-354.28 करोड़ रुपये का होगा निवेश

रांची। मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने जमशेदपुर में देश की पहली हाइड्रोजन ईंधन से जुड़े उद्योग की स्थापना के लिए स्वीकृति प्रदान कर दी है। मुख्यमंत्री के इस पहल के बाद अब देश में पेट्रोल, डीजल और बैटरी साथ जल्द हाइड्रोजन ईंधन से भी वाहन चलेंगे। इसको लेकर मुख्यमंत्री ने निवेश के प्रस्ताव पर मैसर्स टीजीईएसपीएल के साथ एमओयू हस्ताक्षर करने के प्रस्ताव पर सहमति दे दी है।

मेसर्स टाटा मोटर्स लिमिटेड एवं मैसर्स कमिंस इंक., यूएसए के संयुक्त उपक्रम मेसर्स टीसीपीएल ग्रीन एनर्जी सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड (टीजीईएसपीएल) द्वारा जमशेदपुर, पूर्वी सिंहभूम में हाइड्रोजन आंतरिक दहन इंजन, ईंधन-अज्ञेयवादी इंजन, एडवांस केमिस्ट्री तथा एच2 ईंधन वितरण प्रणाली के निर्माण/उत्पादन के लिए ईकाई की स्थापना के लिए सिंगल विंडो क्लीयरेंस कमेटि एवं हाई पावर कमेटी की स्वीकृति की प्रत्याशा में निवेश के प्रस्ताव पर सहमति दे दी है।

एमओयू के उपरांत जमशेदपुर में देश की पहली हाइड्रोजन ईंधन से जुड़े उद्योग के स्थापना का मार्ग प्रशस्त होगा। इस कार्य में हाइड्रोजन इंजन बनने की नवीनतम तकनीक का उपयोग किया जाएगा, जिसका लाभ आने वाले समय में पूरे देश को होगा।

झारखंड औद्योगिक एवं निवेश प्रोत्साहन नीति 2021 के वर्गीकृत क्षेत्रवार मेगा परियोजनाएं के अनुसार उपर्युक्त परियोजना निर्माण से संबंध रखती है। ईकाई से प्राप्त निवेश तथा प्रत्यक्ष नियोजन के आधार पर ईकाई का वर्गीकरण मेगा श्रेणी के अंतर्गत किया गया है। इस ईकाई की प्रस्तावित क्षमता 4000 हाइड्रोजन आईसी इंजन/ईंधन अज्ञेयवादी इंजन और 10,000 बैटरी प्रणाली है। इसके लिए प्रस्तावित निवेश 354.28 करोड़ रुपये है। एक अनुमान के अनुसार ईकाई 310 से अधिक प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष लोगों का नियोजन सुनिश्चित हो सकेगा।

हाइड्रोजन ईंधन के फायदे
हाइड्रोजन ऐसा ईंधन है, जिसकी क्षमता अन्य ईंधनों के अपेक्षा अधिक होती है। इसका एनर्जी लेबल अधिक होता है। यह सस्ता और हल्का होता है। ऐसे में पेट्रोल और डीजल के बीच इसे एक बेहतर विकल्प माना जा सकता है। हाइड्रोजन ईंधन से प्रदूषण को काफी हद तक नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है। भारतीय बाजार और विश्व स्तर पर हाइड्रोजन इंजन की जरूरतों को पूरा करने के लिए 4000 हाइड्रोजन आईसी इंजन-ईंधन एग्नोस्टिक इंजन और 10,000 बैटरी सिस्टम की उत्पादन क्षमता के निर्माण आवश्यक जरूरतों की आपूर्ति और नई सहायक इकाइयों की स्थापना के लिए स्थानीय औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देगा।

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