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    Home»विशेष»2047 तक इस्लामिक राष्ट्र बनाने की है योजना
    विशेष

    2047 तक इस्लामिक राष्ट्र बनाने की है योजना

    azad sipahiBy azad sipahiJuly 16, 2022No Comments17 Mins Read
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    • नापाक इरादे : भारत के हिंदुओं को घुटनों के बल रेंगाना चाहता है पीएफआइ
    • झारखंड में पुलिस वर्दी की आड़ में पीएफआइ-सिमी को सींचता रहा जलालुद्दीन
    • गिरिडीह, हजारीबाग और अन्य जिलों में खड़ा कर दिया था नेटवर्क
    • जलालुद्दीन के देशविरोधी कृत्यों ने रहा-सहा भरोसा भी तोड़ दिया

    बिहार की राजधानी पटना के फुलवारी शरीफ में पीएफआइ की आड़ में चल रहे पीएफआइ ट्रेनिंग सेंटर का पर्दाफाश हो चुका है। पुलिस ने छापेमारी में अब तक पांच संदिग्धों को गिरफ्तार किया है। उनके नाम हैं मो जलालुद्दीन, अतहर परवेज, दानिश, अरमान मलिक और शब्बीर आलम। छापामारी के दौरान उनके पास से कई अहम दस्तावेज बरामद हुए हैं। इनमें सात पन्नों का वह सनसनीखेज दस्तावेज भी है, जिसमें अगले 25 सालों में भारत को कैसे इस्लामिक राष्ट्र बनाना है, की योजना है। जांच के क्रम में पुलिस को यह जानकारी मिली है कि जलालुद्दीन और अतहर परवेज की अगुवाई में मुस्लिम युवाओं को हथियार चलाने, धार्मिक उन्माद फैलाने और हिंसा भड़काने की ट्रेनिंग दी जा रही थी। मोहम्मद जलालुद्दीन झारखंड पुलिस में दारोगा रह चुका है। वह हाल ही में रिटायर हुआ है। उसका साथी अतहर परवेज प्रतिबंधित आतंकी संगठन सिमी का सक्रिय सदस्य रहा है। उसका भाई पटना गांधी मैदान बम ब्लास्ट में शामिल था, जो जेल में है। बरामद दस्तावेज में भारत के इस्लामीकरण का जो रोड मैप तैयार किया गया है, वह बहुत ही खतरनाक है। इसमें भारत पर राजनीतिक कब्जा, हिंदुओं पर शासन, मुसलमानों को हिंदुओं के खिलाफ भड़काने, सरकार के सामने नियमित रूप से शिकायत करने, कोई शिकायत नहीं है तो नया पैदा करने और शरिया कानून को स्थापित करने का भी जिक्र है। इसमें यह भी लिखा गया है कि हिंदुओं से जीतने के लिए मुसलमानों को बहुसंख्यक होने की जरूरत नहीं है। पीएफआइ को भरोसा है कि अगर मुस्लिम आबादी का महज 10 प्रतिशत भी इस मिशन का हिस्सा बन जाये, तो वे डरपोक हिंदुओं को घुटने पर ले आयेंगे और भारत में फिर इस्लाम का राज स्थापित कर देंगे। इस मिशन में एससी, एसटी, ओबीसी, दलितों को साध कर उनका विश्वास जीतना, फिर उनके मतों को राजनीतिक जीत में तब्दील करने की योजना का भी जिक्र है। इसमें सामूहिक तरीके से मुसलमानों को लामबंद कर उन्हें फिजिकल एजुकेशन की ट्रेनिंग देने का भी जिक्र है। दस्तावेज में हिंदू, आरएसएस नेताओं के घरों और दफ्तरों का डेटाबेस तैयार करने, उनकी गतिविधियों पर नजर रखने और कयामत के दिन काम को अंजाम देने का भी जिक्र है। लब्बोलुआब यह कि कैसे भारत की मौजूदा मोदी सरकार को खत्म करने से लेकर आरएसएस का अस्तित्व समाप्त करने तक, हिंदुओं का जबरन धर्मपरिवर्तन, सर तन से जुदा, लव जिहाद, पत्थरबाजी, हिंसा, राजनीतिक कब्जा, न्यायपालिकाओं पर कब्जा, दलितों को गोलबंद, आतंकवाद को बढ़ावा, संपूर्ण शासन, और नये संविधान की रचना 2047 तक पीएफआइ का प्रमुख उद्देश्य है। मिशन इंडिया 2047 के तार झारखंड, बिहार, केरल, जम्मू-कश्मीर, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, कर्नाटक, पंजाब, दिल्ली, उत्तरप्रदेश और देश के तमाम राज्यों में रहनेवाले इस्लामिक कट्टरपंथियों से जुड़े हैं। क्या है आतंकियों की खतरनाक प्लानिंग, उसे प्राप्त दस्तावेज के आधार पर बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।

