नयी दिल्ली। सोनिया गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के हाथ मजबूत करने के लिए एक नई रणनीति तैयार की है। विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि उन्होंने 10 जनपथ निवास पर किसी भी कांग्रेस नेता से मिलने और पार्टी मामलों पर चर्चा न करने का फैसला किया है। सोनिया गांधी ने केंद्र और राज्यों के सभी कांग्रेस नेताओं को सलाह दी है कि वे राहुल गांधी या पार्टी कार्यालय से सीधे संपर्क करें। वह न तो उनके साथ पार्टी मामलों पर चर्चा करेंगी और न ही किसी मुद्दे को शामिल करने के लिए प्रोत्साहित करेंगी। पार्टी के साथ उनका संपर्क उनके राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल के माध्यम से है। यहां तक कि सोनिया ने कांग्रेस कार्यकारिणी समिति (सी.डब्ल्यू.सी.) की बैठक भी छोड़ दी ताकि राहुल गांधी का अधिकार किसी भी तरह से कमजोर नहीं हो सके।

यही नहीं, जब वह संसद भवन में आती हैं तब भी वह सांसदों को पार्टी के आंतरिक मामलों के बारे में बात करने से मना कर देती हैं। वह उन्हें सीधे राहुल गांधी से बात करने के लिए कहती हैं। रिपोर्टों के अनुसार वह 2019 में रायबरेली लोकसभा सीट से चुनाव नहीं लड़ सकती हैं। इसकी बजाय वह राज्यसभा से आ सकती हैं और प्रियंका गांधी को राहुल गांधी के हाथों को मजबूत करने के लिए अमेठी से मैदान में लाया जा सकता है। बेशक सोनिया गांधी विपक्षी एकता बनाए रखने में प्रमुख भूमिका निभाएंगी। हालांकि वह यूपीए अध्यक्ष बनी रह सकती हैं लेकिन यह व्यावहारिक रूप से उचित नहीं होगा। वह शरद पवार, ममता बनर्जी और एच.डी. देवेगौड़ा जैसे विपक्ष के वरिष्ठ नेताओं से संपर्क बनाए हुए हैं।

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