वाशिंगटन। अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हाथ खोल दिए हैं। शीर्ष अदालत ने मंगलवार को संघीय कार्यबल में कटौती करने और संघीय एजेंसियों को खत्म करने की उनकी योजना पर निचली अदालत के प्रतिबंध के फैसले को पलट दिया। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से ट्रंप के रास्ते में आई बड़ी कानूनी अड़चन खत्म हो गई। वह अब संघीय कर्मचारियों की बड़े पैमाने पर छंटनी कर सकते हैं।

द न्यूयॉर्क टाइम्स अखबार और सीबीएस न्यूज चैनल की खबर के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से आवास और शहरी विकास, राज्य और राजकोष विभागों सहित अन्य एजेंसियों के हजारों कर्मचारियों की नौकरी जा सकती है। खबर में यह भी कहा गया है कि शीर्ष अदालत के न्यायाधीशों का आदेश तकनीकी रूप से केवल अस्थायी है। मगर वह ट्रंप को अपनी योजनाओं को पूरा करने की स्वतंत्रता प्रदान करता है।

इसी साल मई में एक संघीय न्यायाधीश ने व्हाइट हाउस के सरकारी दक्षता विभाग की नौकरियों में कटौती की योजना पर रोक लगा दी थी। इसके बाद न्याय विभाग ने तत्काल राहत के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। ट्रंप ने फरवरी में कार्यकारी आदेश जारी कर एजेंसियों को बड़े पैमाने पर कर्मचारियों की संख्या में कटौती करने की योजना बनाने का निर्देश दिया था। इसके बाद कार्मिक प्रबंधन कार्यालय और बजट प्रबंधन कार्यालय में हलचल तेज हुई। इस बीच इस कार्यकारी आदेश को निजली अदालत में चुनौती दी गई।

अटॉर्नी जनरल पाम बॉन्डी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले की सराहना करते हुए सोशल मीडिया पर लिखा, ”सुप्रीम कोर्ट ने अराजक निचली अदालतों को राष्ट्रपति ट्रंप के संघीय कर्मियों पर अधिकार को प्रतिबंधित करने से रोक दिया है। न्याय विभाग के वकीलों की बदौलत सुप्रीम कोर्ट में एक और जीत। अब, संघीय एजेंसियां पहले से कहीं अधिक कुशल बनेंगी।”

सुप्रीम कोर्ट से इस फैसले पर श्रमिक संघों, गैर-लाभकारी संगठनों, शहरों और काउंटियों के गठबंधन ने निराशा व्यक्त की है। बयान में कहा गया है, “आज का फैसला हमारे लोकतंत्र के लिए गंभीर झटका है। इस फैसले ने अमेरिकी लोगों की जिन सेवाओं पर निर्भरता है, उन्हें गंभीर खतरे में डाल दिया है। बिना कांग्रेस की मंजूरी के संघीय कर्मचारियों को बेतरतीब ढंग से निकालना संविधान के अनुरूप नहीं है।”

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