    धर्म की कट्टरता इंसान को हैवान बना देती है, इसका उद्धरण तो कई बार सामने आ चुका है। शुरू करते हैं 1921 में मोपला नरसंहार से, जिसके बारे में कम लोगों को ही पता है। कहते हैं यह 1990 में कश्मीरी हिंदुओं के साथ हुए नरसंहार से भी भयावह था। मोपला नरसंहार भी इस्लामीकरण के नाम पर ही हुआ था। 1947 में जब भारत का विभाजन हुआ, तो खून की नदियां बहा दी गयीं। आंकड़ों पर गौर करें, तो इस खूनी बंटवारे में 12 लाख जानें गयी थीं। यह महज देश का बंटवारा नहीं था। यह दो धर्मों का बटवारा था। लेकिन अंत में हासिल क्या हुआ! नफरत। वह आज भी कायम है। अलग इस्लामिक मुल्क पाकिस्तान को हासिल करने के लिए मुस्लिम लीग ने भारत के खिलाफ वही षडयंत्र रचा था, जो आज पीएफआइ मिशन 2047 तक भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने के लिए रच रहा है। सभी जानते हैं कि इंसान जब मरता है, तब उसे सिर्फ दो गज जमीन की जरूरत पड़ती है। फिर भी धर्म के नाम पर आतंक की कोई सीमा नहीं है। आतंक की सरहदें बढ़ाने, धर्म की चादर ओढ़ मुट्ठी भर लोग इंसानियत को शर्मसार करने की स्क्रिप्ट लिख रहे हैं। 1947 में लगता है इस्लामिक कट्टरपंथियों का सपना साकार नहीं हो पाया था, जिसे वे 100 साल के भीतर अंजाम देना चाहते हैं। कुछ स्कॉलर्स का तो यहां तक कहना है कि भारत को इस्लामी मुल्क बनाने का प्रोजेक्ट विभाजन के समय से ही शुरू हो गया था। तभी तो नारा दिया गया था, लड़ के लिया है पाकिस्तान, हंस के लेंगे हिंदुस्तान। अब आइये समझते हैं क्या है मिशन 2047।

    इंडिया विजन 2047 नाम के दस्तावेज को पीएफआइ ने अपने कैडर के बीच आंतरिक रूप से प्रसारित किया है। उसका लक्ष्य कायर हिंदुओं पर पूरी तरह से हावी होना और उन्हें अपने अधीन करना है। यह लक्ष्य तब ही प्राप्त किया जा सकता है, जब पीएफआइ के पीछे 10 प्रतिशत मुस्लिम एकजुट हों। इसमें यह भी उल्लेख किया गया है कि पीएफआइ अपने प्रशिक्षित कैडरों और तुर्की जैसे इस्लामी देशों की मदद से भारत के खिलाफ एक पूर्ण सशस्त्र विद्रोह शुरू करने की योजना बना रहा है। इस कट्टरपंथी इस्लामी संगठन ने अन्य इस्लामी देशों से भी भारत सरकार और बहुसंख्यक हिंदुओं को घुटनों पर लाने में मदद करने की अपील की है।

    इंडिया विजन 2047 दस्तावेज में एक टैगलाइन है, जो पीएफआइ के लक्ष्य को रेखांकित करती है-भारत में इस्लामी शासन की ओर। इस खतरनाक दस्तावेज में भारत में मुस्लिमों की वर्तमान स्थिति, हर घर में पीएफआइ तक की रणनीति, भारत में मिशन 2047 और भारत में मुस्लिम समुदाय के लिए कार्रवाई योग्य बिंदुओं के बारे में वर्णन डरानेवाला है। इस्लाम का शासन स्थापित करने और कायर हिंदुओं को वश में करने के लिए आनेवाले वर्षों में पीएफआइ क्या करना चाहता है, इसका बिंदु-दर-बिंदु विवरण निम्नलिखित है।

