रांची. देश के सबसे साफ शहर इंदौर में मेयर और पार्षद सीधे आम लोगों से सरोकार रखते हैं। इसी वजह से शहर की सफाई हो या ट्रैफिक मैनेजमेंट, इसमें पार्षदों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। शहर के हर मुद्दे से जुड़े होने और वार्ड में भी सभी योजनाओं को धरातल पर उतारने में सरकार का सहयोग करने वाले मेयर को मात्र 11 हजार रुपए और पार्षदों को मात्र 6 हजार रुपए प्रति माह मानदेय मिलता है। इसके अलावा मेयर को 2,500 रुपए सत्कार भत्ता और पार्षदों को 250 रुपए सत्कार भत्ता मिलता है।
झारखंड के पड़ोसी राज्य बिहार में मेयर को प्रति माह 12 हजार, डिप्टी मेयर को 10 हजार और पार्षदों को मात्र 2500 रुपए मानदेय मिलता है। लेकिन, रांची नगर निगम बोर्ड ने मेयर को 75 हजार, डिप्टी मेयर को 60 हजार और पार्षदों को 30 हजार रुपए वेतन देने का प्रस्ताव पास किया है। जबकि, वर्तमान में मेयर को 10, डिप्टी मेयर को 9 और पार्षदों को 7 हजार रुपए मानदेय मिल रहा है। इसके बावजूद शहर की साफ-सफाई बदहाल है। स्वच्छता सर्वेक्षण में किसी तरह रांची 21वें स्थान पर पहुंची है। यह भी कागजी प्रक्रिया दिखाकर। वास्तव में शहर की स्थिति काफी खराब है। इस वजह से आधा शहर में डेंगू और चिकनगुनिया फैला है।
प्रमुख नगर के मेयर-पार्षद का वेतन
मध्यप्रदेश के सभी नगर निकायों में मेयर को 11 हजार मानदेय और 2500 सत्कार भत्ता मिलता है। पार्षदों को 6 हजार रुपए मानदेय और 250 रुपए सत्कार भत्ता मिलता है।
– गुजरात के सभी नगर निकायों में पहले प्रति बोर्ड और स्थाई समिति की बैठक के लिए मेयर और पार्षदों को 4,500 रुपए मिलते थे। अब इसमें बदलाव कर दिया गया है। प्रति माह 12,500 रुपए मिलेंगे।
– हरियाणा के हिसार, पानीपत सहित अन्य नगर निकायों में मेयर को प्रति माह 20 हजार, डिप्टी मेयर को 15 हजार और पार्षदों को प्रति माह 10,500 रुपए मानदेय मिलता है।
– राजस्थान के जयपुर, जोधपुर सहित सभी निकायों में मेयर को प्रति माह 20 हजार मानदेय व 750 रुपए स्टेशनरी के लिए मिलता है। पार्षदों को 7500 रुपए मिलते हैं, जिसमें इनका भत्ता भी शामिल है।
– महाराष्ट्र के औरंगाबाद, नासिक सहित अन्य नगर निकायों में मेयर को प्रति माह 15000 रुपए और पार्षदों को 10 हजार रुपए मानदेय मिलता है। इसके अलावा उन्हें कोई सुविधा नहीं मिलती।
बिहार के पटना नगर निगम सहित अन्य निकायों में मेयर को 12 हजार, डिप्टी मेयर को 10 हजार और पार्षदों को प्रति माह 2500 रु. मानदेय मिलता है। इसके अलावा उन्हें कोई अतिरिक्त भत्ता नहीं मिलता।
जनता पर टैक्स बढ़ाकर अपना वेतन मांग रहे मेयर-पार्षद : रांची नगर निगम के मेयर, डिप्टी मेयर और पार्षदों ने पिछले निगम बोर्ड की बैठक में अपना मानदेय बढ़ाने का प्रस्ताव पास कर दिया है। यह मानदेय सभी को मिलता है, तो सालाना तीन करोड़ रुपए का बोझ निगम पर पड़ेगा। इसकी भरपाई करने के लिए उन्होंने आम जनता के टैक्स से मानदेय देने की मांग की है। वार्ड 26 के पार्षद अरुण झा ने इसके पीछे तर्क दिया है कि पहले निगम को होल्डिंग टैक्स सहित अन्य स्रोतों से सालाना 10 करोड़ की आय होती थी। अब तीन गुना होल्डिंग टैक्स बढ़ा है। वाटर टैक्स, ट्रेड लाइसेंस सहित अन्य मद से करीब 100 करोड़ निगम को मिल रहा है। इसलिए मानदेय का भुगतान टैक्स के पैसे से किया जाए।
तब पूरे राज्य में सरकार को देना होगा मानदेय : रांची नगर निगम के अलावा धनबाद, आदित्यपुर और चास नगर नगर निगम में मेयर को 10, डिप्टी मेयर को 9 और पार्षदों को 7 हजार रुपए मानदेय मिलता है। रांची नगर निगम बोर्ड द्वारा मेयर को 75, डिप्टी मेयर को 60 और पार्षदों को 30 हजार रुपए मानदेय देने का प्रस्ताव स्वीकृत किए जाने के बाद आदित्यपुर, धनबाद और चास नगर निगम ने भी बराबर मानदेय सहित अन्य भत्ता की मांग की है। गौरतलब हो कि अगर राज्य सरकार रांची नगर निगम बोर्ड के प्रस्ताव को स्वीकृति देती है तो सभी निकायों के जनप्रतिनिधियों को बराबर मानदेय देना होगा।