रांची: आमतौर पर लोकसभा चुनाव में वोट देते समय जनता की महती इच्छा होती है कि जिन्हें वे बतौर सांसद चुनने जा रहे हैं, वे लोकसभा में उनकी आवाज बनेंगे। लोकतंत्र के मंदिर में उनकी समस्याओं को उठायेंगे और उनका समाधान भी करायेंगे। यही बात जनप्रतिनिधि भी वोट मांगते हुए कहते हैं। ये जनप्रतिनिधि रामराज देने का दावा भी करते हैं, लेकिन दुर्भाग्य देखिये कि जैसे ही जनता उन्हें वोट रूपी मुहर लगा देती है, वे अपने वादे भूल जाते हैं। जैसे ही उन्हें सारी संसदीय सुविधाएं मिल जाती हैं, वे जनता और अपने कर्तव्यों से विमुख हो जाते हैं। वे अपने घर-परिवार और निजी जिंदगी को ही ज्यादा समय देने लगते हैं। सदन उनकी प्राथमिकता में कहीं पीछे छूट जाता है। झारखंड में तो स्थिति और भी खराब है। झामुमो के सांसद, तो संसद में जाना अपना फर्ज तक नहीं समझते। दिशोम गुरु शिबू सोरेन की तो उम्र हो गयी है। हम उनकी बात नहीं करेंगे, क्योंकि उन्होंने झारखंड को बहुत कुछ दिया है। उनके योगदान को झारखंड कभी भुला नहीं सकता। हमारी मंशा भी नहीं है कि उनकी कर्तव्यनिष्ठा और योग्यता पर सवाल उठायें। परंतु हैरानी है झामुमो के सांसद विजय हांसदा के बारे में जान कर जो राज्य के सांसदों में उपस्थिति के मामले में सबसे पीछे रहे हैं। लोकसभा से उनकी गैर मौजूदगी का कोई कारण भी समझ में नहीं आता।
मात्र 5 सांसदों की 100 फीसदी उपस्थिति
लोकसभा के 545 सांसदों में मात्र 5 एमपी ही ऐसे हैं, जिन्होंने सदन में अपनी 100 फीसदी उपस्थिति दर्ज करायी है। उत्तरप्रदेश के बांदा से सांसद भैरों प्रसाद मिश्रा ने सदन की 1468 डिबेट और चर्चा में शिरकत की है और सदन में उनकी उपस्थिति 100 फीसदी है। सांसदों की उपस्थिति पर नजर रखने वाली गैर सरकारी संस्था पीआरएस लेजिस्लेटिव के मुताबिक लगभग 133 सांसद लोकसभा की 90 फीसदी से ज्यादा बैठकों में मौजूद रहे, जबकि सांसदों की उपस्थिति का राष्ट्रीय औसत 80 है।
राहुल से बेहतर सोनिया की उपस्थिति
इस आंकड़े के मुताबिक कुछ समय तक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझने के बावजूद सोनिया गांधी, राहुल से ज्यादा बैठकों में लोकसभा में मौजूद रहीं। सोनिया की उपस्थिति का आंकड़ा 59 फीसदी है, जबकि राहुल गांधी 54 फीसदी बैठकों में लोकसभा में मौजूद रहे। लोकसभा में 100 फीसदी मौजूद रहने वाले दूसरे चार सांसद हैं, जगतसिंहपुर से बीजेडी सांसद कुलमणि समल, उत्तर मुंबई से बीजेपी सांसद गोपाल शेट्टी, अहमदाबाद पश्चिम से सांसद कीर्ति सोलंकी, सोनीपत से सांसद रमेश चंदर।
अनुपस्थिति का रिकार्ड भाजपा के ज्ञान के नाम
लोकसभा में डिंपल यादव का अटेंडेंस रिकॉर्ड काफी खराब रहा और वो सदन की मात्र 35 फीसदी बैठकों में मौजूद रहीं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ, का लोकसभा में 72 फीसदी अटेंडेंस रिकॉर्ड रहा है। लोकसभा में सबसे कम उपस्थिति रही एमपी से बीजेपी सांसद ज्ञान सिंह की। सांसद ज्ञान सिंह ने लोकसभा की मात्र 8 फीसदी बैठकों में ही शिरकत की।
उपस्थिति के मामले में सांसद फिसड्डी
देश की संसद में वेतन बढ़ोत्तरी पर एक साथ हाथ खड़ा कर समर्थन करने वाले माननीय सांसद अपनी उपस्थिति के मामले में फिसड्डी साबित हो रहे हैं। झारखंड के मुख्य विपक्षी दल झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) सुप्रीमो सह-दुमका सांसद शिबू सोरेन की 16वीं लोकसभा में तीन सालों में उपस्थिति मात्र 31 प्रतिशत रही। इस दौरान उन्होंने न तो किसी परिचर्चा में हिस्सा लिया, न कोई मुद्दा उठाया एवं न ही किसी तरह का प्रश्न पूछा। संसद में सबसे कम उपस्थिति वाले झारखंड के सांसदों में झामुमो के ही राजमहल के सांसद विजय कुमार हांसदा हंै, जो तीन वर्ष की अवधि के दौरान 66 दिन ही संसद पहुंचे। राज्य के एक भी लोकसभा सदस्य की 100 फीसदी हाजिरी नहीं रही। झामुमो अध्यक्ष शिबू सोरेन 2017 के दो सत्रों में पांच दिन हाजिर रहे। 2017 में 29 दिन के संसद में दो सत्र चले। पहला 31 जनवरी और दूसरा 9 मार्च से शुरू हुआ था।