    भारत में मुस्लिमों की वर्तमान स्थिति के बारे में क्या कहता है दस्तावेज
    पॉपुलर फ्रंट आॅफ इंडिया के इस विजन डॉक्यूमेंट का पहला उपशीर्षक भारत में मुस्लिमों की वर्तमान स्थिति है। दस्तावेज के इस खंड में मुस्लिमों के पीड़ित होने की उसी कहानी को आगे बढ़ाया गया है, जिसका उपयोग इस्लामी कट्टरपंथियों ने अपने मजहबी साथियों को हथियार उठाने के लिए प्रेरित करने के लिए वर्षों से किया है। पीएफआइ का डाक्यूमेंट कहता है: भारत का शासक समुदाय मुस्लिम अब दोयम दर्जे का नागरिक बन कर रह गया है। इसमें कहा गया है कि देश में नौ जिले ऐसे हैं, जहां मुस्लिमों की आबादी 75 फीसदी से ऊपर है। पीएफआइ का कहना है कि मुस्लिमों की वर्तमान स्थिति अंग्रेजों के समय से शुरू हुई थी। उसका दावा है कि अंग्रेजों ने मुस्लिमों के खिलाफ भेदभावपूर्ण नीतियां अपनायीं और हिंदुओं का पक्ष लिया। दस्तावेज में कहा गया है कि संपत्ति के अधिकार के मामले में पहले मुस्लिमों को प्राप्त विशेषाधिकारों को वापस ले लिया गया था, सरकारी नौकरियों से वंचित कर दिया गया था और व्यापार सुविधाओं को प्रतिबंधित कर दिया गया था। स्वतंत्रता की शुरूआत के बाद से उच्च जाति के हिंदुओं के प्रभुत्व वाली भारत सरकार ने मुस्लिमों के खिलाफ भेदभावपूर्ण कदम उठाये।

    दस्तावेज में कहा गया है कि मुस्लिम बच्चे दलित बच्चों के साथ प्रतिस्पर्धा करते हैं और सांप्रदायिक हिंदुत्ववादी ताकतों के उदय ने मुस्लिमों की सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक स्थितियों को और गंभीर कर दिया है। मुस्लिमों का राजनीतिक अस्तित्व इतना नीचे आ गया है कि भारत सरकार शरीयत से संबंधित मामलों पर भी मुस्लिमों से सलाह लेने की जहमत नहीं उठाती।

    दस्तावेज में कहा गया है कि मुस्लिम समुदाय मूर्खतापूर्ण मतभेदों से विभाजित है और इसलिए हिंदुत्व ताकतों से लड़ना मुश्किल है। इसमें आगे कहा गया है कि मुस्लिमों को दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा समुदाय (भारतीय आबादी के मामले में) होने के नाते दुनिया को एक मॉडल देने की जरूरत है कि कैसे समुदाय को मुस्लिम विरोधी ताकतों से लड़ने की जरूरत है।

    इस्लामी संगठन ने मुस्लिम समुदाय में अपनी भूमिका के बारे में भी बताया है। लिखा है, दुनिया भारतीय मुस्लिमों को एक मॉडल के रूप में देखती है और भारतीय मुस्लिम समुदाय असहाय होकर किसी चमत्कार का बेसब्री से इंतजार कर रहा है। अभी या बाद में नेतृत्व को समुदाय के भीतर से उभरना होगा, ताकि खुद को तात्कालिक खतरों से बचाया जा सके और स्वतंत्रता, सच्चाई और समानता के आधार पर समाज के वंचित वर्गों के लिए एक वास्तविक विकास मॉडल प्रदान किया जा सके। यह वह भूमिका है, जिसमें पॉपुलर फ्रंट आॅफ इंडिया खुद को देखता है।

