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देश की कोयला राजधानी में एनडीए और इंडी अलायंस के सामने चुनौतियों का पहाड़

नमस्कार। आजाद सिपाही विशेष में आपका स्वागत है। मैं हूं राकेश सिंह।
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥
गीता के द्वितीय अध्याय, श्लोक 47 में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि कर्म पर ही मनुष्य का अधिकार है, कर्म के फलों पर कभी नहीं… इसलिए कर्म को फल के लिए मत करो। अत: तू कर्मफल का हेतु भी मत बन और तेरी अकर्मण्यता में भी आसक्ति न हो।
कहते हैं कि कलयुग में श्रीकृष्ण का महात्म्य और बढ़ेगा। श्रीकृष्ण सिर्फ कर्म करने की प्रेरणा देते हैं। उनके मुख से निकली गीता में काफी सारे श्लोक जीवन दर्शन का एहसास कराते हैं। सत्ता के लिए द्वापर युग में हुए महाभारत में गीता का ज्ञान जो श्रीकृष्ण के मुख से निकला, वह आज भी उतना ही प्रासंगिक है, जितना तब था।

झारखंड में विधानसभा चुनाव नजदीक है और इसमें कर्म की परीक्षा होगी। सत्तारूढ़ इंडी गठबंधन के कर्म को जहां कसौटी पर कसा जायेगा, वहीं एनडीए गठबंधन को चुनौती और भविष्य के झारखंड के विकास के मापदंड की तुला पर परखा जायेगा। राज्य में विधानसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दलों की गतिविधियां इन दिनों तेज हैं। रांची से लेकर दिल्ली तक जहां मंथन और चिंतन हो रहा है, वहीं टिकट से लेकर प्रत्याशी की जीत-हार और चुनाव परिणाम पर अब चौक-चौराहों, हाट-बाजार, घर-आंगन से लेकर राजनीतिक दलों के कार्यालयों तक चर्चा चल रही है। इन चर्चाओं के बीच देश की कोयला राजधानी धनबाद के छह विधानसभा क्षेत्रों में क्या है जमीनी हकीकत और प्रत्याशियों को लेकर चर्चा तथा क्या राजनीतिक गणित, बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता मनोज मिश्र।

धनबाद संसदीय क्षेत्र अंतर्गत छह विधानसभा सीटें, सिंदरी, निरसा, धनबाद, झरिया, बाघमारा और टुंडी शामिल हैं। इनमें से झरिया और टुंडी को छोड़ कर चार पर भाजपा का कब्जा है। 2019 के विधानसभा चुनाव मेंं सिंदरी से भाजपा के इंद्रजीत महतो, निरसा से अपर्णा सेनगुप्ता, धनबाद से राज सिन्हा और बाघमारा से ढुल्लू महतो ने जीत हासिल की थी। झरिया में कांग्रेस की पूर्णिमा नीरज सिंह विजयी रहीं। वहीं टुंडी में झामुमो के मथुरा प्रसाद महतो विजयी हुए। अभी हाल में हुए लोकसभा चुनाव में इन सभी विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा को बढ़त मिली। पार्टी प्रत्याशी ढुल्लू महतो को सिंदरी में 1.29 लाख, निरसा में 1.40 लाख, धनबाद में 1.51 हजार और झरिया में 97 हजार वोट मिले।
अब यहां विधानसभा चुनाव कर्म की कसौटी पर कसा जायेगा। इन सभी क्षेत्रों के लोगों को राज्य की नयी सरकार से गरीबी और बेरोजगारी जैसी समस्याओं का समाधान, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार और भ्रष्टाचार और सामाजिक-सांस्कृतिक मुद्दों का समाधान होने की उम्मीद है। ऐसे में इन छह विधानसभा क्षेत्रों के मतदाता ऐसे विधायक और सरकार चाहते हैं, जो विकास और समृद्धि के लिए काम करे। ऐसे में इस क्षेत्र में उम्मीदवार कौन होगा, इस सवाल को लेकर जब आम लोगों से बात की गयी और राजनीतिक दलों के भीतर हो रहे मंथन के बाद जो बात सामने आयी, वह चौंकानेवाली है।

