रांची। राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने सोमवार को धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की 125वीं पुण्यतिथि के पर कोकर स्थित उनके समाधि स्थल पर जाकर माल्यार्पण किया और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। राज्यपाल ने इस अवसर पर भगवान बिरसा मुंडा के महान योगदान को नमन किया और कहा कि उनका जीवन हम सभी के लिए प्रेरणास्रोत है। उन्होंने कहा कि धरती आबा का साहस, संघर्ष और मातृभूमि के प्रति समर्पण सभी को अपने कर्तव्यों के प्रति दृढ़ संकल्पित होने की प्रेरणा देता है।

इससे पहले राज्यपाल ने राजभवन में भी भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर राज्यपाल के अपर मुख्य सचिव डॉ. नितिन कुलकर्णी सहित राजभवन के अन्य पदाधिकारियों एवं कर्मियों ने भी भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धा-सुमन अर्पित किए। राज्यपाल ने शहर के बिरसा चौक स्थित भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर भी पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी और उनको नमन किया।

उल्लेखनीय है कि झारखंड में खूंटी के उलिहातू गांव में 15 नवंबर 1875 को जन्मे बिरसा मुंडा को धरती आबा (पृथ्वी के पिता) के नाम से जाना जाता है। बिरसा मुंडा भारत के एक प्रसिद्ध आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह किया और आदिवासियों को उनके अधिकारों के लिए जागरूक किया। इसीलिए उन्हें भगवान कहा जाता है।

भगवान बिरसा मुंडा ने 19वीं सदी के अंत में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन और सामाजिक अन्याय के खिलाफ ऐतिहासिक विद्रोह ‘उलगुलान’ का नेतृत्व किया। ब्रिटिश सरकार को आदिवासी क्षेत्रों में सुधारों के लिए मजबूर किया और उनसे प्रयासों ने छोटानागपुर टेनेंसी एक्ट लागू करने में अहम भूमिका निभाई। 9 जून 1900 को रांची जेल में संदिग्ध परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गई। लेकिन भगवान बिरसा मुंडा की विरासत आज भी आदिवासी समुदायों के लिए प्रेरणास्रोत है और उनके विचार आज भी प्रासंगिक बने हुए हैं।

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