विशेष
झारखंड में सुरसा की तरह फैल रहा है नशे का कारोबार
अफीम से लेकर शराब और नशीली दवाओं की गिरफ्त में फंस रहे हैं युवा
सरकारी प्रयास हो रहे बेअसर, कई जिले में फल-फूल रहा है नशे का रैकेट
सरकार के लिए बन गयी है बड़ी चुनौती, अदालत तक से मिल रही फटकार

नमस्कार। आजाद सिपाही विशेष में आपका स्वागत है। मैं हूं राकेश सिंह।
झारखंड इन दिनों एक नयी समस्या से जूझ रहा है। यह समस्या है नशा। तमाम सरकारी प्रयासों के बावजूद राज्य के कई जिलों में नशे का रैकेट खूब फल-फूल रहा है। इसलिए राज्य को नशा मुक्त बनाना सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन गयी है। युवा तेजी से इसकी गिरफ्त में आ रहे हैं। जाहिर है कि यहां नशे का कारोबार भी तेजी से फैल रहा है, जिसमें देश-दुनिया के बड़े रैकेट शामिल हैं। एक अनुमान के मुताबिक झारखंड में हर साल गांजा, चरस, अफीम, ड्रग्स, ब्राउन शुगर, हेरोइन, डेंड्राइट से अरबों रुपये का कारोबार पर्दे के पीछे से ड्रग तस्कर करते हैं। झारखंड के बच्चों को ड्रग तस्कर अपना मुख्य निशाना बनाते हैं। शायद यही वजह है कि अब शहर से लेकर गांव तक सब नशे की गिरफ्त में आ गये हैं। सरकार भी मानती है कि यह वाकई चिंता का विषय है। आज राज्य का हर जिला नशे से बुरी तरह प्रभावित है, जिसकी रोकथाम के लिए प्रशासनिक पहल के साथ-साथ जागरूकता के जरिये प्रयास किये जा रहे हैं। झारखंड सरकार ने नशा मुक्ति को लेकर 19 से 26 जून तक विशेष अभियान चलाया। हाइकोर्ट भी लगातार इस समस्या पर राज्य सरकार को फटकार रहा है। हालांकि सरकारी प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं। झारखंड में नशे का कारोबार कितनी तेजी से फैल रहा है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस साल अब तक 134 से ज्यादा कारोबारी गिरफ्तार हो चुके हैं और 20 करोड़ रुपये से ज्यादा के नशीले पदार्थ जब्त किये जा चुके हैं। क्या है नशे के कारोबार का खतरा और कैसे संचालित होता है इसका पूरा रैकेट, बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।

अगर यह कहा जाये कि झारखंड नशे की गिरफ्त में है, तो गलत नहीं होगा, क्योंकि राज्य में साल दर साल नशे के कारोबार में भारी बढ़ोत्तरी हुई है। राजधानी रांची में पांच साल में अफीम की खेती समेत अन्य नशा का कारोबार एक सौ फीसदी के पार पहुंच गया है। पुलिस-प्रशासन की सख्त कार्रवाई के बावजूद नशे का कारोबार रुक नहीं रहा है, बल्कि और इजाफा ही हो रहा है। पुलिस-प्रशासन अभियान चला कर अफीम की खेती को नष्ट कर रहा है। इसके बावजूद राजधानी समेत राज्य के आधा दर्जन जिलों के दर्जनों गांवों में खुलेआम अफीम की खेती होती है।

खूब होती है अफीम की खेती
झारखंड में नशे के कारोबारी सबसे अधिक ध्यान अफीम की खेती पर देते हैं। रांची-खूंटी के सीमावर्ती क्षेत्र, खूंटी, चतरा, लातेहार, पलामू, हजारीबाग अफीम का कॉरिडोर बन गया है। रांची जिले में नामकुम, तुपुदाना, बुंडू, तमाड़, दशमफॉल, नगड़ी, खरसीदाग आदि थाना क्षेत्र में भी अफीम बड़े पैमाने पर उगाये जाते हैं। रांची अंतर्गत नामकुम के राजाउलातु के सोगोद, रामपुर के बुदरी, बंधुआ, हुवांगहातु, लाली, हाहाप सहित जंगल से सटी दर्जनों पंचायतों में अफीम की फसल लहलहा रही है।
झारखंड में करीब दो हजार एकड़ भूमि पर अफीम की खेती होती है और एक एकड़ फसल से औसतन 12 लाख रुपये की कमाई होती है।

सरकारी जमीन पर होती है अफीम की खेती
झारखंड के प्रशासन की सख्ती के बाद तस्करों ने अब अफीम की खेती का तरीका भी बदल लिया है। तस्कर रैयती जमीन को छोड़ कर सरकारी जमीन पर अफीम की खेती कर रहे हैं। यानि कि 80 फीसदी से अधिक खेती अब सरकारी जमीन पर हो रही है। इसकी भनक पुलिस को भी नहीं लगती है। पुलिस कार्रवाई भी करती है, तो भी तस्कर पकड़ में नहीं आता है। अफीम की खेती के लिए तस्कर हाइब्रिड बीज का उपयोग करते हैं, ताकि अधिक पैदावार हो सके। हाइब्रिड बीज का इस्तेमाल होने से उत्पादन दोगुना होता है। समय भी कम लगता है और अच्छी आय भी होती है।

