अभी से टिकीं मिशन 2024 पर निगाहें
अभी मात्र पिछले चुनाव के 19 महीने बीते हैं और अभी से भाजपा और आजसू की निगाहें झारखंड की गद्दी एक बार फिर पाने की जुगत में लग गयी है। यानि वे मिशन 2024 को ध्यान में रखकर काम कर रहे हैं। वहीं सरकार में शामिल घटक दलों के नेताओं और कार्यकर्ताओं की निगाहें बोर्ड-निगम और समितियों में स्थान पाने की है। इसके लिए सरकार में शामिल घटक दल पूरा जोर लगाये हुए हैं। कांग्रेस और राजद तो चाहते हैं कि सत्ता की मलाई का जितना हिस्सा हाथ आ जाये उतना ही अच्छा है। इधर, कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम ने साफ कर दिया है कि अगस्त में बीस सूत्री और निगरानी समितियों का गठन हो जायेगा। कांग्रेस की एक चिंता यह भी है कि राज्य में सरकार गिराने की साजिश में कांग्रेस विधायकों का नाम आने से पार्टी की छवि पर असर पड़ रहा है। वहीं कांग्रेस संगठन पद को लेकर भी कुछ लोग विवाद पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। कुछ-कुछ सुगबुगाहट भी होती रहती है। सत्ता पक्ष और विपक्षी दलों की झारखंड में सरकार गठन के बाद की कार्यप्रणाली को रेखांकित करती दयानंद राय की रिपोर्ट।
29 दिसंबर 2019 को झारखंड की सत्ता संभालनेवाली हेमंत सरकार 19 महीने का कार्यकाल पूरा कर चुकी है। कोरोना की दो लहरों से जूझती हुई इस सरकार ने सरकार के घटक दलों के अंदरुनी कलह के बीच जनाकांक्षाओं पर खरा उतरने का पूरा प्रयास भी किया है। पर सरकार में शामिल घटक दलों खासकर कांग्रेस और राजद की महत्वाकांक्षा का असर सरकार के संचालन पर पड़ रहा है। बोर्ड-निगमों और 20 सूत्री के अलावा निगरानी समितियों पर काबिज होने की चाहत दोनों दलों के नेताओं में इतनी उछाल मार रही है कि रह-रहकर उनका असंतोष सामने आता रहता है। इधर, बारहवें मंत्री के सवाल पर झामुमो यह साफ कर चुकी है कि राज्य में जब भी 12वां मंत्री बनेगा वह झामुमो का ही होगा। हालांकि 12वें मंत्री पद पर कांग्रेस ने भी अपनी दावेदारी की है। सत्ता में मलाई सबको चाहिए तो प्रदेश राजद भला कैसे पीछे रहती। राजद के प्रदेश अध्यक्ष अभय सिंह ने 21 जुलाई को प्रदेश राजद कार्यालय में आयोजित प्रेसवार्ता में साफ कर दिया कि राजद की दावेदारी छह जिलों में 20 सूत्री उपाध्यक्ष पद और 29 प्रखंडों में 20 सूत्री अध्यक्ष पद पर है। इसके अलावा बोर्ड और निगमों में भी हिस्सेदारी मिलनी चाहिए।
जनता से जुड़ाव के कार्यक्रम बहुत नहीं
जनता से जुड़ाव के कांग्रेस के कार्यक्रमों की बात करें तो कांग्रेस ने प्रदेश में एक बड़ा कार्यक्रम 20 जुलाई को किया था। इस दिन प्रदेश कांग्रेस ने राज्य के सभी पेट्रोल पंपों के सामने पेट्रोल-डीजल की बढ़ रही कीमतों और उससे बढ़ रही महंगाई के खिलाफ हस्ताक्षर अभियान चलाया था। कांग्रेस का दूसरा बड़ा कार्यक्रम आउटरीच सर्वे महाअभियान रहा जिसके जरिये जनता में अपनी पैठ बनाने की कोशिश पार्टी ने की। हालांकि इस अभियान के नतीजे अभी तक सामने नहीं आये हैं। इससे पहले 20 फरवरी को पार्टी