विशेष
-चुनाव आयोग भी गंभीर, जांच कर नाम शामिल करने का दिया निर्देश
नमस्कार। आजाद सिपाही विशेष में आपका स्वागत है। मैं हूं राकेश सिंह।
देश में आम चुनाव संपन्न हो गया है और 18वीं लोकसभा के गठन के अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नयी सरकार ने कामकाज संभाल भी लिया है। चुनाव परिणामों की राजनीतिक दलों द्वारा अपने-अपने हिसाब से समीक्षा की जा रही है, हार-जीत के कारणों का पता लगाने की कोशिश की जा रही है, लेकिन इन तमाम कसरतों में एक बात की तरफ हर किसी का ध्यान जा रहा है। यह है मतदाता सूची में गड़बड़ी। स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की पहली शर्त त्रुटिरहित मतदाता सूची है, लेकिन चुनाव आयोग की तमाम मुस्तैदी के बावजूद अब यह तथ्य सामने आ रहा है कि झारखंड समेत देश भर में मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई, यानी इस चुनाव में मतदाता सूची ने बड़ा खेल किया है। यदि केवल झारखंड को ही लिया जाये, तो रांची समेत कई संसदीय क्षेत्रों में मतदाता सूची में गड़बड़ी की बातें पुख्ता रूप से सामने आयी हैं। कई मतदाताओं ने भी चुनाव आयोग के पास शिकायतें भेजी हैं। कई संसदीय क्षेत्रों की मतदाता सूची में हजारों लोगों के नाम गायब हैं। रांची में तो भाजपा प्रत्याशी ने इसकी औपचारिक शिकायत भी की कि करीब एक लाख से अधिक वोटरों के नाम इस बार मतदाता सूची में नहीं हैं। इसी तरह राजमहल में भी मतदाता सूची से मतदाताओं के नाम गायब होने की शिकायत की गयी है। विधायक अनंत ओझा ने राजमहल सीट से भाजपा की हार के पीछे यही कारण बताया है। गोड्डा और दुमका से भी ऐसी शिकायतें मिल रही हैं। इन शिकायतों की जांच जरूरी है, क्योंकि अब विधानसभा चुनाव होना है। हालांकि चुनाव आयोग ने इस गड़बड़ी को दूर करने की दिशा में प्रयास शुरू कर दिये हैं, उसने बीएलओ को घर-घर जाकर सत्यापन करने को कहा है। अधिकारियों को भी निर्देश दिया गया है कि विधानसभा चुनाव से पहले तमाम तरह की त्रुटियों को दूर कर लिया जाये, लेकिन राजनीतिक दलों को भी इस मोर्चे पर गंभीरता से काम करने की जरूरत है। झारखंड में मतदाता सूची में क्या गड़बड़ी हुई और इसके कारण चुनाव परिणाम पर क्या असर पड़ा, बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।
दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में लोकतंत्र का सबसे बड़ा पर्व, यानी आम चुनाव संपन्न हो गया है। 18वीं लोकसभा के लिए हुए चुनाव में करीब 62 करोड़ लोगों ने वोट डाल कर इस महापर्व में अपनी भूमिका अदा की, यह बहुत बड़ी बात है। चुनाव आयोग के अनुसार यह एक विश्व रिकॉर्ड है। वाकई 140 करोड़ लोगों के देश में बिना किसी विघ्न-बाधा के चुनाव संपन्न करा लेना एक प्रशंसनीय काम तो है, लेकिन इसके बावजूद एक बात, जो अब सामने आ रही है, वह यह है कि इस चुनाव में भी मतदाता सूची में बहुत सारी गड़बड़ी बरती गयी। यह गड़बड़ी जान-बूझ कर नहीं बरती गयी होगी, लेकिन शिकायतों पर गौर करने से एक बात साफ हो जाती है कि इस गड़बड़ी की तरफ न तो चुनाव आयोग ने ध्यान दिया और न ही राजनीतिक दलों ने इसकी गंभीरता को समझा।
झारखंड में 25 लाख वोटरों के नाम गायब होने का आरोप
जहां तक झारखंड का सवाल है, तो यहां के 14 संसदीय क्षेत्रों में से कई क्षेत्रों से यह शिकायत मिली कि मतदाता सूची से लोगों के नाम गायब हैं। ऐसी चर्चा है कि पूरे झारखंड में इस चुनाव में लगभग 25 लाख वोटरों का नाम या तो हटा दिया गया या डिलीट कर दिया गया था। यह जानबूझ कर किसी ने किया या फिर तकनीकी कारणों से ऐसा हुआ, यह स्पष्ट नहीं हो पाया है। जांच के बाद ही स्थिति स्पष्ट होगी।
रांची में संजय सेठ ने की थी शिकायत
रांची से भाजपा प्रत्याशी संजय सेठ ने शिकायत की थी कि करीब एक लाख वोटरों के नाम गायब हैं, जो उनके समर्थक थे। रांची से हालांकि संजय सेठ 1.20 लाख से अधिक वोटों के अंतर से जीत गये, लेकिन उनकी जीत का अंतर पिछली बार के मुकाबले कम हो गया। संजय सेठ ने कहा था कि भारी संख्या में लोग उनके पास यह शिकायत लेकर आ रहे हैं कि वोटर लिस्ट से उनके नाम गायब हो गये हैं, जबकि पिछली बार उन्होंने मतदान किया था।
राजमहल में अनंत ओझा ने लगाया आरोप
