नयी दिल्ली: गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने सीबीएसई (केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड) को नीट में स्थानीय भाषा के लिए अलग प्रश्नपत्र बनाने को लेकर फटकार लगाई. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि नीट की सभी परीक्षाओं के लिए एक प्रश्नपत्र ही होना चाहिए. 7 मई 2017 को हुए नीट 2017 की परीक्षा के बाद परीक्षार्थी अपनी शिकायतें लेकर कोर्ट में पहुंचे और उन्होंने आरोप लगाया कि स्थानीय भाषाओं के प्रश्नपत्र हिंदी और अंग्रेजी के प्रश्नपत्रों से कठिन थे. गुजराती भाषा में परीक्षा देने वाले अभ्यर्थियों ने कोर्ट से गुहार लगाई कि सीबीएसई को 7 मई को हुई परीक्षा को स्क्रैप करके फिर से नई परीक्षा करवानी चाहिए जिसमें अंग्रेजी और गुजराती का प्रश्नपत्र एक जैसा हो. बीते 14 जुलाई को एपेक्स कोर्ट ने परीक्षा निरस्त करने से इनकार कर दिया था क्योंकि इससे करीब 6 लाख अभ्यर्थियों पर असर पड़ता. कोर्ट ने कहा कि नतीजों को खारिज करना बेहद मुश्किल है. कोर्ट द्वारा उस याचिका को खारिज कर दिया गया जिसमें आंध्र प्रदेश में तीन अलग-अलग प्रश्नपत्र देने की बात कही गई थी. याचिकाकर्ताओं का कहना था कि नीट की परीक्षा के बाद अॉल इंडिया लेवल पर रैंक दी जाती है जिसके हिसाब से हर परीक्षार्थी को एक जैसा प्रश्नपत्र मिलना चाहिए. मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा था कि स्थानीय भाषाओं के प्रश्नपत्र महज अंग्रेजी के पेपर के अनुवाद होंगे.

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