रांची। रांची-जमशेदपुर एनएच फोरलेनिंग के निर्माण में घपले की जांच सीबाआइ करेगी। इस सड़क का निर्माण रांची एक्सप्रेस वे (मधुकॉन)कंपनी कर रही है। इस पर बार-बार यह आरोप लग रहा था कि इसने सरकार से पैसे ले लिये हैं और निर्माण को अधूरा लटका दिया है। हाइकोर्ट ने बुधवार को सीबीआइ के जवाब को देखते हुए यह आदेश पारित किया। कोर्ट ने सीबीआइ को निर्देश दिया कि वह इस मामले में पीइ (प्रारंभिक जांच) दर्ज कर तीन माह में कोर्ट में सीलबंद जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करे। हालांकि कोर्ट ने साथ में यह भी कहा कि जांच का दायरा तीन माह से भी ज्यादा हो सकता है। सीबीआइ की ओर से कहा गया था कि वह जनहित को देखते हुए इस मामले की जांच करने को तैयार है। मामले की सुनवाई हाइकोर्ट के न्यायमूर्ति अपरेश कुमार सिंह की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में हुई।
बता दें कि इस सड़क निर्माण को लेकर हाइकोर्ट लगभग एक साल से मॉनिटरिंग कर रहा है। कई बार इस मामले में कोर्ट ने सरकार, एनएचआइ और निर्माण कंपनी को निर्देश भी दिया, परंतु सभी एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप में लगे रहे। अंतत: कोर्ट ने मामले की जांच सीबीआइ से कराने का आदेश दे दिया है।
असीमित समय तक काम को छोड़ा नहीं जा सकता
मामले में कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि यह सड़क जनहित से जुड़ा मुद्दा है। संवेदक कंपनी, बैंक, एनएचएआइ, राज्य सरकार सहित सभी प्रतिवादी एक-दूसरे पर इसके निर्माण की जिम्मेवारी के संबंध में फेंका-फेंकी न करें। इस सड़क के निर्माण में 87 प्रतिशत राशि खर्च हो चुकी है, लेकिन काम 50 प्रतिशत भी नहीं हुआ है। कोर्ट असीमित समय तक इस सड़क के निर्माण के काम को छोड़ नहीं सकती है। यह काम रूकना नहीं चाहिए।
एनएचएआइ ने कहा
एनएचएआइ की ओर से कोर्ट में आवेदन देकर संवेदक कंपनी को हटाने का आदेश देने का आग्रह किया गया। इस पर कोर्ट ने संवेदक कंपनी एवं संबंधित बैंक को नौ अगस्त तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। एनएचएआइ की ओर से वरीय अधिवक्ता अनिल कुमार सिन्हा ने कहा कि बोर्ड ने संवेदक कंपनी को काम से हटाने का निर्णय ले लिया है। लेकिन इस काम में संवेदक कंपनी को नोटिस समेत अन्य कार्यवाही में एक साल का समय लग सकता है। इसे देखते हुए कोर्ट संवेदक कंपनी को हटाने का आदेश जारी करे।
संवेदक कंपनी ने कहा
संवेदक कंपनी की ओर से कहा गया कि उसके पास मशीनरी की कोई कमी नहीं है। सरकार की ओर से जमीन का अधिग्रहण, माइनिंग लीज का नहीं मिलना जैसी कई समस्याओं पर एनएचएआइ के द्वारा ध्यान नहीं दिया गया। इस कारण उसे काम करने में कठिनाई हुई। एनएचएआइ की ओर से उसे काम पूरा करने को लेकर एकमुश्त राशि देने की बात भी कही गयी थी। एनएचएआइ भी इस काम के विलंब में जिम्मेदार है।
एसएफआइओ ने जांच रिपोर्ट में निर्माण कार्य में बतायी थी गड़बड़ी
एसएफआइओ ने जमशेदपुर एनएच फोरलेनिंग के निर्माण की प्रारंभिक जांच की थी, जिसकी सीलबंद रिपोर्ट कोर्ट को सौंपी गयी थी। एसएफआइओ ने अपनी जांच रिपोर्ट में उक्त निर्माण कार्य में राशि में गड़बड़ी की बात कही है और जांच की जरूरत बतायी है।