Close Menu
Azad SipahiAzad Sipahi
    Facebook X (Twitter) YouTube WhatsApp
    Thursday, May 15
    • Jharkhand Top News
    • Azad Sipahi Digital
    • रांची
    • हाई-टेक्नो
      • विज्ञान
      • गैजेट्स
      • मोबाइल
      • ऑटोमुविट
    • राज्य
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
    • रोचक पोस्ट
    • स्पेशल रिपोर्ट
    • e-Paper
    • Top Story
    • DMCA
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Azad SipahiAzad Sipahi
    • होम
    • झारखंड
      • कोडरमा
      • खलारी
      • खूंटी
      • गढ़वा
      • गिरिडीह
      • गुमला
      • गोड्डा
      • चतरा
      • चाईबासा
      • जमशेदपुर
      • जामताड़ा
      • दुमका
      • देवघर
      • धनबाद
      • पलामू
      • पाकुर
      • बोकारो
      • रांची
      • रामगढ़
      • लातेहार
      • लोहरदगा
      • सरायकेला-खरसावाँ
      • साहिबगंज
      • सिमडेगा
      • हजारीबाग
    • विशेष
    • बिहार
    • उत्तर प्रदेश
    • देश
    • दुनिया
    • राजनीति
    • राज्य
      • मध्य प्रदेश
    • स्पोर्ट्स
      • हॉकी
      • क्रिकेट
      • टेनिस
      • फुटबॉल
      • अन्य खेल
    • YouTube
    • ई-पेपर
    Azad SipahiAzad Sipahi
    Home»लाइफस्टाइल»यहां लगता है बिहार का सबसे बड़ा जन्माष्टमी मेला, चैतन्य महाप्रभु ने कराई थी शुरुआत
    लाइफस्टाइल

    यहां लगता है बिहार का सबसे बड़ा जन्माष्टमी मेला, चैतन्य महाप्रभु ने कराई थी शुरुआत

    azad sipahiBy azad sipahiAugust 17, 2022No Comments3 Mins Read
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram LinkedIn Pinterest Email

    बेगूसराय। श्रीकृष्ण जन्मोत्सव (जन्माष्टमी) नजदीक आते ही चप्पा-चप्पा श्रीकृष्णमय हो गया है। जन्माष्टमी उत्सव को लेकर ठाकुरबाड़ियों में तैयारी जोरों पर है, इस अवसर पर लगने मेला की तैयारी अंतिम चरण में है, पंडालों को आकर्षक तरीके से सजाया जा रहा है। पूजा पंडाल का निर्माण कर लिया गया है, शेष कार्य कार्य युद्धस्तर पर जारी हैं।

    दूर-दूर से आये प्रसिद्ध कलाकारों द्वारा श्रीकृष्ण, राधा सहित अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमा को अंतिम रूप दिया जा रहा है। तोरण द्वार बनाए जा रहे हैं, जिसमें किसी को इंडिया गेट तो किसी गेटवे ऑफ इंडिया, अक्षरधाम और महाकाल मंदिर का स्वरूप दिया जा रहा है। 19 अगस्त की मध्य रात्रि वेला में श्रीकृष्ण के जन्म लेते ही चप्पा-चप्पा ”हरे कृष्णा-हरे कृष्णा” से गूंज उठेगा। इसको लेकर बिहार के बेगूसराय में लगने वाले भारत के दूसरे सबसे बड़े मेले की तैयारी अंतिम चरण में पहुंच गई है। देश के विभिन्न शहर और विदेशों में रहने वाले लोग अपने घर आ चुके हैं।

    सब जानते हैं कि श्रीकृष्ण की जन्मभूमि मथुरा, वृन्दावन में भारत का सबसे बड़ा जन्माष्टमी मेला लगता है। लेकिन, बहुत कम लोगों को पता होगा कि भगवान श्रीकृष्ण के जन्मभूमि मथुरा के बाद भारत का दूसरा सबसे बड़ा श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मेला बेगूसराय जिला के तेघड़ा में लगता है। तेघड़ा एवं उसके आसपास लगने वाला श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मेला बिहार का सबसे बड़ा और भारत का दूसरा सबसे बड़ा श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मेला है। यहां मेला देखने के लिए बिहार ही नहीं, नेपाल, बंगाल, राजस्थान, दिल्ली, यूपी, असम, उड़ीसा, झारखंड के साथ विदेशों में रहने वाले प्रवासी भारतीय भी आते हैं।

