने सोची-समझी रणनीति के तहत जान-बूझ कर एक ग्रामीण की गोली मारी थी। जिन पर पुलिस ने गोलियां चलायी थीं वे नक्सली न होकर निरीह मासूम लोग थे। रविवार को ये बातें भाजपा एसटी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष शिवशंकर उरांव ने कहीं। वे प्रदेश भाजपा कार्यालय में आयोजित प्रेसवार्ता में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि इस घटना की जांच के लिए मोर्चा की ओर से एक जांच दल का गठन किया गया था और इस जांच दल ने 19 जून को घटनास्थल पर जाकर मामले की तफ्तीश की। जांच में पता चला कि ग्रामीण सरहुल से एक दिन पहले प्रथा के अनुसार जंगल शिकार खेलने जा रहे थे। तभी पुलिस की ओर से फायरिंग शुरू हो गयी। भुक्तभोगियों ने अपना हाथ उठा कर खुद को ग्रामीण बताया तब भी उन पर गोलियां बरसायीं गयीं। मृतक ब्रह्मदेव सिंह को पहली और दूसरी गोली जांघ तथा कमर में लगी, इससे वह घायल होकर गिर गया। इस दौरान वह जीवित था। इसके बाद झारखंड जगुआर के जवान उसे उठा कर नाला के उस पार जंगल में ले गये और उसकी कनपटी में तीन गोलियां मारकर उसकी हत्या कर दी। मोर्चा इस घटना की जांच की मांग करती है। इस घटना की जांच के लिए मोर्चा राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अलावा मानवाधिकार आयोग से भी आग्रह करेगा। उन्होंने कहा कि सरकार पीड़ित परिवार को तत्काल 20 लाख का मुआवजा दे और पीड़िता की पत्नी को सरकारी नौकरी दे। श्री उरांव ने कहा कि मोर्चा की ओर से भी पीड़ित परिवार की आर्थिक मदद की जायेगी। घटनास्थल पर ग्रामीणों से मिलनेवाले जांच दल में भाजपा एसटी मोर्चा के राष्टÑीय अध्यक्ष समीर उरांव, मोर्चा के अध्यक्ष शिव शंकर उरांव, प्रदेश प्रभारी राम कुमार पाहन, पूर्व विधायक हरि कृष्ण सिंह महामंत्री बिंदेश्वर उरांव, महामंत्री विजय कुमार, गीता बलमुचू, सुश्री अंजलि लकड़ा, रवि मुंडा, जनजाति मोर्चा के जिलाध्यक्ष मंगल उरांव, गारू मंडल के मोर्चा अध्यक्ष बुद्धेश्वर सिंह, सुरेंद्र भगत विशेश्वर सिंह, जगत सिंह, दिनेश्वर सिंह सहित कई ग्रामीण घटनास्थल पर जांच दल के साथ मौजूद थे।
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