रांची। इडी ने बोकारो के तेतुलिया मौजा में 100 एकड़ से ज्यादा वन भूमि की कथित फर्जी खरीद-बिक्री मामले में अपनी जांच तेज कर दी है। इसी क्रम में बुधवार को प्रवर्तन निदेशालय (इडी ) की टीम ने रांची के बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार (जेल) पहुंची, जहां इस मामले के मुख्य आरोपित इजहार हुसैन और अख्तर हुसैन से पूछताछ की।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि दोनों से बोकारो जिले के तेतुलिया मौजा स्थित 100 एकड़ से ज्यादा जमीन की अवैध खरीद-बिक्री के मामले में गहन पूछताछ की। दोनों ने इडी के कई सवालों के जवाब नहीं दिये। इडी ने पूछा कि पुरुलिया से फर्जी नीलामी पत्र किसने बनवाया था। इसका जवाब दोनों ने नहीं दिया।
जांच में साल 2012 में अवैध तरीके से जमीन की जमाबंदी इजहार हुसैन और अख्तर हुसैन के नाम पर कर दी गई थी। लेकिन 2016 में जमीन की जमाबंदी डीसी बोकारो ने रद कर दी थी। साल 2018 में हाईकोर्ट ने जमाबंदी रद करने के आदेश पर रोक लगा दी थी, लेकिन संबंधित पक्षों को टाइटल सूट में जाने का आदेश दिया था। इसी बीच इजहार और अख्तर हुसैन ने जमीन को प्रतिबंधित सूची से साजिशन हटवा लिया।
वहीं 1933 के फर्जी निलामी पत्र के जरिए जमीन की पावर आफ अटार्नी शैलेश सिंह को दे दी। बाद में शैलेश सिंह ने इस जमीन को पावर आफ अटार्नी के नाम पर उमायुष मल्टीकॉम को बेच दी, जिसमें शैलेश की पत्नी ही निदेशक है।
जांच में यह बात सामने आयी है कि पुरुलिया से 1933 का फर्जी नीलामी पत्र बनाया गया था। वहीं जिस जमीन की बिक्री की गई उसके लिए विभाग के फर्जी एनओसी का इस्तेमाल भी किया गया। इजहार अंसारी से जमीन पर 10.23 करोड़ रुपये इन्वेस्ट किए थे।
उल्लेखनीय है कि पीएमएलए कोर्ट से इडी को दोनों आरोपितों से जेल में पूछताछ करने की एक दिन की अनुमति मिली थी। बोकारो जिले के तेतुलिया मौजा स्थित 103 एकड़ जमीन की अवैध खरीद-बिक्री के संबंध में 12 जुलाई को सीआइडी की टीम ने इजहार हुसैन और अख्तर हुसैन को गिरफ्तार किया था।