भ्रम फैला रहे स्वार्थी तत्व : समय रहते सोशल मीडिया से फैलाये जा रहे वायरस की पहचान करना जरूरी

आज पूरा देश कोरोना महामारी से जूझ रहा है। रोजाना लाखों लोग कोरोना से संक्रमित हो रहे हैं। लेकिन कोरोना के साथ-साथ आज हमारे समाज में एक नया वायरस भी पनपने लगा है, जिसे लोग जान कर भी अंजान बने हुए हैं। यह नया वायरस लोगों के शरीर को संक्रमित नहीं करता, बल्कि यह लोगों को मानसिक रूप से संक्रमित करता है, जो आनेवाले समय में कोरोना से भी ज्यादा घातक हो सकता है। इस वायरस की उत्पत्ति भी कोरोना के साथ ही हुई है और इसे फैलाने वाले भी हम लोग ही है और यह वायरस 24 घंटे हम लोगों के साथ ही रहता है और यह धीरे-धीरे हम लोगों को मानसिक रूप से संक्रमित कर रहा है। यह वायरस कोई और नहीं, सोशल मीडिया द्वारा फैलायी जा रही नकारात्मक सूचना है, जो लोगों के मन-मस्तिष्क पर गहरा और बुरा असर डाल रही है। यह आने वाले दिनों में हमारे समाज और देश के सामने बहुत बड़ी चुनौती खड़ी कर सकती है। इसी वायरस की कुंडली खंगालती आजाद सिपाही के टीकाकार राहुल सिंह की विशेष रिपोर्ट।

कहा जाता है कि सूचना दोधारी तलवार की तरह होती है। सूचना से बड़ा कोई तंत्र नहीं होता और सूचना से बड़ा कोई प्रमाण नहीं होता। एक ओर इसका उपयोग रचनात्मक कार्यों में किया जा सकता है, तो दूसरी ओर भ्रम और कट्टरता फैलाने में भी किया जा सकता है। इस आधुनिक दौर में सोशल मीडिया की भूमिका को लेकर हमेशा सवाल उठते रहे हैं। आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक प्रगति में सूचना क्रांति ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है, किंतु सूचना क्रांति की ही उपज, सोशल मीडिया को लेकर उठनेवाले सवाल भी महत्वपूर्ण हैं। ये सवाल हैं-क्या सोशल मीडिया हमारे समाज में ध्रुवीकरण की स्थिति उत्पन्न कर रहा है?

आज के समय में सोशल मीडिया हर इंसान के जीवन का वह साथी बन गया है, जो उठते-बैठते और सोते-जागते उसके साथ रहता है। यह संचार का बहुत ही सशक्त माध्यम बन चुका है। सोशल मीडिया द्वारा विचारों, सामग्री, सूचना और समाचार को तीव्र गति से लोगों के बीच साझा किया जा सकता है। इसको एक तरफ जहां लोग वरदान मानते हैं, तो दूसरी तरफ लोग इसे एक अभिशाप के रूप में भी देखते हैं। सोशल मीडिया के सकारात्मक प्रभावों की बात की जाये, तो यह समाज के सामाजिक विकास में मदद करता है। इसके द्वारा प्रदत्त सोशल मीडिया मार्केटिंग जैसे उपकरण द्वारा लाखों संभावित ग्राहकों तक पहुंच स्थापित की जा सकती है और समाचार-सूचनाओं का प्रेषण किया जा सकता है। सामाजिक मुद्दों पर जागरूकता उत्पन्न करने के संदर्भ में सोशल मीडिया को एक बेहतरीन उपकरण माना जाता है। इसको शिक्षा प्रदान करने के संदर्भ में एक बेहतरीन साधन माना जा रहा है। इसके द्वारा आॅनलाइन जानकारी का तेजी से हस्तांतरण होता है। इसके द्वारा आॅनलाइन रोजगार के बेहतरीन अवसर प्राप्त होते हैं। साथ ही व्यवसाय, चिकित्सा, नीति निर्माण को प्रभावित करने में भी इसकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
अभी तक हम बात कर रहे थे सोशल मीडिया के सकारात्मक पहलू के बारे में। वहीं अगर हम दूसरी ओर देखें, तो सोशल मीडिया किसी टाइम बम से कम नहीं है। इसका नकारात्मक पहलू बहुत ही डरावना हो सकता है। आये दिन हम सोशल मीडिया में कई ऐसी खबरें देखते हैं, जो हमारे अंदर नकारात्मक विचार पैदा करती हैं और हमारी धार्मिक और वैचारिक भावनाओं को ठेस पहुंचाती है। सच तो यह है कि ऐसी खबरों का सच्चाई से कोई लेना-देना नहीं होता और यह सिर्फ और सिर्फ नकारात्मक मानसिकता वाले लोगों के दिमाग की उपज होती है। ऐसे ही उदासीन और नकारात्मक सोचवाले लोग इस प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल समाज में गंदगी और अराजकता फैलाने के लिए भी करते हैं। साथ ही कई लोग अपने स्वार्थ के लिए सोशल मीडिया पर अपने नकारात्मक विचार और बयान देकर नाम और प्रसिद्धि पाने की कोशिश करते हैं। उनकी मंशा सिर्फ और सिर्फ लोगों को गुमराह करने की होती है।

