लंदन। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि सत्ताधारी भाजपा से मुकाबले के लिए एक ‘‘ताकतवर गठबंधन’’ बनाकर कांग्रेस 2019 के लोकसभा चुनावों में जीत हासिल करेगी। हाउस ऑफ कॉमंस परिसर में ‘भारत एवं विश्व’ नाम के एक परिचर्चा कार्यक्रम के दौरान राहुल ने देश की पिछड़ी जातियों और अल्पसंख्यकों को अलग-थलग रखने की राजनीति के जरिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) जैसी ताकतों की कट्टर और नफरत से भरी विचारधारा को भारत पर थोपने की कोशिश के खिलाफ चेताया। उन्होंने 2019 के लोकसभा पर कहा कि अगला चुनाव बहुत ही दिलचस्प होने वाला है। आगामी चुनाव भाजपा-आरएसएस बनाम पूरा विपक्ष होगा।
वहीं राहुल गांधी ने कहा कि 2014 के आम चुनावों में मिली हार की वजह भी बताई। उन्होंने स्वीकार किया कि 10 साल तक सत्ता में रहने की वजह से उसमें एक हद तक दंभ आ गया था। इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्ट्रेटजिक स्टडीज में यहां एक सवाल के जवाब में गांधी ने कहा, आपको सुनना होगा – नेतृत्व का आशय सीखना है। गांधी से जब पूछा गया कि उनकी पार्टी ने 2014 में मिली चुनावी शिकस्त से क्या सीखा, तो उन्होंने कहा, 10 साल तक सत्ता में रहने के बाद कांग्रेस में कुछ हद तक दंभ आ गया था और हमनें सबक सीखा।
ब्रिटेन के सांसदों और स्थानीय नेताओं को संबोधित करते हुए राहुल ने कहा कि युवा नेताओं को साथ लाकर और महिला नेताओं को ज्यादा जगह देकर पार्टी खुद को बदलने को लेकर प्रतिबद्ध है। साल 1984 के सिख विरोधी दंगों में कांग्रेस पार्टी की ‘‘संलिप्तता’’ के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में राहुल ने उस घटना को ‘‘त्रासदी’’ और ‘‘दर्दनाक अनुभव’’ करार दिया, लेकिन इस बात से सहमत नहीं हुए कि कांग्रेस इसमें ‘‘शामिल’’ थी।
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘‘मैं समझता हूं कि किसी के खिलाफ की गई कोई भी हिंसा गलत है। भारत में कानूनी प्रक्रियाएं चल रही हैं, लेकिन जहां तक मेरी राय है, उस दौरान हुई किसी भी गलती के लिए सजा मिलनी चाहिए…मैं इसमें 100 फीसदी समर्थन दूंगा।’’
कांग्रेस को घमंड आ गया था इसलिए 2014 में हारे : राहुल गांधी
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