की ओर से हजारीबाग में किसान आंदोलन के समर्थन में किसान रैली निकाली गयी थी। वहीं झामुमो की बात करें तो सत्ता संभालने के बाद से पार्टी की ओर से कोई बड़ा कार्यक्रम बीते 19 महीनों में नहीं किया गया है। पार्टी नेता खासकर झामुमो महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य पार्टी की बातें प्रेसवार्ताओं के जरिये रखते रहे हैं। वहीं राजद की बात करें तो पार्टी ने 5 जुलाई को अपना 25वां स्थापना दिवस समारोह मनाया। इसके अलावा पार्टी के एकमात्र विधायक और सरकार में मंत्री सत्यानंद भोक्ता का ध्यान अपने गृह क्षेत्र चतरा में अधिक रहता है।
भाजपा के कार्यक्रमों में सुनियोजित रणनीति दिखती है
इधर, विपक्षी दल भाजपा और आजसू की गतिविधियों पर निगाह डालें तो सत्ता पक्ष और विपक्ष की कार्यपद्धति में साफ अंतर दिखायी देता है। प्रदेश भाजपा जहां कार्यक्रमों की श्रृंखला के साथ लगातार चर्चा में बनी रहती है वहीं इसने प्रदेश के ऊर्जावान नेताओं को राष्टÑीय फलक पर जगह देकर अपने कार्यकर्ताओं को यह संदेश भी दिया है कि व्यक्तित्व में काबिलियत होगी तो पार्टी सम्मान देने से नहीं चूकेगी। चाहे सांसद समीर उरांव को भाजपा एसटी मोर्चा का राष्टÑीय अध्यक्ष बनाना हो या फिर कोडरमा सांसद अन्नपूर्णा देवी को केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री बनाना। अर्जुन मुंडा को केंद्र में जनजातीय मामलों का मंत्री बनाना हो या फिर आरती सिंह को भाजपा महिला मोर्चा का राष्टÑीय मंत्री बनाना। अर्जुन मुंडा के जरिये देशभर के आदिवासियों तथा समीर उरांव के जरिये एसटी मोर्चा को देशभर में और सशक्त करने की कवायद हो या फिर अन्नपूर्णा देवी के जरिये पिछड़ी जातियों को साधने की कोशिश भाजपा सुनियोजित रणनीति के तहत अपने काम को अंजाम दे रही है। कोरोना काल में सेवा ही संगठन कार्यक्रम हो या पार्टी नेताओं का किसानों के समर्थन में खेतों पर उतरना भाजपा जनता से जुड़ाव की हर संभव कोशिश करती दिखती है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने रविवार को प्रदेश भाजपा कार्यालय में आयोजित प्रेसवार्ता में यह साफ किया कि 20 अगस्त से राज्य के सभी 513 मंडलों में पार्टी सरकार की नीतियों के खिलाफ सड़कों पर उतरेगी। इससे पहले पार्टी अतिक्रमण हटाओ अभियान को राज्य सरकार का तुगलकी फरमान बता चुकी है वहीं रूपा तिर्की हत्याकांड में भी सीबीआइ जांच की मांग करके अपना स्टैंड साफ कर चुकी है। वहीं आजसू की बात करें तो राज्य के सभी 260 प्रखंडों में प्रखंड प्रभारियों की नियुक्ति कर पार्टी ने संगठन मजबूत करने की दिशा में अहम काम किया है। इसके अलवा पार्टी का लक्ष्य एक लाख सक्रिय और दस लाख साधारण सदस्य बनाने का है। इससे पार्टी के जनाधार को मजबूती मिलेगी। पार्टी ने करणी सेना की राष्टÑीय उपाध्यक्ष विजेता वर्मा और कांग्रेस नेता संतोष सोनी जैसे ऊर्जावान नेताओं को भी पार्टी से जोड़ा है और इसके अलावा अपने विधानसभा क्षेत्र सिल्ली में सुदेश महतो की सक्रियता देखते ही बनती है।