प्रशांत झा
देश में कोरोना की तीसरी लहर की आशंका जतायी जा रही है। हर कोई अब इससे बचने के लिये टीका लेना चाहता है। राज्यों को जरूरत के अनुसार टीका नहीं मिल रहा। नतीजतन जनता तीसरी लहर के खौफ और टीके की कमी के बीच झूल रही है। टीके की कमी से सबसे अधिक परेशानी कोवैक्सीन की दूसरे डोज लेने वाले को हो रही है। उनका दूसरा डोज लेने का समय आ गया है, लेकिन टीका उपलब्ध नहीं हो रहा है। इस समस्या का तत्काल निदान तलाशने की जरूरत है।

एक समय था जब आये दिन देश के किसी न किसी हिस्से से टीके के विरोध की सूचना आती थी। धीरे-धीरे लोगों की मानसिकता बदली। खास कर दूसरी लहर के बाद टीका लेने के लिए बड़ी संख्या में लोग आगे आने लगे। तीसरी लहर आने से पहले लोग चाहते हैं कि उन्हें टीके का दोनों डोज लग जाये। देश के अन्य राज्यों की तरह झारखंड में भी टीका लेने के लिए लंबी लाइन लग रही। खास कर शहरी क्षेत्रों में तो एक तरह से टीका लेने के लिए मारामारी है। घंटों इंतजार के बाद टीका लग रहा। इन सब के बीच कोवैक्सीन का दूसरा डोज लेने वाले परेशान हैं। वे कहां और कब कोवैक्सीन की दूसरी डोज मिलेगी, इसे लेकर टकटकी लगाये रहते हैं। कई-कई दिन इंतजार के बाद टीके की दूसरी डोज उपलब्ध हो पाती है। क्योंकि उत्पादन कमी के कारण केंद्र से लंबे अंतराल और कम संख्या में कोवैक्सीन उपलब्ध कराया जा रहा है।

राज्य को केंद्र सरकार से कोविशील्ड और कोवैक्सीन यही दोनों टीके मिल रहे हैं। दोनों तरह के टीके को मिलाकर अब तक 99 लाख 54 हजार 380 टीके मिले हैं। जिनमें से कोवैक्सीन के केवल 16 लाख 56 हजार 430 डोज मिले हैं। कोविशील्ड का 84 दिन बाद दूसरा डोज दिया जाता है। वहीं कोवैक्सीन का दूसरा डोज 28 दिन बाद लेना है। राज्य में अभी 12 लाख 61 हजार 975 लोगों को दूसरा डोज देना है। जिनमें से लगभग 3.50 लाख कोवैक्सीन लेने वाले हैं।

मौजूदा परिस्थितियों में लोगों के सामने अहम सवाल है कि यदि दूसरा डोज समय पर नहीं लगवा पाये तो क्या होगा? इस बारे में केंद्रीय स्वास्थ्य संगठन और विशेषज्ञों का कहना है कि दूसरा डोज अगर समय पर ना लगवा सकें तो यह चिंता की बात नहीं है। इससे केवल एंटीबॉडी जिस तेजी से बनना चाहिए, उसमें थोड़ी कमी आ सकती है। सुरक्षा खत्म नहीं हो जायेगी। पर इसका यह अर्थ कतई नहीं है कि पहली डोज का असर खत्म हो जायेगा। दो-तीन हफ्ते की देरी से अधिक फर्क नहीं पड़ेगा। कुछ हफ्तों की देरी चलेगी।

कोवैक्सीन को लेकर जो परेशानी हो रही है, उसके लिये सरकार को रणनीति के तहत काम करने की जरूरत है। कोवैक्सीन की आपूर्ति कम है, तो इसे केवल दूसरी डोज लेने वालों के लिए रखना चाहिए। जब दूसरा डोज सभी को लग जाये, तब फिर पहला डोज शुरू करना चाहिए। इसके बाद भी इसका ध्यान रखना पड़ेगा कि भविष्य में कितना कोवैक्सीन मिलेगा, उसी के अनुसार पहला डोज देना चाहिए। जिससे दूसरे डोज में परेशानी न हो। फिलहाल संकट का निदान तो यही है।

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