धनबाद के सभी छह विधानसभा क्षेत्रों में बदलाव की बयार बह रही है। राजनीतिक दलों के सामने भी बदलाव की ही हालत है।
दरअसल, प्रदेश में राजनीतिक समीकरण में हो रहे बदलाव पर धनबाद की जमीनी सियासत में उलटफेर की प्रबल संभावना बन गयी है। जदयू में विधायक सरयू राय की एंट्री से भी धनबाद की सियासत में असर पड़ेगा। वहीं बाघमारा से विधायक ढुल्लू महतो अब धनबाद सांसद बन गये हैं। ऐसे में बाघमारा से कौन होगा प्रत्याशी, यह भी अहम सवाल है। वहीं मार्क्सवादी समन्वय समिति (मासस) का भाकपा-माले में विलय की खबर है। बताया जा रहा है कि सीट शेयरिंग पर बगोदर से भाकपा माले विधायक बिनोद सिंह इंडी गठबंधन के नेताओं के साथ बातचीत कर रहे हैं। यदि ऐसा होता है, तो सिंदरी और निरसा से भाकपा-माले अपना उम्मीदवार उतार सकता है। अभी के समीकरण में धनबाद, बाघमारा और झरिया सीट कांग्रेस के खाते में है। वहीं टुंडी, निरसा और सिंदरी झामुमो के खाते में है। यदि सिंदरी और निरसा सीट पर भाकपा-माले की दावेदारी होती है, तो एक नया समीकरण देखने को मिल सकता है। इन दोनों सीटों पर भाजपा के विधायक हैं और दोनों ही सीट लाल झंडे का गढ़ है। इन दोनों सीटों पर झामुमो तीसरे स्थान पर रहता आया है। बताया जा रहा है कि इस बार झामुमो इन दोनों सीटों पर अपना उम्मीदवार नहीं उतारेगा और भाकपा-माले को दे सकता है। यदि ऐसा होता है, तो यह भाजपा के लिए खतरे की घंटी होगी। निरसा में भाकपा माले के उम्मीदवार अरूप चटर्जी से भाजपा का मुकाबला होगा और तब भाजपा के लिए बड़ी चुनौती होगी। वहीं सिंदरी में भाजपा का मुकाबला चार बार विधायक रहे मासस के केंद्रीय अध्यक्ष आनंद महतो के बेटे बबलू महतो से हो सकता है। झरिया में एक बार फिर मुकाबला देवरानी और जेठानी के बीच होगा। वहीं टुंडी से आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो के भी मैदान में उतरने की अटकल है, जबकि कहा यह भी जा रहा है कि धनबाद विधानसभा सीट से भाजपा पूर्व सांसद पीएन सिंह को मैदान में उतार सकती है। राजस्थान और मध्यप्रदेश जैसा प्रयोग भाजपा झारखंड में भी आजमायेगी।

इन छह विधानसभा क्षेत्रों में सबसे ज्यादा चर्चा सिंदरी विधानसभा सीट को लेकर है। सिंदरी से भाजपा के वर्तमान विधायक इंद्रजीत महतो पिछले 39 महीने से कोमा में हैं। वह 2021 के अप्रैल में मधुपुर उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में चुनाव प्रचार के लिए गये थे। उसी दौरान कोरोना ने उनको जकड़ लिया। पहले उनका इलाज धनबाद में हुआ। फिर 17 अप्रैल 2021 को एयर एंबुलेंस से हैदराबाद ले जाया गया था। वह वहीं हैं। ऐसे में भाजपा के संभावित प्रत्याशी को लेकर चर्चा का बाजार गर्म है।

सिंदरी से चार नामों पर चर्चा खास
अविभाजित बिहार के समय ‘लालखंड’ नाम से पहचान रखनेवाला सिंदरी विधानसभा क्षेत्र झारखंड बनने के बाद से भगवा रंग में रंगा हुआ है। लोकसभा चुनाव के दौरान भी यहां से भाजपा को करीब 1.29 लाख वोट मिले थे। विधानसभा चुनाव में भाजपा की तरफ से चार नामों में से किसी एक के उतरने की चर्चा है। सभी मंडलों और ग्रामीण भाजपा पदाधिकारियों ने भी इन्हीं चार नामों पर सहमति दी है। झारखंड प्रभारी लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने भी इन्हीं चार नामों पर अपनी सहमति दी है। इनमें सिंदरी के वर्तमान विधायक इंद्रजीत महतो की पत्नी तारा देवी, प्रदेश कार्यसमिति सदस्य धर्मजीत सिंह, ग्रामीण जिलाध्यक्ष घनश्याम ग्रोवर तथा व्यवसायी नंदलाल अग्रवाल शामिल हैं। इनमें से धर्मजीत सिंह ऐसा नाम है, जिन्होंने भाजपा में शामिल होने से पूर्व क्षेत्र में अपनी पहचान बनायी है। भाजपा में शामिल होने के बाद से उन्होंने यहां पार्टी को मजबूत किया।

