देवघर: देवघर के बाबाधाम की महिमा पूरे देश में फैली है. 12 ज्योर्तिलिंगों में शामिल बाबाधाम को लेकर विवाद भी हुआ, जब इसे उज्जैन के ज्योतिर्लिंगों से हटा लिया गया था. फिर भी इसके महत्व को इसकी महिमा को नकारा नहीं जा सकता.
25 दिनों में 33 लाख श्रद्धालुओं ने किया जलार्पण, विभागों द्वारा लाखों की हुई कमाई : बाबा मंदिर प्रांगण में 22 मंदिर और कुल 24 देवी-देवता निवास करते हैं. यहां आने वाले श्रद्धालु महाकाल की पूजा भी जरूर करते हैं. लेकिन क्या भक्तों को यह पता है कि यहां महाकाल भैरव की पूजा-पाठ और जलार्पण का अपना महत्व है. भैरव को शिव का रूद्र रूप माना गया है. भैरव शिव के ही अंश है इसलिए यहां शिव के साथ भैरव भी निवास करते हैं. भैरव दो भुजाओं से लेकर आठ भुजाओं तक के होते हैं.
कथाओं के मुताबिक किसी भी शहर में प्रवेश करने के लिए उसके आदेश पालक की अनुमति जरूरी होती है और ऐसी मान्यता है कि शिव की पूजा के बाद भैरव की पूजा अर्चना करने से शिव की पूजा करने जैसा फल मिल जाता है. यही कारण है कि भक्त जब 105 किलोमीटर की लंबी यात्रा पैदल करके आते हैं तो भैरव मंदिर में पूजा अर्चना जरूर करते हैं. महाकाल भैरव की पूजा करने से शिव की पूजा पूर्ण मानी जाती है. इसलिए भक्त शिवलिंग की पूजा के साथ-साथ भैरव की पूजा जरूर करते हैं. महाकाल भैरव को मनाने के लिए इनके पैर-हाथ भी दबाए जाते हैं.
मंदिर में भैरव की अति प्राचीन मूर्ति स्थापित है. भैरव की यह मूर्ति अति विकराल है. इसे शिव का रुद्र रूप माना जाता है. यहां भक्त बड़े तन्मय होकर पूजा करते हैं और बड़ी शिद्दत से यहां जलार्पण भी करते हैं. कुल मिलाकर शिवधाम में भैरव मंदिर अपना खास स्थान रखता है. दुर्लभ प्राचीन मूर्ति महाकाल भैरव का शाम में श्रृंगार भी होता है.