    क्या है पीएफआइ का विजन 2047
    पीएफआइ ने भारत में इस्लामी शासन स्थापित करने के लिए खुद को वर्ष 2047 की तारीख दी है। दस्तावेज में कहा गया है कि हम उस 2047 का सपना देखते हैं, जिसमें राजनीतिक सत्ता मुस्लिम समुदाय के पास लौट कर आती है, जिसे ब्रिटिश राज ने अन्यायपूर्ण तरीके से छीन लिया था।

    पीएफआइ के दस्तावेज में कहा गया है कि मुस्लिम समुदाय हमेशा से अल्पसंख्यक रहा है और जीतने के लिए उसे बहुमत की जरूरत नहीं है। पहले भी वह अल्पसंख्यक था, लेकिन देश पर राज किया था। पॉपुलर फ्रंट आॅफ इंडिया (पीएफआइ) को विश्वास है कि अगर कुल मुस्लिम आबादी का 10 फीसदी उसके साथ आता है, तो भी पीएफआइ कायर हिंदुओं को उसके घुटनों पर ला देगा और भारत में इस्लाम के वैभव को वापस ला देगा।
    दस्तावेज में स्पष्ट रूप से लिखा है कि पीएफआइ कैडर और नेता भारत में एक इस्लामी सरकार की स्थापना की दिशा में काम कर रहे हैं। पीएफआइ कैडरों और मुस्लिम युवाओं को बार-बार बताया जाना चाहिए कि वे सभी दीन (इस्लाम) के लिए काम कर रहे हैं। अल्लाह ने दुनिया/कायनात की रचना की थी और मुस्लिम दो वजहों से बने थे। उसमें पहला है, अल्लाह का कानून स्थापित करना।

    पीएफआइ का एक्शन प्वाइंट
    हर समय जरूरतों का रोना रोओ: पीएफआइ दस्तावेज कहता है कि बढ़ते हिंदुत्व की विचारधारा और आरएसएस समर्थित सरकार ने मुस्लिमों को यह विश्वास दिलाने के लिए पर्याप्त कारण दिये हैं कि यह सरकार इस्लाम के हित के खिलाफ काम कर रही है और सरकार एवं मुस्लिम समुदाय के बीच विश्वास की कमी है। इसके लिए पीएफआइ के प्रयास बधाई के पात्र हैं। दस्तावेज में कहा गया है, मुस्लिम समुदाय को हमेशा बाबरी मस्जिद के विध्वंस, सांप्रदायिक दंगों और मुस्लिमों की लिंचिंग के दौरान उन पर किये गये अत्याचारों के बारे में याद दिलाया जाना चाहिए। सभी राज्य इकाइयों द्वारा मुस्लिमों को यह विश्वास दिलाने के लिए ठोस प्रयास किसे जाने चाहिए कि आरएसएस के नेतृत्व वाली सरकार भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करने और मुस्लिमों को देश से बाहर निकालने की योजना बना रही है।

    सामूहिक लामबंदी : पीएफआइ ने इस्लाम की खोयी हुई महिमा को वापस पाने के लिए सामूहिक लामबंदी को प्राथमिकता वाले क्षेत्र के रूप में घोषित किया है। दस्तावेज के अनुसार, इसके तीन पहलू हैं- समावेशी, पहुंच और जुड़ाव।दस्तावेज के अनुसार, एक समावेशी संगठन होने का मतलब है कि पॉपुलर फ्रंट में उस समुदाय के सभी लोगों के लिए जगह होनी चाहिए, जो हमारे मिशन में योगदान देना चाहते हैं। पहुंच का अर्थ है, समुदाय को मुद्दों के बारे में शिक्षित करके और उसकी प्राथमिकताएं निर्धारित करके समुदाय से संपर्क करना। जुड़ाव का मतलब न केवल हमारी पहुंच को एकतरफा शिक्षा तक सीमित करना है, बल्कि हमारे एजेंडे में भाग लेने के लिए जनता को भी शामिल करना है। लोगों को उनके अधिकारों के लिए आगे लाना सामूहिक लामबंदी का हिस्सा होगा और इसके अपेक्षित परिणाम मिलेंगे। जनता को जोड़ने के लिए संगठन के भीतर के सभी मौजूदा प्लेटफॉर्मों का उपयोग किया जाना चाहिए और मौजूदा सामुदायिक प्लेटफॉर्मों को भी प्रभावित किया जाना चाहिए।

