रांची। झारखंड की राजधानी रांची में हुए दंगे का कनेक्शन इस्लामिक कट्टरपंथी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) से जोड़कर पुलिस देख रही है। रांची पुलिस का दावा है कि जिस तरह घटना को अंजाम दिया गया है उससे पीएफआई का हाथ होने से इंकार नहीं किया जा सकता। हालांकि, पुलिस हर पहलुओं की जांच कर रही है।

पुलिस का दावा है कि जल्द ही उपद्रवियों को बेनकाब किया जाएगा। पुलिस यह भी दावा कर रही है कि रांची के सांप्रदायिक सौहार्द्र को बिगाड़ने के लिये यूपी से फंडिंग की गयी थी। इसलिए हिंसा के तार सीधे-सीधे पीएफआई से जुड़ते दिख रहे हैं। पीएफआई ने स्थानीय युवकों से संपर्क कर इस घटना की योजना बनायी। जुमे की नमाज के बाद लोगों को भड़का कर पत्थरबाजी के लिए प्रेरित किया।

रांची में पीएफआई के कनेक्शन की सूचना पुलिस को मिली है। उसी कनेक्शन की विशेष समुदाय के स्थानीय युवकों के गठजोड़ के कारण इस घटना को अंजाम दिया गया। दंगे में कई रोहिंग्या भी शामिल थे। शक की सूई रोहिंग्या पर भी जा रही है। झारखंड के कई हिस्सों में रोहिंग्या की उपस्थिति और सक्रियता के प्रमाण मिले हैं।

अप्रैल 2020 में धनबाद के बैंक मोड़ इलाके में तीन रोहिंग्या मुसलमानों को भी पकड़ा गया था। खुफिया विभाग के इनपुट पर लोहरदगा में भी कई रोहिंग्या के छिपकर रहने की सूचना पुलिस को मिली थी। खुफिया विभाग ने 12 लोगों के नाम पता की जानकारी दी थी, जिन पर आरोप था कि लोहरदगा के ये लोग रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों को छिपाकर रखा है।

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