रांची. झारखंड सरकार ने नए हाईकोर्ट परिसर के लिए धुर्वा इलाके में 165 एकड़ जमीन आवंटित की थी। अब सरकार इनमें से 90 एकड़ जमीन वापस लेना चाहती है। सरकार का मानना है कि 75 एकड़ जमीन हाईकोर्ट परिसर के लिए पर्याप्त है। हाल ही में मुख्यमंत्री रघुवर दास ने हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस अनिरुद्ध बोस से मुलाकात के दौरान यह प्रस्ताव रखा था। इसके बाद सरकार ने समीक्षा शुरू कर दी है।
तत्कालीन चीफ जस्टिस वीरेंद्र सिंह के कार्यकाल में झारखंड हाईकोर्ट का अलग परिसर बनाने का फैसला लिया गया था। हाईकोर्ट ने इसके लिए 165 एकड़ जमीन का प्रस्ताव रखा, जो आवंटित कर दिया गया। तब एसके चौधरी मुख्य सचिव थे। इन 165 एकड़ में से 69 एकड़ जमीन हाईकोर्ट के प्रशासनिक भवन, कोर्ट रूम, अधिवक्ता रूम और अन्य कार्यालयों के लिए चिह्नित है। इसके अलावा 70 एकड़ जमीन में जजों और अन्य कर्मचारियों का आवासीय परिसर बनना है। वहीं 15 एकड़ जमीन ग्रीन बेल्ट और 11 एकड़ जमीन सड़क के लिए चिह्नित है। प्रशासनिक भवन, कोर्ट रूम और अन्य भवनों का निर्माण 11 एकड़ में ही किया जा रहा है। इनमें भी सिर्फ 8.5 एकड़ जमीन में ही निर्माण चल रहा है।
जमीन वापस मिले तो बन सकता है विधायक-राज्यकर्मियों का आवास : सरकार का मानना है कि अगर 90 एकड़ जमीन वापस मिल जाए तो वह इसका उपयोग दूसरे निर्माण कार्यों के लिए किया जा सकता है। हालांकि, अभी कोई प्रस्ताव नहीं बना है। एक अधिकारी ने बताया कि उस जमीन पर राज्यकर्मियों के लिए आवासीय परिसर का निर्माण कराया जा सकता है। विधायकों और मंत्रियों के आवासीय परिसर के रूप में भी विकसित हो सकता है।
महज 39 एकड़ में बन रहा विधानसभा और 60 एकड़ में सचिवालय : झारखंड विधानसभा का नया परिसर मात्र 39 एकड़ जमीन पर बन रहा है। नए सचिवालय के लिए मात्र 60 एकड़ जमीन चिन्हित है। हाईकोर्ट के लिए 165 एकड़ जमीन है। कहा जाता है कि देश के किसी भी हाईकोर्ट का परिसर इतना बड़ा नहीं है।