-बाढ़ से 14 जिलों के 63 हजार से अधिक नागरिक प्रभावित
काजीरंगा (असम)। विश्व धरोहर काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के 45 वन शिविर यानी 50 फीसदी हिस्सा अभी भी जलमग्न है। बाढ़ के चलते राष्ट्रीय उद्यान के तमाम जंगली जानवर ऊंचे स्थानों पर या हाईवे किनारे शरण लिए हुए हैं। हाईवे पर कई जानवर वाहनों की चपेट में आ रहे हैं।
पूर्वी असम वन्यजीव प्रभाग के अधिकारी अरुण विग्नेश के अनुसार बाढ़ के चलते राष्ट्रीय उद्यान में 50 फीसदी हिस्से में पानी भरा हुआ है। इनमें 18 शिविर कहंरा वन का शामिल है। पानी से बचने के लिए अधिकांश जंगली जानवर राष्ट्रीय उद्यान के ऊंचे इलाकों में शरण लिए हुए हैं। इसके अलावा राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-37 के दोनों ओर भी कुछ जंगली जानवर घूम रहे हैं। वन अधिकारी ने बताया कि राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-37 पर बूढ़ापहाड़ के आमगुरी और हल्दीबाड़ी में एक कार की चपेट में आने से एक बकरी के बच्चे और एक अजगर की मौत हो गई। इसके अलावा उद्यान में पानी में एक भैंस और एक बकरी की मौत हो गई। उन्होंने बताया कि वन कर्मी बाढ़ के दौरान शिकारियों से जानवरों को बचाने के लिए दिन-रात ड्यूटी कर रहे हैं। डीएफओ ने राष्ट्रीय राजमार्ग-37 पर यात्रा करने वाले वाहन चालकों से नियमों का पालन करने का आग्रह किया है। बाढ़ से स्थिति अब धीरे-धीरे सामान्य हो रही है।
उल्लेखनीय है कि बाढ़ से राज्य के 14 जिलों के 272 गांवों के 63 हजार 606 नागरिक प्रभावित हैं। वहीं, ब्रह्मपुत्र नद धुबड़ी, तेजपुर और निमातीघाट में खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं, जबकि 2863.76 हेक्टेयर कृषि भूमि भी बाढ़ के पानी में डूबी है। बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए कुल 7 राहत शिविर एवं 44 राहत वितरण केंद्र सरकार की ओर से खोले गये हैं। 522 लोग राहत शिविरों में आश्रय लिये हुए हैं। बाढ़ के पानी में डूबने से बुधवार को शिवसागर जिले में एक व्यक्ति की मौत हो गयी। इंसानों के साथ ही बाढ़ से 12 हजार 59 छोटे-बड़े पशु भी प्रभावित हुए हैं।