Close Menu
Azad SipahiAzad Sipahi
    Facebook X (Twitter) YouTube WhatsApp
    Saturday, May 17
    • Jharkhand Top News
    • Azad Sipahi Digital
    • रांची
    • हाई-टेक्नो
      • विज्ञान
      • गैजेट्स
      • मोबाइल
      • ऑटोमुविट
    • राज्य
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
    • रोचक पोस्ट
    • स्पेशल रिपोर्ट
    • e-Paper
    • Top Story
    • DMCA
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Azad SipahiAzad Sipahi
    • होम
    • झारखंड
      • कोडरमा
      • खलारी
      • खूंटी
      • गढ़वा
      • गिरिडीह
      • गुमला
      • गोड्डा
      • चतरा
      • चाईबासा
      • जमशेदपुर
      • जामताड़ा
      • दुमका
      • देवघर
      • धनबाद
      • पलामू
      • पाकुर
      • बोकारो
      • रांची
      • रामगढ़
      • लातेहार
      • लोहरदगा
      • सरायकेला-खरसावाँ
      • साहिबगंज
      • सिमडेगा
      • हजारीबाग
    • विशेष
    • बिहार
    • उत्तर प्रदेश
    • देश
    • दुनिया
    • राजनीति
    • राज्य
      • मध्य प्रदेश
    • स्पोर्ट्स
      • हॉकी
      • क्रिकेट
      • टेनिस
      • फुटबॉल
      • अन्य खेल
    • YouTube
    • ई-पेपर
    Azad SipahiAzad Sipahi
    Home»झारखंड»रांची»हालत: गुरुजी को पता ही नहीं सीबीएसइ है क्या
    रांची

    हालत: गुरुजी को पता ही नहीं सीबीएसइ है क्या

    आजाद सिपाहीBy आजाद सिपाहीAugust 3, 2017No Comments4 Mins Read
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram LinkedIn Pinterest Email

    रांची: झारखंड सरकार अगले साल से सरकारी स्कूलों में पढ़नेवाले बच्चों के लिए भी सीबीएसइ सिस्टम लागू करने जा रही है। इसके तहत अब सबीएसइ पैटर्न पर ही सरकारी स्कूलों में पढ़ाई होगी और 10वीं तथा 12वीं की परीक्षा भी सीबीएसइ सिस्टम के तहत ही ली जायेगी। पर चौंकानेवाली बात यह है कि राज्य के सरकारी हाइस्कूलों के कई शिक्षकों को पता ही नहीं है कि आखिर सीबीएसइ है क्या। कुछ कहते हैं कि यह एक नया सिस्टम आया है, तो कुछ इसे एजुकेशन कौंसिल मात्र समझते हैं। दरअसल सीबीएसइ है क्या इसे लेकर राजधानी के एक स्कूल में एक निजी टीवी चैनल ने स्टिंग किया। वह ऐसे स्कूल में जिसे राज्य की शिक्षा सचिव आराधना पटनायक ने गोद ले रखा है। इसके कारण इस स्कूल को तमाम सरकारी व्यवस्थाएं सबसे पहले हासिल हो जाती हैं।

    इतना ही नहीं इस स्कूल को पूरे राज्य के लिए मॉडल घोषित किया गया है। यह राजधानी स्थित जगन्नाथपुर स्कूल। राज्य में रघुवर सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री रघुवर दास ने इसी स्कूल से पौष्टिक मिड डे मील योजना की शुरुआत की थी, जिसके तहत बच्चों को तीन दिन अंडा और शेष दिन फल और दूध दिये जाने की व्यवस्था की गयी है। परंतु इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या होगा कि राज्य में सबसे बेहतरीन माने गये स्कूल के शिक्षक ही सीबीएसइ क्या है के सवाल पर बंगले झांकते नजर आ रहे हैं। इस स्कूल के 10 महिला-पुरुष शिक्षकों से ये सवाल किया गया, जिनमें से नौ जवाब नहीं दे सके। एक युवा महिला शिक्षिका ने सही जवाब दिया-सेंट्रल बोर्ड फॉर सेकेंड्री एजुकेशन।

    सीबीएसइ क्या है हम जानकर क्या करेंगे
    स्कूल की एक महिला शिक्षिका, जो यहां 1988 से पढ़ा रही हैं, वह कहती हैं कि ये सब हम जानकर क्या करेंगे। सीबीएसइ क्या है, यह जानने से जरूरी है बच्चों को पढ़ाना। यही हमारा काम है और कर रहे हैं।
    वहीं एक अन्य महिला शिक्षिका इस सवाल पर चौंक गयीं, उन्होंने कहा कि हमसे भी पूछियेगा क्या.., हम तो टीचर हैं। एक अन्य महिला शिक्षिका यह सवाल सुनते ही बिना जवाब दिये ही निकल गयीं।

