रांची: पुलिस की दरिंदगी एक बार फिर सामने आयी है। इस बार पुलिस का कहर कुछ इस कदर बरपा कि युवक को फांसी लगानी पड़ी। आत्महत्या करने से पहले युवक ने पीएमओ, डीजीपी समेत 14 अधिकारियों को मेल से सुसाइड नोट भेजा। इसके बावजूद भी पुलिस उस युवक को नहीं खोज पायी। सुसाइड नोट में उसने साफ लिखा है कि पुलिस की प्रताड़ना से तंग आकर वह आत्महत्या कर रहा है।
मुख्यमंत्री रघुवर दास ने मामले को गंभीरता से लेते हुए सख्ती दिखायी है। उन्होंने डीजीपी डीके पांडेय को निर्देश दिया कि दोषियों के खिलाफ 24 घंटे में कार्रवाई कर रिपोर्ट दें। इधर, सीएम की सख्ती के बाद पुलिस महकमे में हड़कंप मचा है। आनन-फानन में चुटिया थानेदार को लाइन हाजिर कर दिया गया है। मामले की जांच सीआइडी को सौंप दी गयी है। इससे पहले शाम में मंत्री सीपी सिंह ने सीएम को पत्र लिख कर मामले से अवगत कराते हुए ठोस कदम उठाने का आग्रह किया था।
बता दें कि सेवा सदन अस्पताल के सामने पार्किंग में गुरुवार की सुबह एक युवक के शव को फंदे के शहारे लटका देख लोग सन्न रह गये। घटना की सूचना पर आसपास के कई थानेदार मौके पर पहुंचे और शव को पेड़ से उतरवाया। घटना के बाद पता चला कि धनबाद भूली निवासी युवक शिव कुमार सरोज, पिता सुरेश कुमार ने बुधवार को पीएमओ, झारखंड के डीजीपी, आइजी, निगरानी आइजी, सीआइडी आइजी, डीआइजी, एसएसपी और सिटी एसपी सहित 14 लोगों को सुसाइड नोट इ-मेल किया था।
डीएसपी और थानेदार की प्रताड़ना के कारण की आत्महत्या
धनबाद निवासी शिव सरोज पुलिस को स्टेशन रोड से बीते 30 जुलाई की रात बेहोशी की हालत में मिला था। उसे अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। होश आने के बाद वह अस्पताल से छुट्टी लेकर चुटिया थाना पहुंचा था। थाने में थानेदार अजय वर्मा ने शिव की शिकायत को दरकिनार करते हुए उल्टा उसे ही प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। मौके पर थाना पहुंचे सिटी डीएसपी शंभू कुमार सिंह ने भी शिव को प्रताड़ित किया और शिव के पिता सुरेश को थाने में बुला कर उनका कॉलर पकड़ा और बदतमिजी की। शिव ने पुलिस को बताया कि वह पासपोर्ट के काम से दिल्ली से रांची आया है। रांची में वह होटल रेडिएंट में रुका था। रात में उसे अपराधियों ने होटल के सामने से अगवा कर बेहोशी की हालत में लूटपाट की। जब उसे होश आया, तो वह अस्पताल में था।
सुसाइड नोट में लिखा
उसने सुसाइड नोट में लिखा है कि वह पासपोर्ट के काम से रांची पहुंचा था। वह होटल रेडिएंट में रुका था। 30 जुलाई को जब खाना खाने निकला, तो उसे कुछ लोगों ने अगवा कर लिया। उसने पुलिस को बताया था कि उसे बेहोश कर लूटपाट की गयी, इसके बाद बड़ा तालाब के पास उसे छोड़ दिया गया। पुलिस ने उसे हॉस्पिटल में भर्ती कराया। वहां से छुट्टी लेकर घटना की जानकारी देने जब चुटिया थाना पहुंचा, तो पुलिस ने उसे प्रताड़ित किया।
पुलिस गढ़ रही झूठी कहानी
खुद को बचाने के लिए पुलिस झूठी कहानी गढ़ रही है। पुलिस का कहना है कि शिव ने पहले खुद को आइबी का अफसर बताया था और फिर आइटी का अफसर बताया। जांच में पाया गया कि वह कहीं भी अफसर नहीं है। इसके बाद इस संदर्भ में उससे पूछताछ की गयी। लेकिन इस बात का जवाब नहीं दे रही है कि आत्महत्या के बाद ही वह यह कहानी क्यों बता रही है।