    1928 में तेघड़ा में मात्र एक जगह से शुरू मेला आज 14 पंडालों में सज रहा है। अब तो तेघड़ा से चकिया तक करीब 20 किलोमीटर में 50 से अधिक जगहों पर पूजा-अर्चना हो रही है। तेघड़ा का ऐतिहासिक श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मेला ना सिर्फ देश का दूसरा सबसे बड़ा मेला है, बल्कि यह धर्मनिरपेक्षता की अदभूत मिसाल प्रस्तुत करता है। पांच दिवसीय इस मेले में धर्म और जाति का कोई मायने नहीं रह जाता है।

    तेघड़ा इलाके के बुजुर्गों बताते हैं कि 1927 में तेघड़ा और आसपास के इलाकों में प्लेग महामारी के रूप में फैल गई थी। लोगों ने दूसरे जगह जाकर रहना शुरू कर दिया था, महामारी से बचने के लिए तेघड़ा के लोगों ने कई यज्ञ, अनुष्ठान, तंत्र-मंत्र का सहारा लिया, लेकिन कोई प्रभाव नहीं पड़ा। इसी बीच 27-28 फरवरी 1927 को भारत भ्रमण के लिए निकली चैतन्य महाप्रभु की मंडली तेघड़ा पहुंची, तो यहां की दुर्दशा देख चौंक गई। लोगों की स्थिति देख कर मंडली ने श्रीकृष्ण जन्मोत्सव (जन्माष्टमी) मनाने की सलाह दी।

    चैतन्य महाप्रभु की मंडली के सलाह पर 1928 पहली बार वंशी पोद्दार के नेतृत्व में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया गया। इसके बाद तेघड़ा में लोगों को प्लेग से निजात मिला और तब से मेला अनवरत जारी है। समय के साथ मेला का आकार भी बढ़ता चला तथा तेघड़ा मेला में मंडपों की संख्या भी बढ़ती चली गई। तेघड़ा से शुरू होकर यह मेला रेलवे कॉलोनी बरौनी, गढ़हारा, बीहट, चकिया, सुशील नगर, लाखो, वनद्वार, पहसारा होते हुए मंसूरचक तक पहुंच गया है।

    तमाम जगहों पर मेला के आकर्षण का केंद्र आकाशी झूला, मौत का कुआं, जादूगर, ड्रैगन ट्रेन, मीना बाजार आदि सज रहा है। विधि व्यवस्था को लेकर स्थानीय प्रशासन जागरूक है, सभी गतिविधियां हो गई है। कुल मिलाकर कहें तो कोरोना संक्रमण के कारण दो साल की बंदी के बाद इस वर्ष एक बार फिर भारत के दूसरा मथुरा बन चुके तेघड़ा की हर गली कृष्णमय हो गई है।

    Share. Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleचुनाव में मुफ्त की योजनाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों से मांगा सुझाव, सुनवाई 22 अगस्त को
    Next Article उचित मात्रा में पानी का सेवन कर किडनी के रोग से बच सकते हैं:डॉ विकास कुमार
    azad sipahi

      Related Posts

      चीनी सुपर लीग क्लब वुहान थ्री टाउन्स क्लब के कोच पद से हटे रिकार्डो रोड्रिगेज  

      December 12, 2024

      ट्रेन के शौचालय में गूंजी किलकारी

      December 13, 2023

      शारदीय नवरात्रि आज से, घटस्थापना के साथ विराजेंगी मां आदिशक्ति

      October 15, 2023
      Add A Comment

      Comments are closed.

      Recent Posts
      • पाकिस्तान ने घबराकर हमें फोन किया… भारत ने ट्रंप के कश्मीर मध्यस्थता के बयान को किया खारिज
      • भारत-पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता वाले बयान से पलटे ट्रम्प, कहा- मैंने जंग नहीं रुकवाई
      • पाकिस्तान के एटम बमों को अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी अपनी निगरानी में ले : राजनाथ
      • पूर्व रक्षा सचिव अजय कुमार ने यूपीएससी के अध्यक्ष का पदभार संभाला
      • नक्सली मुठभेड़ में घायल जवानों से मिलने एम्स पहुंचे अमित शाह, ट्रॉमा सेंटर में घायलों से मुलाकात कर जाना हालचाल
      Read ePaper

      City Edition

      Follow up on twitter
      Tweets by azad_sipahi
      Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
      © 2025 AzadSipahi. Designed by Microvalley Infotech Pvt Ltd.

      Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

      Go to mobile version