अजय शर्मा
रांची। राज्य में सियासत के केंद्र में आ चुके हूल क्रांति के नायक शहीद सिदो-कान्हू के वंशज रामेश्वर मुर्मू की मौत की गुत्थी सुलझाना झारखंड पुलिस के लिए आसान नहीं है। साहेबगंज के भोगनाडीह गांव के रहनेवाला रामेश्वर मुर्मू का शव 12 जून को एक खेत में मिला था। चौकीदार की सूचना पर पुलिस ने सबसे पहले अप्राकृति मौत का मामला दर्ज किया था। शव का पोस्टमार्टम कराने के बाद उसे परिजनों को सौंप दिया गया था। परिजनों ने रीति-रिवाज के अनुसार शव को दफना दिया था। पुलिस को लगा कि यह अस्वाभाविक मौत है।
पांच दिन बाद सामने आयी पत्नी
रामेश्वर मुर्मू की पत्नी पांच दिन बाद थाना पहुंची और आरोप लगाया कि उसके पति की हत्या की गयी है। इसमें सद्दाम अंसारी और कुछ अन्य लोगों का हाथ है। यह भी आरोप लगाया गया कि एक संथाली युवती को सद्दाम छेड़ा करता था, जिसका विरोध रामेश्वर मुर्मू करते थे। इसी से नाराज होकर सद्दाम और कुछ लोगों ने लाठी-डंडे से पीट कर उनकी हत्या कर दी। पुलिस ने तब इस मामले को हत्या में बदल दिया। साहेबगंज के कुछ पुलिस अधिकारी आरोपों की जांच कर ही रहे थे कि सद्दाम अंसारी ने अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया। पुलिस ने रिमांड पर लेकर उससे पूछताछ की, लेकिन उसने आरोपों से बार-बार इनकार किया।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने पर उलझी गुत्थी
रामेश्वर मुर्मू के शव की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद पुलिस का अनुसंधान एक तरह से ठहर गया। रिपोर्ट में मौत का कारण हृदय गति का रुकना था। रामेश्वर की उम्र करीब 47 वर्ष थी और वह नशे का आदी भी थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि शरीर पर बाहरी या भीतरी चोट के निशान नहीं हैं और न ही गला दबाने का ही लक्षण मिला। इस रिपोर्ट के बाद मामला उलझ गया।
क्या कर सकती है पुलिस
अब पुलिस के सामने पहली चुनौती यह तय करने की है कि रामेश्वर मुर्मू की स्वाभाविक मौत हुई या किसी और वजह से उनकी जान गयी। पुलिस ने अब तक उस युवती से पूछताछ नहीं की है, जिसे छेड़ने का आरोप सद्दाम अंसारी पर लगा है। उस युवती के बयान से ही इस मामले की गुत्थी सुलझ सकती है। दूसरा रास्ता यह है कि रामेश्वर मुर्मू के शव को कब्र से निकाल कर दोबारा पोस्टमार्टम कराया जाये और चिकित्सकों के बयान भी लिये जायें और पुलिस के बड़े अफसर इसकी जांच करें।
सियासत गरमायी
इस बीच रामेश्वर मुर्मू की मौत के मामले पर सियासत भी गरम हो गयी है। भाजपा ने इस मामले की सीबीआइ जांच की मांग करते हुए परिजनों के आंदोलन का समर्थन किया है, जबकि झामुमो और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कह रहे हैं कि सीबीआइ जांच से उन्हें आपत्ति नहीं है।