दिल्ली: ई-सिगरेट मुंह के डीएनए को नष्ट करने वाले तत्वों का स्तर बढ़ाकर मुंह के कैंसर की बीमारी का कारण बन सकती है। अमरीकन कैमिकल सोसायटी बोस्टन के एक अध्ययन में यह चेतावनी दी गई है। यूनिवर्सिटी ऑफ मिन्नेसोटा ने भी चेताया है कि अगर कोशिकाओं की मुरम्मत नहीं हो पाती है तो कैंसर विकसित हो सकता है। इस अध्ययन से जुड़ी डॉक्टर सिलविया बाल्बो का कहना है कि सामान्य सिगरेट से निकलने वाले तंबाकू से कहीं ज्यादा कार्सिनोजेन्स ई-सिगरेट पीने से बढ़ता है।
शोधकर्ता डॉक्टर रोमेल डैटर का कहना है कि हम उन सभी रसायनों का वर्गीकरण करना चाहते हैं जो ई-सिगरेट पीने के बाद निकलते हैं और डी.एन.ए .को नष्ट करते हैं।
डीएनए को करती है नष्ट
अमरीकन कैमिकल सोसायटी बोस्टन ने इस अध्ययन में पाया कि ई-सिगरेट डीएनए को नष्ट करती है। अगर शरीर ई-सिगरेट पीने के बाद नष्ट हुए डी.एन.ए. की मुरम्मत नहीं कर पाता तो कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है।
कई और भी हैं नुक्सान
यही नहीं शोध में यह भी माना है कि इलैक्ट्रॉनिक सिगरेट पीने से और भी कई नुक्सान होते हैं जिन्हें अभी तक बहुत से लोग नहीं जानते हैं। इससे हार्ट अटैक, मस्तिष्क आघात और फेफड़े की जानलेवा बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है।
3 हानिकारक तत्वों की पहचान
शोधकर्ताओं ने ई-सिगरेट पीने के बाद डी.एन.ए. को नष्ट करने वाले 3 तत्वों को पहचाना जिसमें फोरमालडिहाइड, एक्रोलिएन और मिथाइजिलायोक्सल शामिल हैं।
किशोरों में बढ़ रही ई-सिगरेट की लत
एक शोध के मुताबिक किशोरों में ई-सिगरेट की लत बढ़ रही है। उत्तर-पश्चिमी इंगलैंड के शोधकर्ताओं के मुताबिक जिन किशोरों ने कभी सिगरेट का एक कश भी नहीं लिया था वे अब ई-सिगरेट के साथ प्रयोग कर रहे हैं।