    स्कूल प्रबंधन से ली जायेगी जानकारी: मंत्री
    इस मामले में शिक्षा मंत्री डॉ नीरा यादव ने कहा कि सरकार ने समय-समय पर शिक्षकों को अपडेट करने के लिए कार्यशाला और ट्रेनिंग की व्यवस्था की है, परंतु प्लस-2 स्तर पर यह होता रहा है। मिडिल और हाइस्कूल के शिक्षकों को अपडेट करने के लिए भी ऐसी व्यवस्था की जा रही है। पिछले दिनों कई शिक्षक ग्रामीण क्षेत्रों से शहर में आये हैं, शायद उन्हें इस तकनीकी जवाब में परेशानी हुई हो। हालांकि शिक्षक कहीं का भी हो, उसे यह जानना चाहिए। इस मामले में स्कूल प्रबंधन से जानकारी ली जायेगी।

    लापरवाही और अपडेट नहीं होना मुख्य समस्या: विशेषज्ञ
    इस मामले में विशेषज्ञों का कहना है कि लापरवाही और समय के साथ अपडेट नहीं होना ही मुख्य कारण है। रांची विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो एए खान, जो स्कूली शिक्षा को बेहतर करने के हमेशा हिमायती रहे हैं, कहते हैं कि 10-12 साल पहले ही सरकार को सुझाव दिया जा रहा है कि शिक्षकों के लिए नियमित कार्यशाला का आयोजन होना चाहिए, जिससे वे अपडेट होते रहें। जिस प्रकार विश्वविद्यालयों में रिफ्रेशर एवं ओरिएंटेशन कोर्स का नियमित आयोजन होता है, इसलिए एक स्वतंत्र विभाग है, उसी तरह की व्यवस्था स्कूली स्तर पर भी होनी चाहिए। सीबीएसइ सिस्टम लागू करने के साथ शिक्षकों को भी इसके लिए पूरी तरह तैयार करना होगा। वरना बच्चे अधूरी जानकारी लेते रह जायेंगे। वहीं, संत जेवियर्स कॉलेज के प्राचाय फादर डॉ निकोलस टेटे कहते हैं कि इसमें शिक्षकों की लापरवाही भी झलकती है। उन्होंने कहा कि एक बार शिक्षक बन गये, किसी स्कूल में नियुक्त हो गये, बस हो गया जीवन सफल। इससे काम नहीं चलेगा। शिक्षक हैं, तो आजीवन पढ़ते रहना होगा। पढ़ाई छूटने का ही यह परिणाम है। इसलिए कहा जाता है कि कुछ भी मिले पूरा पढ़ जाइये, तो खुद अपडेट होते रहेंगे। ट्रेनिंग की जरूरत भी नहीं पड़ेगी।

    Share. Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleबस ‘2 मिनट’ लगाइए ध्यान और पाइये ’24 घंटे आराम’
    Next Article आज उद्यम विकास बोर्ड से जुड़े 300 युवाओं को सीएम सौंपेंगे नियुक्ति पत्र
    आजाद सिपाही
    • Website
    • Facebook

    Related Posts

    बाबूलाल मरांडी ने मोरहाबादी से अतिक्रमण हटाने ने पर जताई आपत्ति, कहा- डीसी मुआवजा दें

    May 16, 2025

    भाजपा के नेता सेना का अपमान कर रहे : सुप्रियो

    May 16, 2025

    गुरुजी के विचारों से भटक गया झामुमो : सुदेश

    May 16, 2025
    Add A Comment

    Comments are closed.

    Recent Posts
    • बाबूलाल मरांडी ने मोरहाबादी से अतिक्रमण हटाने ने पर जताई आपत्ति, कहा- डीसी मुआवजा दें
    • भाजपा के नेता सेना का अपमान कर रहे : सुप्रियो
    • गुरुजी के विचारों से भटक गया झामुमो : सुदेश
    • भुज एयरबेस पर रक्षामंत्री राजनाथसिंह ने भरी हुंकार, बोले- जितनी देर में लोग नाश्ता करते हैं, उतने में आपने दुश्मनों को निपटा दिया
    • भारत-बांग्लादेश सीमा पर बीएसएफ ने नाकाम की तस्करी की कोशिश
    Read ePaper

    City Edition

    Follow up on twitter
    Tweets by azad_sipahi
    Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
    © 2025 AzadSipahi. Designed by Microvalley Infotech Pvt Ltd.

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

    Go to mobile version