उदयपुर। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने लोकतंत्र को सुदृढ़ बनाने की दिशा में सकारात्मक प्रयास करने की जरूरत बताते हुए कहा है कि जनप्रतिनिधियों को आमजन का रोल मॉडल बनना पड़ेगा। वे इस बात से चिंतित हैं कि सदनों में चर्चा का स्तर गिरा है।

उपराष्ट्रपति मंगलवार को लोकतांत्रिक संस्थाओं की मजबूती तथा जनप्रतिनिधियों की दक्षता वृद्धि की दिशा में सतत प्रयासरत राष्ट्रमण्डल संसदीय संघ भारत (सीपीए) के उदयपुर में चल रहे 9वें दो दिवसीय सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित कर रहे थे। मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि सांसद और विधायकों को कुछ विशेषाधिकार मिलते हैं, जिनका दुरुपयोग नहीं होना चाहिए। उन्होंने लोकतांत्रिक संस्थाओं की मजबूती तथा जनप्रतिनिधियों की दक्षता वृद्धि करते हुए उन्हें जवाबदेह बनाने की दिशा में सीपीए के प्रयासों की सराहना की। धनखड़ ने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष और विधानसभा अध्यक्ष दोनों का ही कार्यकाल सराहनीय रहा है। सीपीए अध्यक्ष से निरंतर संवाद बना रहता है और हम विचारों को साझा करते हैं। हमारे देश में गांव, ब्लॉक, जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर तक लोकतांत्रिक व्यवस्थाएं संविधान द्वारा प्रदत्त हैं, जो विश्व में अनूठा उदाहरण है। उन्होंने कहा कि आज भारत विश्व में निवेश की पसंदीदा जगह है, हम विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं।

समारोह में राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा कि लोकतंत्र के सशक्तीकरण में राष्ट्रमंडल संसदीय संघ की भूमिका महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि सदन में जनप्रतिनिधियों को शब्दों की मर्यादा का ध्यान रखना चाहिए। सदन की गरिमा बनी रहनी चाहिए, क्योंकि गरिमा का अवमूल्यन हो रहा है।

समापन सत्र को संबोधित करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि दो दिवसीय सम्मेलन सफल रहा और सम्मेलन में हुए विचार-विमर्श से विधानमंडलों के समक्ष प्रस्तुत वर्तमान और भावी चुनौतियों के समाधान में बहुत मदद मिलेगी। बिरला ने यह भी कहा कि बदलते परिप्रेक्ष्य में हमें अपनी संस्थाओं के अंदर विज्ञान और प्रौद्योगिकी का प्रभावी ढंग से उपयोग करना चाहिए ताकि हमारी संस्थाएं प्रभावी परिणाम ला सकें। बिरला ने इस बात पर भी जोर दिया कि हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रमुख वैश्विक चुनौतियों का समाधान भारत से निकले। वर्तमान समय में आधुनिक कानूनों की आवश्यकता का उल्लेख करते हुए बिरला ने कहा कि यदि हम अपने देश को विकास और समृद्धि के पथ पर ले जाना चाहते हैं तो हमें वर्तमान समय की प्रासंगिकता और आवश्यकताओं के अनुरूप अप्रचलित कानूनों के स्थान पर नए कानून लाने होंगे। बिरला ने इस बात पर जोर दिया कि डिजिटल माध्यमों से विधानमंडलों को जनता से जोड़कर हम अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही के द्वारा सुशासन सुनिश्चित कर सकते हैं। बिरला ने पीठासीन अधिकारियों से आग्रह किया कि ‘एक राष्ट्र एक विधायी मंच’ को लागू किया जाए और विधायकों का क्षमता निर्माण भी किया जाए, जिससे न केवल विधानमंडलों की प्रभावशीलता और प्रभावकारिता में सुधार होगा बल्कि विधानमंडलों और जनता के बीच की दूरी भी कम होगी।

राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी ने सम्मेलन को सफल बनाने के लिए सभी आगंतुकों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने उपराष्ट्रपति एवं लोकसभा अध्यक्ष का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इनकी उपस्थिति से सम्मेलन की गरिमा बढ़ी है। उन्होंने कहा कि आमजन लोकतांत्रिक संस्थाओं पर विश्वास करता है। डिजिटल युग में नई प्रकार की डेमोक्रेसी की परिकल्पना सामने आई है। आमजन आईटी के माध्यम से अधिकारों के प्रति सजग हुआ है। इसी के साथ जनप्रतिनिधियों को भी और अधिक सजग होना पड़ेगा। विधानसभा में डिस्कशन और निर्णय हों, ऐसी नीतियां बनें, जिससे निरंतर देश को लाभ मिले। डॉ. जोशी ने कहा कि हम सभी का कर्तव्य है कि विधान मंडलों को अधिक प्रभावी बनाएं, कार्यपालिका को जवाबदेह बनाएं।

समापन समारोह में राष्ट्रमंडल संसदीय संघ भारत क्षेत्र की राजस्थान शाखा द्वारा किए गए कार्यों पर आधारित एक लघु फिल्म भी दिखाई गई। अंत में राष्ट्रगान के साथ सम्मेलन का समापन हुआ। सम्मेलन में 23 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पीठासीन अधिकारियों ने भाग लिया। इस अवसर पर संसद सदस्य और राजस्थान विधान सभा के सदस्य भी उपस्थित थे।

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