देशभर में कोरोना की तीसरी लहर (Coronavirus 3rd Wave) को लेकर संकेत मिलने लगे हैं. कई एक्सपर्ट्स और सरकार लोगों को बार-बार चेतावनी दे रहे हैं. लेकिन, इसके बावजूद देश के कई हिस्सों में लोग मानने को तैयार नहीं हैं. कोरोना नियमों की खुलेआम लगातार धज्जियां उड़ाई जा रही है. कई राज्यों के डेटा इस बात की ओर इशारा कर रहे हैं कि देश में जल्द तीसरी लहर आ सकती है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोरोना की ‘R’ रेट में लगातार इज़ाफ़ा हो रहा है. आखिर क्या है ‘R’ रेट? और क्यों इस वक्त कोरोना को लेकर हर किसी को डरते की जरूरत है? आइए इन तमाम पहलुओं को विस्तार से समझते हैं.

[q]R रेट क्या है? इसकी गणना कैसे की जाती है?[/q]
[ans]R किसी भी संक्रामक रोग के लिए ‘प्रभावी प्रजनन’ संख्या को दिखाता है. इसे आसान भाषा में इस तरह समझा जा सकता है कि कोरोना से संक्रमित कोई एक व्यक्ति कुल कितने लोगों में औसतन संक्रमण फैला सकता है. यानी R रेट जितनी ज्यादा होगी कोरोना फैलने का उतना ज्यादा खतरा बढ़ जाता है. उदाहरण के तौर पर अगर किसी राज्य में R रेट 0.89 है तो इसका मतलब ये है कि वहां एक संक्रमित व्यक्ति एक से कम लोग में कोरोना फैला सकता है. या फिर ये कह सकते हैं कि हर 10 लोग कम से कम 9 लोगों को संक्रमित कर सकता है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि R रेट 1 से कम होनी चाहिए. 1 से ज्यादा होने पर लहर आने का खतरा बढ़ जाता है. अब किसी जगह R रेट 1 से ज्यादा है तो एक व्यक्ति 12 से 14 लोगों में कोरोना फैला सकता है.[/ans]

[q]राज्यों में क्या है R रेट का हाल?[/q]
[ans]चेन्नई स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ मैथमेटिकल साइंस के शोधकर्ताओं ने इस सप्ताह की शुरुआत में बताया कि कुछ राज्यों में R दर में इजाफा देखा जा रहा है. उनके द्वारा किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि महाराष्ट्र में R दर मई के मध्य में 0.79 से बढ़कर जून के अंत तक 0.89 हो गई है. केरल में तो ये दर 1 को पार कर गई है. पूर्वोत्तर राज्यों के लिए बढ़ती R दरें भी एक चिंता का विषय है. मणिपुर ने कहा कि यहां रेट 1.0 की सीमा को पार कर गई है. इसके अलावा राष्ट्रीय स्तर पर, ‘R’ रेट पिछले सप्ताह 0.87 और लगभग एक महीने पहले 0.74 से लगातार वृद्धि के बाद अब 0.95 (7-दिनों का औसत) है.[/ans]

[q]R फैक्टर की गणना कैसे की जाती है?[/q]
[ans]बीबीसी का कहना है कि वैज्ञानिकों के लिए संक्रमण के आर नंबर पर पहुंचने के लिए कई कारकों पर नज़र रखी जाती है, जिसमें मौतों की दर, अस्पताल में भर्ती होना और परीक्षणों से सकारात्मक परिणाम शामिल हैं.[/ans]

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