2021 की जनगणना धर्म और जाति आधारित हो
जनगणना में आदि धर्म सरना का भी कॉलम हो

आजाद सिपाही संवाददाता
रांची। झामुमो महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा है कि केंद्र सरकार की मंशा आरक्षण समाप्त करने की है। ऐसा इसलिए, जिससे सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े लोग देश की मुख्यधारा से अलग हो जायें। वे प्रेसवार्ता में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि राज्यों को ओबीसी की पहचान करने का अधिकार तो दे दिया गया, पर जातीय गनगणना के बिना उसका कोई मतलब नहीं। केंद्र सरकार की ओर से वर्ष 2021 में जो जनगणना करायी जा रही है, उसमें जातिगत जनगणना का कोई स्थान नहीं है। धर्म का तो कॉलम है, लेकिन जाति का स्थान नहीं है। यह भाजपा की मनुवादी सोच है। जब यह मालूम नहीं चलेगा कि किस जाति की कितनी संख्या है तो उनको जो लाभ नौकरी, शिक्षा और सामाजिक कल्याण के लाभ से वंचित किया जायेगा। उन्होंने कहा कि झामुमो केंद्र सरकार से यह मांग करती है कि 2021 की जनगणना धर्म और जाति आधारित दोनों हो और उसमें झारखंड के आदि धर्म सरना का भी कॉलम हो। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने ओबीसी की पहचान बदल दी और जातीय जनगणना से खुद को अलग रखने का निर्णय लिया। इससे लगता है कि भारत सरकार के सभी उपक्रमों जिनका तेजी से विनिवेशीकरण और निजीकरण हो रहा है, उनके लिए ये नीतियां बनायी जा रही हैं। हमने देखा है कि किसानों के लिए तीन काले कानून आये थे। उसके पहले देश में दो तीन व्यवसायिक समूहों की हजारों एकड़ जमीन पर गोदाम बन कर तैयार हो गये थे। केंद्र सरकार जातिगत गनगणना इसलिए नहीं कराना चाहती, ताकि पब्लिक सेक्टर की जो कंपनियां निजी हाथों में जानेवाली हैं, उस पर आरक्षण लागू न हो।

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