रांची। सिंहभूम सीट से जोबा मांझी को भारी मतों के अंतर से जीत दिलाकर मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन अपना गढ़ और अपनी प्रतिष्ठा दोनों बचाने में सफल रहे हैं। झामुमो सूत्रों की मानें, तो सिंहभूम सीट से जोबा मांझी को प्रत्याशी बनाने में सीएम चंपाई सोरेन और पूर्व सीएम हेमंत सोरेन की रजामंदी थीण् जब जोबा मांझी को सिंहभूम के चुनावी अखाड़े में उतारे गया, तो कयास लगाया जा रहा था कि चूंकि वे हो आदिवासी समाज से नहीं हैं।
इसलिए झामुमो ने कमजोर प्रत्याशी देकर बड़ी भूल की। इतना ही नहीं, इस मामले को लेकर लेकर सीएम चंपाई सोरेन और जोबा मांझी ने जेल में बंद हेमंत से मुलाकात भी की। इसके बाद ये दोनों इतना ज्यादा सक्रिय हुए और पीछे मुड़ कर नहीं देखा। सिंहभूम सीट जीतना सीएम चंपाई के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया। फिर क्या था, सीएम चंपाई ने ताबड़तोड़ चुनावी सभाएं कीं। 17 बड़ी चुनावी सभाएं कीं। 150 से अधिक छोटी-छोटी नुक्कड़ सभाएं कीं। अंतिम समय तक सीएम चंपाई सिंहभूम में ही कैंप किये रहे।
कहीं भी प्रचार के लिए जाते थे, लेकिन शाम होते-होते वे सिंहभूम वापस आ जाते थे। यहां तक कि अंतिम चरण संथाल के चुनाव में सीएम नहीं गये। अंतत: सीएम चंपाई अपनी प्रतिष्ठा बचाने में सफल रहे और कांग्रेस की पूर्व सांसद और वर्तमान में भाजपा से चुनाव लड़ रहीं गीता कोड़ा को पटकनी देने में सफल रहे। जोबा ने भारी मतों के अंतर से गीता को हराकर सीएम की प्रतिष्ठा पर आंच नहीं आने दी।