धंधे में ज्यादा लोग हो रहे हैं शामिल
झारखंड में पिछले पांच साल में अफीम की खेती का दायरा काफी बढ़ गया है। ज्यादा से ज्यादा लोग इस धंधे में शामिल हो रहे हैं, लेकिन कहा यह भी जाता है कि यह धंधा पुलिस की मिलीभगत की वजह से ज्यादा फल-फूल रहा है।

नक्सली भी कराते हैं अफीम की खेती
झारखंड में अफीम की खेती के पीछे नक्सलियों का भी हाथ है। नशा और नक्सलियों का गठजोड़ इतना गहरा हो चुका है कि अब सरकार के लिए यह एक विकराल समस्या बन चुकी है, जिससे उबर पाना इतना आसान नहीं है। पिछले पांच वर्ष में ऐसा कोई दिन नहीं है, जब अफीम, चरस, गांजा और अवैध शराब से जुड़े मामले सुर्खियां न बने हों।
इसके बाद भी ना तो सरकार जग रही है ना ही प्रशासन। नक्सल प्रभावित क्षेत्रें में ग्रामीणों को कभी लालच में तो कभी अपनी जान बचाने के लिए मजबूरन नक्सलियों की बात माननी पड़ती है।

किस साल कितनी अफीम हुई नष्ट
झारखंड पुलिस के आंकड़ों के अनुसार साल 2019 में 2500 एकड़, साल 2018 में 2160 एकड़, 2017 में 2676 एकड़, 2016 में 259 एकड़, 2015 में 516 एकड़, 2014 में 81 एकड़, 2013 में 247 एकड़, 2012 में 66 एकड़ और 2011 में 26 एकड़ जमीन से अफीम नष्ट करने की कार्रवाई की जा चुकी है।

ब्राउन शुगर का कारोबार भी बढ़ा
झारखंड में नशे के कारोबारियों का एक बड़ा गिरोह सक्रिय है। अफीम का कारोबार अब सीधे ब्राउन शुगर के कारोबार में बदल रहा है। राज्य में नशे का कारोबार कितना बड़ा है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस साल अब तक 20 करोड़ रुपये से अधिक के नशीले पदार्थ जब्त किये जा चुके हैं और 134 कारोबारियों को गिरफ्तार किया जा चुका है।

सात जिलों में नशे के कारोबार से जुड़े 366 हॉट स्पॉट चिह्नित
झारखंड पुलिस ने राज्य के सात जिलों- खूंटी, गुमला, पूर्वी सिंहभूम, सरायकेला, हजारीबाग, चतरा और लातेहार में नशे के कारोबार से जुड़े 366 स्थलों को चिह्नित किया है। नशे के उपभोग, विक्रय और निर्माण/उत्पाद केंद्र के रूप में चर्चित इन स्थलों को पुलिस ने ‘हॉट स्पॉट’ की संज्ञा दी है। पुलिस के आंकड़ों के अनुसार खूंटी ऐसा जिला है, जहां सबसे अधिक 296 स्थल नशे के उत्पाद के लिए पूरे राज्य में चर्चित हैं, जबकि लातेहार जिले में सबसे अधिक 106 लोग अभी नशे के कारोबार में शामिल हैं।
पूर्वी सिंहभूम जिले में सबसे अधिक 16 हॉट स्पॉट हैं, जहां पर नशीले पदार्थ की बिक्री होती है। चिह्नित हॉट स्पॉट पर कार्रवाई के लिए एक्शन प्लान भी तैयार किया गया है। अब सीआइडी मुख्यालय ने संबंधित जिलों के एसपी को निर्देश दिया है कि चिह्नित हॉट स्पॉट पर पुलिस विशेष निगरानी रखे। साथ ही समय-समय पर छापेमारी अभियान भी चलाया जाये।

नशे के सौदागरों के खिलाफ बढ़ायी जा रही निगरानी
राज्य पुलिस के अधिकारी दावा करते हैं कि नशे के सौदागरों पर निगरानी बढ़ायी जा रही है। इसके तहत नौ जिलों की पुलिस ने मिल कर नशे के 205 सौदागरों के खिलाफ डोसियर तैयार किया है। चतरा जिला की पुलिस ने सबसे अधिक 177 नशे के सौदागरों के खिलाफ डोसियर खोला है। संबंधित जिलों के एसपी ने इससे संबंधित आंकड़ा तैयार कर पुलिस मुख्यालय को भेज दिया है।

हाइकोर्ट ने राज्य सरकार को लगायी फटकार, मांगा जवाब
झारखंड हाइकोर्ट ने भी राज्य में नशे के कारोबार और अफीम की खेती पर गहरी चिंता जतायी और इस पर रोकथाम के लिए केंद्रीय और राज्य की एजेंसियों को संयुक्त रूप से अभियान चलाने को कहा है। अदालत ने राज्य सरकार को शपथ पत्र दाखिल कर जवाब देने को कहा है कि झारखंड को नशीले पदार्थों से कैसे मुक्त किया जा सकता है। इस मामले में राज्य के गृह सचिव, डीजीपी, सीआइडी के डीजी और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो को प्रतिवादी बनाया गया है। अदालत ने सुनवाई के दौरान कहा कि खूंटी जनजातीय बहुल आबादी वाला जिला है और यहां से बड़े पैमाने पर अफीम उत्पादन की खबरें आ रही हैं। यह स्थिति किसी भी सभ्य समाज के लिए स्वीकार्य नहीं है।

Share.

Comments are closed.

Exit mobile version