रांची। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने सोमवार को राज्य सरकार से राज्य की ध्वस्त विधि व्यवस्था पर विधानसभा में चर्चा कराने की मांग की। मानसून सत्र के दौरान मीडिया से बात करते हुए बाबूलाल मरांडी ने मणिपुर की घटना पर सत्ता पक्ष द्वारा चर्चा की मांग पर कहा कि सत्ता पक्ष इस मुद्दे पर केवल राजनीति कर रहा।
उन्होंने कहा कि गृहमंत्री अमित शाह ने स्पष्ट कहा है कि केंद्र सरकार मणिपुर पर चर्चा कराने को तैयार है तो फिर झारखंड में इस पर चर्चा की मांग का क्या औचित्य है? उन्होंने कहा कि आई.एन.डी.आई.ए गठबंधन को राजनीति छोड़ देश के सदन में चर्चा में शामिल होना चाहिए।
मरांडी ने कहा कि झारखंड में चर्चा ही करानी है तो राज्य की ध्वस्त विधि व्यवस्था पर चर्चा होनी चाहिए।उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य के हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। हत्या, लूट, बलात्कार की घटनाएं आम हो गई हैं। राजधानी में भी अपराधियों का साम्राज्य है। अपराधी सरेआम हत्या करने में सफल हो रहे हैं। जेल से अपराधी खुलेआम धमकी दे रहे, रंगदारी वसूल रहे, मौज मस्ती कर रहे और भ्रष्ट अधिकारी उनकी सेवा में लगे हैं। उनका हाल चाल पूछ रहे हैं।
उन्होंने कहा कि यही भ्रष्ट अधिकारी दिन रात पैसे की वसूली में लगे हैं। ऊपर तक पहुंचाते भी हैं। मरांडी ने कहा कि हेमंत सोरेन को अपने गिरेबां में झांक कर देखना चाहिए। उन्हें मणिपुर में अपना प्रतिनिधि भेजने की चिंता है लेकिन आज पूरा संथाल परगना में आदिवासियों की दुर्गति हो रही है। आदिवासी समाज की पहचान, संस्कृति मिटाने की कोशिश बड़े पैमाने पर चल रही है, पर मुख्यमंत्री मौन हैं। इससे स्पष्ट है कि ऐसे अराजक तत्वों को मुख्यमंत्री की खुली सहमति है।
उन्होंने कहा कि आई.एन.डी.आई.ए. गठबंधन दलों को सशस्त्र बल ( विशेष शक्ति ) अधिनियम को पूर्वोत्तर में लगाने की याद करनी चाहिए। वहां के हालात कोई आज ऐसे नहीं हुए। उन्होंने कहा कि कोई भी सभ्य समाज मणिपुर की घटना को सही नहीं मान सकता। लेकिन इसपर राजनीति से बाज आना चाहिए।