    हर घर में पीएफआइ: पीएफआइ का उद्देश्य हर मुस्लिम घर से हर सदस्य की भर्ती करना है। हालांकि, यदि यह संभव नहीं है तो
    1. प्रत्येक मुस्लिम घर से कम से कम एक सदस्य की संस्था में भर्ती करें, यदि नहीं, तो
    2. एक व्यक्ति को पार्टी में भर्ती करें। यदि नहीं, तो
    3. उनमें से किसी को हमारे किसी भी फ्रंटल संगठन में भर्ती करें, यदि नहीं, तो
    4. उन्हें हमारी पत्रिकाओं/लेखों का पाठक बनायें या कम से कम उन्हें सोशल मीडिया पर पोस्ट करें।

    मुस्लिमों की भर्ती और उनका प्रशिक्षण : चौंकाने वाली बात यह है कि इस समय पीएफआइ हिंदुओं के खिलाफ बेलगाम हिंसा करने की बात करता जा रहा है। वह कहता है कि वास्तव में वह भी नहीं जानता कि लोगों के बीच उसके कितने सशस्त्र जमीनी कैडर हैं और वह यह भी नहीं जानता है कि वे हिंदुओं में कितना भय पैदा करते हैं। इसलिए इसका परीक्षण करने की आवश्यकता है।

    पीएफआइ के दस्तावेज में कहा गया है कि योग कक्षाओं और स्वस्थ लोग स्वस्थ राष्ट्र अभियान की आड़ में उसके पीइ (फिजिकल एजुकेशन) कैडर को हथियारों की ट्रेनिंग दी जानी चाहिए। दस्तावेज में कहा गया है, हमारे अच्छी तरह से प्रशिक्षित पीइ प्रशिक्षकों को, कैडरों को हथियारों और विस्फोटकों का प्रशिक्षण देने के लिए राज्य-दर-राज्य भेजा जा रहा है। हमारे पास प्रशिक्षकों की कमी है और संभावित प्रशिक्षुओं की संख्या बहुत बड़ी है। इसके लिए साधन संपन्न उम्मीदवारों की पहचान की जानी चाहिए और उन्हें बेसिक पीइ कोर्स इंस्ट्रक्टर, सेकेंडरी पीइ कोर्स इंस्ट्रक्टर और पीइ मास्टर्स बनने के लिए प्रशिक्षित किया जाना चाहिए।

    दस्तावेज में आगे कहा गया है, हमारे पास एडवांस पीइ पाठ्यक्रम संचालित करने के लिए अभी तक उचित एवं एकांत प्रशिक्षण केंद्र/स्थान नहीं हैं। चुनौती का सामना करने के लिए राज्य इकाइयों को मुस्लिम बहुल इलाकों या दूरदराज के स्थानों में भूखंडों का अधिग्रहण करना चाहिए, ताकि हथियारों और विस्फोटकों के भंडारण के लिए उचित प्रशिक्षण सुविधाएं और डिपो स्थापित किये जा सकें। इन केंद्रों के बारे में केवल चुनिंदा लोगों को जानकारी होनी चाहिए। हमारे पास सभी पीएफआइ कैडरों और हमसे सहानुभूति रखने वालों को बुनियादी पीइ में प्रशिक्षित करने के साथ-साथ प्रशिक्षित पीइ कैडरों की अपनी समर्पित सेना बनाने के लिए एक लंबा रास्ता तय करना है।
    हिंदू और आरएसएस के नेताओं के बारे में जानकारी जुटाना, विदेशों से मदद मांगना