कोरोना काल में सोशल मीडिया को नकारात्मक विचारवाले लोग अपना हथियार बना चुके हैं। उन्हें समाज और देश की कोई परवाह नहीं होती। वे सिर्फ अपना स्वार्थ साधने की कोशिश में लगे रहते हैं। कोरोना महामारी के कारण न जाने कितने लोगों का रोजगार छिन गया। कितनों की पढ़ाई छूट गयी और कितनों का परिवार बिखर गया। लेकिन समाज में कुछ ऐसे भी लोग हैं, जिनके लिए कोरोना एक वरदान बन कर आया। ये लोग नकारात्मक प्रवृत्ति से पहले से ही संक्रमित थे। उन्होंने कोरोना को अवसर माना और सोशल मीडिया को अपना हथियार बना लिया। ज्यादातर युवा इस दलदल में कूद पड़े। कोई नाम और ख्याति के लिए, तो कोई सोशल मीडिया से पैसे कमाने के लिए। लक्ष्य था सिर्फ और सिर्फ अपने विषय पर ज्यादा से ज्यादा लाइक, कमेंट और व्यूज पाना। इन लोगों को यह पता था कि इस विपत्ति के समय में लोग ज्यादा से ज्यादा सोशल मीडिया पर समय बितायेंगे। उन लोगों को यह समझ आ गया था कि अभी के समय में लोगों का ध्यान सिर्फ और सिर्फ निगेटिव विषयों से ही खींचा जा सकता है और देखते ही देखते कुछ ही समय में सोशल मीडिया पर नकारात्मक विषयों की बाढ़ आ गयी। एक तरफ लोग कोरोना का दंश झेल रहे थे और जिंदगी-मौत के बीच जंग हो रही थी, वहीं इन लोगों ने मासूम लोगों की मौत और उनकी बेबसी का इस्तेमाल कर अपनी नकारात्मक सोच को सोशल मीडिया पर फैलाना शुरू कर दिया। यह देख ऐसा लगने लगा कि मानो हम किसी नर्क में जी रहे हों और हमारे बारे में सोचने वाला कोई नहीं। यहां तक कि जिन डॉक्टरों को इस धरती का भगवान कहा जाता है, उन्हें भी इन लोगों ने निशाना बना कर प्रसिद्धि पाने की कोशिश की। महामारी के चलते सरकार को मजबूरन लॉकडाउन जैसे कड़े कदम उठाने पड़े, जिस कारण कइयों की रोजी-रोटी छिन गयी। लेकिन सस्ती लोकप्रियता पाने के चक्कर में इन लोगों ने इसका भी मजाक बनाया और सरकार को घेरने की कोशिश की। अच्छा तो तब होता, जब ये लोग अपना स्वार्थ साधने की बजाय जरूरतमंदों की मदद करते और साथ ही देश के साथ खड़े होते। लेकिन ऐसे लोगों को तो सिर्फ अपनी राजनीतिक रोटी सेंकनी थी और सस्ती लोकप्रियता हासिल करनी थी। पिछले साल कोरोना के कारण सैकड़ों मजदूरों ने सड़क पर ही चलते-चलते दम तोड़ दिया। जिन लोगों ने इन मजदूरों का दर्द समझा, वे सामने आये और यथाशक्ति उनकी मदद की। लेकिन नकारात्मकता से संक्रमित लोग सोशल मीडिया पर बैठकर सिर्फ गंध फैलाते रहे और मजदूरों की लाशों पर अपने नाम और प्रसिद्धि का आशियाना बनाते गये।

गलती सिर्फ इन नकारात्मक सोच वालों की नहीं है। कहीं ना कहीं हम भी उन्हें बढ़ावा देते गये। उनके वीडियो को लाइक और शेयर करते गये। हमारी मदद से उन लोगों ने वह मुकाम हासिल कर लिया, जिसके लिए उन्होंने नकारात्मक विचार वाले वायरस का इस्तेमाल किया। अब यह वायरस लोगों के मस्तिष्क को संक्रमित करने लगा है।
सोशल मीडिया का दुरुपयोग और भी कई रूपों में किया जा रहा है। इसके जरिये न केवल सामाजिक और धार्मिक उन्माद फैलाया जा रहा है, बल्कि राजनीतिक स्वार्थ के लिए भी गलत जानकारियां पहुंचायी जा रही हैं। इससे समाज में हिंसा को तो बढ़ावा मिलता ही है, साथ ही यह हमारी सोच को भी नियंत्रित करता है। विश्व आर्थिक मंच की एक रिपोर्ट के अनुसार सोशल मीडिया के जरिये झूठी सूचना का प्रसार उभरते जोखिमों में से एक है। यकीनन यह देश की प्रगति की राह में रुकावट है और ऐसे में जरूरी हो जाता है कि हमारी सरकार इसमें दखल कर इस पर लगाम लगाने का प्रयास करे। इसलिए अब समय आ गया है कि कोरोना वायरस के साथ-साथ हम इस वायरस को भी पहचानें और इससे भी दूरी बनाने की कोशिश करें।

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