महुआडांड। हर वर्ष की भांति इस बार भी महुआडांड हिंदू महासभा, बजरंग दल एवं मानस मणि दीप सेवा संस्थान सरना धाम बारेसाढ़ गारू के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित अंतरप्रखंड स्तरीय कांवर जल यात्रा में लगभग पंद्रह हजार की भारी संख्या में कांवर लेकर बाबा के भक्तों ने 51 किलोमीटर की दूरी तय कर बारेसाढ़ थाना क्षेत्र स्थित ग्राम सरनाधाम में स्थित शिवलिंग में जल अर्पित किया। शनिवार को कांवरिया बम बुढ़ा घाघ जलप्रपात पहुंचे, जहां ब्राह्मण सर्वेश पाठक, अवधेश पाठक, राजेश पाठक, मुरारी पाठक आदि ब्राह्मणों के देखरेख में जल उठाया। कांवर जल यात्रा बुढ़ा घाघ जलप्रपात से प्रारंभ होकर महुआडांड प्रखंड स्थित ग्राम लोध, चटकपुर, पंडरीटोली, हामी, रेंगाई, केनाटोली, महुआडांड़ मुख्य बाजार, राजडंडा, बोहटा, बासकरचा, अक्सी, चेतमा होते हुए करीब 51 किलोमीटर की दूरी पर बारेसांड सरनाधाम पहुंचा।
ये लोग थे कार्यक्रम में : कार्यक्रम को सफल बनाने मे मानस मणि दीप सेवा संस्थान के अध्यक्ष सुभाष कुमार सिंह, निदेशक डा. एके शाह, हिंदू महासभा के संरक्षक अरूण जयसवाल, रौनियार वैश्य विकास मंच महुआडांड़ के प्रखंड अध्यक्ष अंतु साव, बजरंग दल के जिला संयोजक सुरज प्रसाद, संरक्षक प्रदीप जयसवाल, महामंत्री निरंजन जयसवाल, पवन कुमार श्रीवास्तव, संघ संचालक संतोष कुमार, संगठन मंत्री नितिश कुमार, रामदत प्रसाद, बलराम प्रसाद, सुभाष प्रसाद, देवनारायण प्रसाद, अनिल प्रसाद, जगेश्वर सिंह, चंद्रशेखर प्रसाद, कपिलदेव प्रसाद, महेंद्र प्रसाद, छत्रपति बडाइक, रामचंद्र बडाइक, प्रदीप बडाइक, विश्वनाथ राम, पंकज दास बाबू, शशि कुमार आदि बजरंग दल कार्यकर्ताओं ने पूरे तन-मन से कार्य किया।
दुकान और प्रतिष्ठान रहा बंद : अंतरप्रखंड स्तरीय कांवर जल यात्रा को सफल बनाने को लेकर महुआडांड हिन्दू महासभा के आह्वान पर महुआडांड हिंदू समुदाय के लोगों ने अपनी अपनी दुकाने और प्रतिष्ठान स्वत: बंद रखा।
कांवरियों के ठहराव की व्यवस्था : हिंदू महासभा, रौनियार वैश्य समाज चटकपुर, बजरंग दल, मानस मणी दीप सेवा संस्थान सरनाधाम बारेंसाढ़ के सौजन्य से कई स्थानों पर कांवरियों के ठहराव और खाने पीने की व्यवस्था भी की गयी।
इन्होंने निभाई महत्वपूर्ण भूमिका : समाजसेवी रामसेवक प्रसाद चटकपुर, अंबवाटोली के शशि प्रसाद, राजंद्र प्रसाद (कुनू), सत्येंद्र प्रसाद, राजेश जयसवाल, हामी के रामपुकार प्रसाद आदि के द्वारा जगह-जगह कांवरियों के ठहराव और खाने पीने की व्यवस्था भी की गयी थी।