    इस कार्रवाई योग्य बिंदु में पीएफआइ यह कहता है कि उसे अंतिम शक्ति प्रदर्शन से पहले हिंदुओं और हिंदू नेताओं के बारे में विवरण रखना चाहिए। इसका मतलब है कि वह इन हिंदुओं और हिंदू नेताओं की हत्या के लिए पूरी जानकारी रखना चाहता है। दस्तावेज में कहा गया है, अंतिम प्रदर्शन के चरण से पहले हिंदू/आरएसएस नेताओं और उनके कार्यालयों के स्थानों के व्यक्तिगत विवरण के बारे में विस्तृत जानकारी एकत्र करना और तैयार रखना अनिवार्य है। विभिन्न स्तरों पर सूचना विंगों को अपने डेटा-बेस का फॉलोअप और अपडेट करते रहना चाहिए। उनकी गतिविधियों पर नजर रखने से हमें उनके खिलाफ कार्रवाई करने में भी मदद मिलेगी। हमारे अंतिम लक्ष्य के रोडमैप में सूचना विंग के महत्व को ध्यान में रखते हुए सभी स्तरों पर विंग के कामकाज को मजबूत और तेज करने की जरूरत है।

    और अंत में पीएफआइ अपने विजन डॉक्यूमेंट में कहता है कि भारतीय राज्य के साथ पूर्ण रूप से टकराव की स्थिति में उसे तुर्की जैसे इस्लामी राष्ट्रों से मदद की आवश्यकता होगी। दस्तावेज में आगे कहा गया है, सरकार के साथ पूर्ण शक्ति प्रदर्शन की स्थिति में अपने प्रशिक्षित पीइ कैडरों पर भरोसा करने के अलावा हमें मित्र इस्लामिक देशों से मदद की आवश्यकता होगी। पिछले कुछ वर्षों में पीएफआइ ने इस्लाम के ध्वजवाहक तुर्की के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध विकसित किये हैं। कुछ अन्य इस्लामी मुल्कों के साथ विश्वसनीय दोस्ती बढ़ाने के प्रयास जारी हैं।
    बता दें कि झारखंड में भी मिशन 2047 की सुगबुगाहट तेज हो गयी है। जिस तरीके इस मिशन में झारखंड के एक रिटायर्ड दारोगा मोहम्मद जलालुद्दीन की संलिप्तता उजागर हुई है, वैसे ही कई और लोगों की तरफ शक की सूई जा रही है। उनके चेहरे पर से मुखौटा उतारने के लिए गहन जांच जरूरी है। गढ़वा की घटना भी इसी मिशन का हिस्सा है, जहां मुस्लिम आबादी बहुसंख्यक होने पर स्कूल में प्रार्थना के नियम ही बदल दिये गये थे। वहीं जामताड़ा और अब दुमका में 150 से भी अधिक स्कूलों में रविवार के बजाय शुक्रवार को छुट्टी की परिपाटी में गहरी साजिश नजर आ रही है। स्कूलों के नाम के आगे स्वत: उर्दू शब्द जोड़ देना सामान्य बात नहीं है। हर भारतीय और देशभक्त को अब अधिक सतर्क रहने की जरूरत है।

    चरण-एक
    भारत में इस्लामी शासन स्थापित करने के पहले चरण में पीएफआइ का कहना है कि हर क्षेत्र में और हर वर्ग के मुस्लिमों को पीएफआइ के बैनर तले एकजुट होने की जरूरत है। वह और अधिक लोगों की भर्ती करेगा और उन्हें हथियारों का प्रशिक्षण देगा, जिनमें छड़, तलवार और अन्य हथियारों का उपयोग शामिल है। इस प्रशिक्षण में आक्रमण करने और खुद को बचाने की तकनीक भी शामिल होगी। दस्तावेज में कहा गया है, इसके लिए मुस्लिम समुदाय को उनके कष्टों को बार-बार याद दिलाने और जहां कोई शिकायत न हो, वहां शिकायें पैदा करो और रोते रहो। पार्टी सहित हमारे सभी फ्रंटल संगठनों को नये सदस्यों के विस्तार और भर्ती पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। साथ ही हमें भारतीय होने की अवधारणा से परे सभी के बीच एक इस्लामी पहचान स्थापित करनी होगी। हम अपने पीइ विभाग में सदस्यों की भर्ती और प्रशिक्षण शुरू करेंगे।