इसी तरह की शिकायत राजमहल लोकसभा क्षेत्र से भी आयी है। वहां के भाजपा विधायक अनंत ओझा की मानें, तो वहां की मतदाता सूची से बड़ी संख्या में मतदाताओं के नाम हटा दिये गये थे। उन्होंने कहा कि सिर्फ राजमहल विधानसभा क्षेत्र की मतदाता सूची से ही आठ से 10 हजार नाम उड़ा दिये गये हैं। उन्होंने चुनाव आयोग से इसकी शिकायत भी की है। बता दें कि राजमहल लोकसभा सीट से ताला मरांडी को भाजपा की तरफ से उम्मीदवार बनाया गया था। उन्हें जेएमएम के विजय हांसदा ने पराजित किया। भाजपा विधायक ने कहा कि मतदाता सूची से नाम उड़ा देने के कारण हजारों की संख्या में लोग मतदान से वंचित हो गये थे। एक तरफ चुनाव आयोग शत-प्रतिशत मतदान की बात कहता रहा, तो दूसरी तरफ इतनी बड़ी संख्या में मतदाता मतदान नहीं कर पाये। राजमहल विधानसभा क्षेत्र से हर चुनाव में बढ़त बनाने वाली भाजपा इस बार लोकसभा चुनाव में 3597 वोटों से पिछड़ गयी। इसके बाद भाजपा नेताओं ने इसकी पड़ताल शुरू की, तो यह बात सामने आयी।
गोड्डा के जरमुंडी में दो सौ ग्रामीण नहीं दे पाये वोट
इसी तरह गोड्डा लोकसभा क्षेत्र के जरमुंडी विधानसभा क्षेत्र के नोआमुंडी गांव के करीब दो सौ मतदाताओं का नाम मतदाता सूची से गायब होने की शिकायत मिली है। जब गांव के निवासी बूथ पर अपना वोट डालने पहुंचे, तो बताया गया कि उनका नाम मतदाता सूची में नहीं है। ग्रामीणों ने बताया की वे वर्षों से वोट डालते आ रहे हैं। कैसे उनका नाम कट गया। इस पर प्रशासन की ओर से कहा गया कि वे लोग अब कुछ नहीं कर सकते। इस संदर्भ में तत्काल शिकायत भी दर्ज करायी गयी।
क्या कहा था चुनाव आयोग ने
लोकसभा चुनाव से पहले 22 जनवरी को चुनाव आयोग ने कहा था कि झारखंड में अंतिम मतदाता सूची का प्रकाशन हो गया है। चुनाव आयोग ने बताया था कि इस बार छह लाख 55 हजार 375 आवेदन मिले हैं, जिन्होंने मतदाता सूची से अपना नाम हटाने का आग्रह किया है। इनमें से तीन लाख 37 हजार 423 मतदाताओं की मौत हो चुकी है, जबकि एक लाख 20 हजार 269 वोटर दूसरी जगह शिफ्ट हो गये हैं। इसके अलावा एक लाख 97 हजार 683 लोगों के नाम वोटर लिस्ट में एक से अधिक बार दर्ज थे। झारखंड की अंतिम मतदाता सूची में एक करोड़ 29 लाख 37 हजार 458 पुरुष, एक करोड़ 24 लाख 48 हजार 225 महिला और 469 थर्ड जेंडर वोटर हैं। इस तरह झारखंड में कुल मतदाताओं की संख्या दो करोड़ 53 लाख 86 हजार 152 है।
शिकायत दूर करने में जुटा चुनाव आयोग
लोकसभा चुनाव में मतदाताओं के द्वारा मिली शिकायत के बाद चुनाव आयोग मतदाता सूची को दुरुस्त करने में जुट गया है। आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए आयोग अब शिकायतों के निराकरण की कोशिश कर रहा है। मतदाता सूची में गलत ढंग से नाम हटाने की मिली शिकायतों पर नियमानुसार सत्यापन कर इसे दुरुस्त करने के निर्देश दिये गये हैं। इसके अतिरिक्त छूटे गये नाम मतदाता सूची में शामिल करने के लिए व्यापक अभियान चलाया जायेगा।
राजनीतिक दलों की सुस्ती खतरनाक
मतदाता सूची में गड़बड़ी के बारे में राजनीतिक दलों की सुस्ती भी खतरनाक है। यह दलों के लिए तो नुकसानदेह है ही, साथ ही लोगों को भी उनके मताधिकार से वंचित करता है। सभी दलों ने बूथ स्तर पर प्रभारी नियुक्त किये हैं और उनका पहला काम तो यही होता है कि मतदाताओं को घर से निकाल कर बूथ तक लायें। लेकिन शायद ही किसी कार्यकर्ता ने मतदाता सूची में गड़बड़ी की तरफ ध्यान दिया। भाजपा ने तो पन्ना प्रमुख बना कर इसका खूब प्रचार किया था और दावा किया गया था कि प्रत्येक बूथ पर पन्ना प्रमुख से लेकर कार्यकर्ता तक सक्रिय हैं। लेकिन हकीकत कुछ और थी। पन्ना प्रमुख तो बनाये गये, लेकिन उन्होंने इस बात का ध्यान भी नहीं रखा कि किसका नाम मतदाता सूची से कट गया है और किसका जोड़ना है। दूसरे दलों ने भी इस तरफ ध्यान नहीं दिया। अब समय आ गया है, जब राजनीतिक दलों को इस तरफ सक्रिय होना पड़ेगा और लोगों का नाम मतदाता सूची में जोड़ने के लिए अपने स्तर से अभियान शुरू करना होगा। मुहल्ले-मुहल्ले में शिविर लगा कर छूटे हुए नामों को जुड़वाना पड़ेगा। यदि ऐसा नहीं हुआ, तो फिर मतदाता सूची में गड़बड़ी की शिकायतें ऐसे ही मिलती रहेंगी, लोग अपने मताधिकार से वंचित होते रहेंगे।