पटना: आखिरकार बिहार के महागठबंधन में महीनों से चले आ रहे विवाद का अंत सीएम नीतीश कुमार के इस्तीफे से हुआ। बुधवार को राज्यपाल से मुलाकात कर नीतीश ने उन्हें अपना इस्तीफा तो सौंपा ही, लालू यादव समेत पूरे विपक्ष पर जोरदार हमला भी बोला। नीतीश कुमार ने कहा कि वह अपनी तरफ से प्रयत्न कर थक गये, लेकिन तेजस्वी पर लगे करप्शन के आरोपों पर आरजेडी ने तस्वीर नहीं साफ की। नीतीश ने कहा कि ऐसे में उन्होंने अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनी और इस्तीफा दे दिया। नीतीश ने बेनामी संपत्ति मामले में फंसे आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव और उनके परिवार पर तो हमला बोला ही विपक्षी एकता पर भी तंज कसा।
नीतीश कुमार ने बुधवार शाम राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी से मिलने के बाद राजभवन के बाहर पत्रकारों से बात की। नीतीश ने आगे के कदम का खुलासा तो नहीं किया, लेकिन उन्होंने यह भी इशारा किया कि सारे रास्ते खुले हुए हैं। नीतीश कुमार ने कहा, ‘जितना संभव हुआ है, हमने गठबंधन धर्म का पालन करते हुए उसी के मुताबिक काम करने की कोशिश की। बिहार में सामाजिक परिवर्तन की बुनियाद रखी गयी, शराब बंदी को लागू किया। पहले से चल रही योजनाएं भी आगे बढ़ीं।’
नीतीश कुमार ने कहा कि उन्होंने राज्यपाल से मुलाकात के पहले ही इस्तीफे की जानकारी लालू और कांग्रेस को भी दे दी। नीतीश ने काफी चतुराई से महागठबंधन की टूट का पूरा ठीकरा लालू और कांग्रेस के माथे पर फोड़ दिया। नीतीश ने कहा, ‘हमारी करीब एक तिहाई सरकार चल चुकी है। इस बीच में जो तस्वीर बनी, अब उस माहौल में मेरे लिए गठबंधन का नेतृत्व करना संभव नहीं था। मैंने इसे बचाये रखने के लिए पूरी कोशिश की। मैंने किसी से इस्तीफा नहीं मांगा। हमारी लालू और तेजस्वी से भी बात हुई। हमने उनसे यही कहा कि जो आरोप लग रहे हैं, उन पर सफाई दीजिए। आम जनता के बीच में जो छवि बन रही है, उसे साफ करने के लिए सफाई जरूरी थी। ऐसा भी नहीं हुआ। ऐसे में काम करना भी मुश्किल हो गया। हमने अपनी तरफ से गठबंधन धर्म का पालन करने की कोशिश की। इसके बाद जब मैंने पूरा मामला देखा तो मेरी अंतरात्मा से यही आवाज आयी कि अब ऐसे नहीं चल सकता। नीतीश ने अंत में कहा, हमने देख लिया कि कोई रास्ता नहीं है, तो खुद ही पद त्यागो। आज मैंने खुद को अलग कर लिया है। राज्यपाल महोदय ने मेरे त्यागपत्र को स्वीकार कर लिया है। आगे क्या होगा, कब होगा, कैसा होगा, यह सब आगे पर छोड़ दीजिए।
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