    चरण-दो
    इसमें पीएफआइ खुले तौर पर हिंदुओं के खिलाफ हिंसा करने की अपील करता है। इसमें कहा गया है कि मुस्लिमों के कष्टों को बार-बार दोहराया और उन्हें याद दिलाया जाना चाहिए। इसके साथ ही हिंसा का इस्तेमाल चुनिंदा विरोधियों (हिंदुओं) को आतंकित करने और उनकी सामूहिक ताकत को देखने के लिए किया जाना चाहिए। चरण दो में निर्देश दिया गया है कि तिरंगा, संविधान और अंबेडकर को ढाल की तरह इस्तेमाल कर अपने मिशन को आगे बढ़ाते दस्तावेज में इस बात का भी जिक्र है कि कैसे हम कार्यपालिका और न्यायपालिका के हर स्तर पर घुसपैठ करेंगे और सूचनाओं को एकत्र करने, उसे अपने हित में इस्तेमाल कर अनुकूल परिणाम प्राप्त करने का प्रयास करेंगे। इसके अलावा फंडिंग और अन्य मदद के लिए विदेशी इस्लामी देशों के साथ संपर्क स्थापित करना है।

    चरण-तीन
    इसमें सुझाव दिया गया है कि पीएफआइ को एससी/एसटी/ओबीसी समुदाय के साथ घनिष्ठ गठबंधन बनाना चाहिए और चुनाव में कम-से-कम कुछ सीटें जीतनी चाहिए। पीएफआइ जो गठबंधन बनाना चाहता है, उसमें 50 फीसदी मुस्लिमों की हिस्सेदारी और 10 फीसदी एससी/एसटी/ओबीसी की हिस्सेदारी होगी। पीएफआइ, आरएसएस और एससी/ एसटी/ ओबीसी के बीच विभाजन पैदा करने की बात करता है। दस्तावेज में कहा गया है कि हमें यह दिखा कर आरएसएस और एससी/एसटी/ओबीसी के बीच एक विभाजन पैदा करने की जरूरत है कि आरएसएस केवल उच्च जाति के हिंदुओं के हित की बात करनेवाला संगठन है। पीएफआइ एक विशुद्ध मुस्लिम पार्टी की आवश्यकता को आगे बढ़ाने के लिए सभी धर्मनिरपेक्ष दलों दरकिनार करना चाहता है। इससे मुस्लिमों और एससी/ एसटी/ओबीसी की जरूरतें पूरी होंगी। पीएफआइ ने अपने कैडरों से इस स्तर पर हथियार जमा करने के लिए कहा है।

    चरण-चार
    इस चरण में पीएफआइ की योजना है कि वह अन्य सभी मुस्लिम और धर्मनिरपेक्ष संगठनों को दरकिनार करते हुए सभी मुस्लिमों का निर्विवाद नेता बनेगा। दस्तावेज कहता है, एक बार सत्ता में आने के बाद कार्यपालिका और न्यायपालिका के साथ-साथ पुलिस और सेना में सभी महत्वपूर्ण पदों को वफादार कार्यकर्ताओं से भरा जायेगा। सेना और पुलिस सहित सभी सरकारी विभागों के दरवाजे वफादार मुस्लिमों और एससी/एसटी/ओबीसी को भरने के लिए खोले जायेंगे, ताकि पिछली भर्ती में उनके साथ हुए अन्याय और असंतुलन को ठीक किया जा सके। दस्तावेज में आगे कहा गया है, जिन लोगों को हथियारों का प्रशिक्षण दिया जा रहा था, वे इस बिंदु पर और अधिक खुलकर सामने आ जायेंगे और जो उनके (मुस्लिमों के) हितों के विरुद्ध होंगे, उन्हें रास्ते से हटा देंगे। जो हमारे हित के खिलाफ हैं, उन्हें खत्म किया जायेगा। अंतिम चरण में हथियारों के भंडारण और सशस्त्र कैडरों को प्रशिक्षित करने के बाद एक इस्लामी संविधान की स्थापना करने और इसके रास्ते में बाधा बनने वाले लोगों (खासकर हिंदू) को खत्म करने की योजना है। दस्तावेज कहता है, जब हमारे पास पर्याप्त प्रशिक्षित कैडर और हथियारों का भंडारण हो जायेगा तो हम इस्लामी सिद्धांतों पर आधारित एक नये संविधान की घोषणा करेंगे। इस समय बाहरी ताकतें भी हमारी मदद के लिए आ जायेंगी। हमारे विरोधियों का व्यवस्थित और व्यापक रूप से सफाया होगा और इस्लामी गौरव की वापसी होगी।

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