रांची: नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन ने कहा कि भू-अर्जन कानून में संशोधन करने के राज्य सरकार के निर्णय और विधानसभा में प्रस्तावित बिल का झामुमो विरोध करता है। सरकार जनता को भ्रमित करते हुए यह कह रही है कि केवल सरकारी जरूरी आवश्यकताओं के लिए अधिग्रहित की जाने वाली भूमि पर से ही सामाजिक प्रभाव के आकलन का प्रावधान हटाया जा रहा है। उन्होंने बुधवार को प्रेस बयान जारी कर कहा कि सरकार ये बताये कि राज्य बनने के बाद भाजपा सबसे ज्यादा सत्ता में रही, तो क्या उस समय विकास के जरूरी काम नहीं हुए। ऐसे तर्क और बहाने सिर्फ दिखाने के हैं।
उन्होंने कहा कि भूमि अधिग्रहण के लिए सरकार सामाजिक प्रभाव के आकलन का प्रावधान ही हटाना चाहती है। मतलब सरकार लोकतांत्रिक व्यवस्था से नहीं तानाशाही तरीके से निर्णय लेना चाहती है। उन्होंने कहा कि पिछले विस चुनाव के दौरान उन्होंने कहा था कि भाजपा की नजर राज्य की भू संपदा पर है। जनकल्याण से इनका कोई सरोकार नहीं है। राज्य के आदिवासियों और मूलवासियों की जमीन हड़प कर व्यापारियों का हित साधने की कोशिशों के तहत पहले सीएनटी और एसपीटी एक्ट में संशोधन किया गया। अब भू-अर्जन कानून ला रही है।
झामुमो विचारधारा वाले दलों के साथ मिलकर भू-अर्जन कानून में संशोधन का विरोध करेगी। झामुमो सड़क से लेकर सदन तक इसे लेकर आंदोलन करेगा।

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