रांची। लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद अब झारखंड के विधानसभा की सूरत भी बदली-बदली सी नजर आयेगी। कारण गांडेय विधानसभा के लिए हुए उपचुनाव का भी परिणाम आया। इसमें पूर्व सीएम हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन ने बाजी मारी। इस तरह से लोकसभा चुनाव और उप चुनाव के बहाने झारखंड विधानसभा की तस्वीर भी अब बदली दिखेगी। वर्तमान विधानसभा में अब एक दिलचस्प इतिहास बनता दिखेगा ,जब पति-पत्नी के तौर पर हेमंत सोरेन और कल्पना सोरेन भी सदस्य के तौर पर नजर आयेंगे। वैसे अभी बरहेट विधायक हेमंत सोरेन जेल में हैं। इस विधानसभा के समापन से पहले जमानत मिलने पर ही ऐसा संभव होगा, जब सदन के अंदर हेमंत और कल्पना साथ-साथ दिखें। झारखंड अलग राज्य गठन के बाद संभवत: यह पहली बार होगा जब विधानसभा के एक ही कार्यकाल में एक साथ पति और पत्नी भी दिखेंगे। अलग-अलग टर्म में भले ही मधु कोड़ा-गीता कोड़ा आये, पर एक साथ नहीं। इसके साथ ही सोरेन परिवार के कई सदस्य एक साथ होंगे। पति-पत्नी के अलावा देवर-भाभी, हेमंत-बसंत, सीता, कल्पना, देवरानी-जेठानी कल्पना-सीता जैसे रिश्ते भी वर्तमान विधानसभा में दिखेंगे।
हजारीबाग, धनबाद, मनोहरपुर, शिकारीपाड़ा सीट खाली
लोकसभा चुनाव के बहाने भाजपा और झामुमो के दो-दो विधायक अब सांसदी का सफर तय कर चुके हैं। इनमें हजारीबाग से मनीष जयसवाल, धनबाद से ढुल्लू महतो, नलिन सोरेन शिकारीपाड़ा और जोबा मांझी मनोहरपुर शामिल हैं। ऐसे में विधानसभा के भीतर चार सीटें इस विधानसभा के शेष कार्यकाल तक खाली ही नजर आयेंगी। ऐसे तो छह महीने से अधिक समय तक रिक्त सीटों पर चुनाव कराने का प्रावधान है, पर चूंकि दिसंबर महीने के आखिरी सप्ताह तक ही वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल शेष है। अब आगामी विधानसभा चुनाव के बाद ही कोई नया चेहरा इन सीटों पर दिखेगा।
सीता अब भी झामुमो की, तो जेपी भाजपा के
आगामी समय में वर्तमान विधानसभा का जब भी सत्र आहूत होगा तो सदन के भीतर नजारा दिलचस्प होगा। सीता सोरेन ने लोकसभा चुनाव से पूर्व झामुमो छोड़ भाजपा ज्वाइन कर ली थी। इसके बाद पार्टी ने उन्हें निष्कासित भी कर दिया था। सीता ने भाजपा की टिकट पर दुमका लोकसभा सीट से ताल ठोका था, जिसमें वे झामुमो विधायक नलिन सोरेन से हार गयीं।
लोबिन हेंब्रम ने भी अपनी पार्टी झामुमो से बगावती रूख अख्तियार करते राजमहल सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा था पर हार गये। उनके रवैये पर झामुमो ने उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया, पर विधानसभा को इससे मतलब नहीं। ऐसे में सदन के भीतर फिर से लोबिन भी झामुमो विधायकों संग दिखेंगे। चमरा लिंडा को झामुमो ने निलंबित कर दिया था। वे लोहरदगा सीट पर चुनाव लड़े थे, जहां कांग्रेस के सुखदेव भगत विजयी हुए। इन सबके बावजूद अब सदन के भीतर चमरा सत्तापक्ष की तरफ से ही नजर आयेंगे। सबसे ज्यादा दिलचस्प नजारा विधायक जेपी पटेल के मामले में दिखेगा। उन्होंने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा छोड़ कांग्रेस की सदस्यता ले ली थी और हजारीबाग से ताल ठोका था। हालांकि जीत उनके नसीब में नहीं आयी। अब जब उनके खिलाफ नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी ने स्पीकर के पास दलबदल का मामला दर्ज कराया है, तो देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा उनके साथ कैसे चलती है। चूंकि स्पीकर के पास बाबूलाल मरांडी, प्रदीप यादव जैसे विधायकों के दलबदल का मामला पिछले कई सालों से लंबित ही है तो ऐसे में जेपी पटेल का मामला भी अभी लंबा खींचे जाने की आशंका है। ऐसी स्थिति में पटेल एक बार फिर सदन के भीतर भाजपा की ओर ही बैठे दिखेंगे।
व्हीप का पालन होगा जरूरी
सीता सोरेन, लोबिन हेंब्रम, चमरा लिंडा हो या जेपी पटेल सबों को अपनी-अपनी पार्टी की ओर से जारी व्हीप का पालन करना ही होगा। सदन के भीतर चाहे वे झामुमो विधायक के तौर पर हों या भाजपा के, अपनी-अपनी पार्टी के स्तर से जारी व्हीप का पालन संवैधानिक बाध्यता होगी। हालांकि ऐसा नहीं करने पर जरूरी प्रावधानों के तहत उन पर अनुशासनात्मक और वैधानिक कार्रवाई भी हो सकती है।