यहां यह भी बता दें कि धर्मजीत सिंह का नाम साल 2019 के चुनाव में भी चर्चा में रहा, लेकिन भाजपा ने पुराने कार्यकर्ता इंद्रजीत महतो को टिकट देकर कुर्मी महतो वोटरों को साधने की कोशिश की। इंद्रजीत महतो जीत तो गये, लेकिन महतो कुर्मी ने भाजपा पर भरोसा नहीं जताया। बीते लोकसभा चुनाव में भी सिंदरी विधानसभा क्षेत्र के कुर्मी महतो वोटरों ने भाजपा को वोट नहीं दिया। हालांकि क्षेत्र के कुर्मी वोटर, जो वामपंथी मासस के कोर वोटर माने जाते हैं, में सेंधमारी जरूर हुई, लेकिन वह वोट भाजपा को नहीं, अन्य के खाते में गया। ऐसे सीटिंग विधायक इंद्रजीत महतो की पत्नी तारा देवी के नाम की भी चर्चा जोरदार है। भाजपा का एक धड़ा मानता है कि तारा देवी को टिकट देने से सहानुभूति मिलेगी। हालांकि तारा देवी क्षेत्र में पूरी तरह सक्रिय नहीं हैं।

भाजपा प्रत्याशी के रूप में तीसरा नाम ग्रामीण जिलाध्यक्ष घनश्याम ग्रोवर का है। वह बलियापुर क्षेत्र से आते हैं और यहां इनकी पकड़ भी मानी जाती है। घनश्याम ग्रोवर 90 के दशक से भाजपा से जुड़े हुए हैं। बलियापुर में भाजपा को मासस के लाल झंडे के खिलाफ स्थापित करने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। हालांकि, घनश्याम अपने सीमित दायरे से कभी बाहर नहीं आ पाये। सीधे-सरल स्वभाव के कारण भाजपा कार्यकर्ताओं में वह जरूर प्रिय हैं, लेकिन जनता की कसौटी पर खरे नहीं उतरते हैं। चौथा नाम व्यवसायी नेता नंदलाल अग्रवाल का चर्चा में है। वह गोबिंदपुर से आते हैं, लेकिन सिंदरी विधानसभा क्षेत्र की जनता से उनका संबंध ‘36’ का ही रहा है। गिने-चुने लोगों के घेरे में रहना ही इनकी दिनचर्या है।

वामपंथी के बबलू महतो होंगे उम्मीदवार
सिंदरी में मासस के साथ भाजपा का सीधा मुकाबला होता रहा है। इस बार मासस का विलय भाकपा माले में होने की बात कही जा रही है। ऐसा होने अथवा नहीं होने, दोनों ही स्थिति में बबलू महतो मासस के भावी उम्मीदवार के तौर पर घोषित हैं। हालांकि, औपचारिक घोषणा अभी बाकी है। बबलू महतो का जीवन सिंदरी के पूर्व विधायक आनंद महतो के तले बीता है। वामपंथी विचारधारा से पोषित हुए, लेकिन वे पिता की तरह छबि नहीं बना पाये। सिंदरी विधानसभा क्षेत्र के कुर्मी वोटर आनंद महतो को अपना नेता मानते हैं, लेकिन बबलू महतो के पक्ष में खड़े नहीं दिखाई देते। बबलू महतो की कमजोरी रही है कि वे अपने पिता के नाम के अलावा अपनी खुद की पहचान स्थापित नहीं कर पाये। फलस्वरूप, बीते लोकसभा चुनाव के दौरान मासस का कोर महतो कुर्मी वोटर जयराम महतो की पार्टी की तरफ खिसक गया। बबलू महतो का भविष्य आगामी विधानसभा चुनाव पर निर्भर है। मासस के कोर वोटर अगर लोकसभा चुनाव की तरह टूटा, तो बबलू महतो के लिए मुश्किल साबित होगा। सिंदरी विधानसभा में कुर्मी महतो के करीब 65 हजार वोटर हैं। बीते लोकसभा चुनाव में करीब 12 हजार कुर्मी महतो ने जयराम महतो के उम्मीदवार अखलाक को वोट दिया। इधर मुसलमान भी झारखंडी भाषा खतियानी संघर्ष समिति (जेबीकेएसएस) को वोट देने का मन बना रहे हैं। झामुमो ने अपना पत्ता नहीं खोला है। झामुमो के भावी उम्मीदवारों में मन्नू आलम और धरनीधर मंडल का नाम चर्चा में जरूर है।

मुसलमान मांग रहे हैं अपना प्रतिनिधि
सिंदरी विधानसभा क्षेत्र के मुसलमानों का कहना है कि यहां करीब 65 हजार वोटर हैं। धनबाद और बाघमारा में भारी संख्या में मुसलमान रहते हैं। इंडी गठबंधन से मांग की गयी है कि धनबाद के छह विधानसभा क्षेत्रों में एक मुसलमान को टिकट मिलना चाहिए। यदि इंडी गठबंधन इस पर फैसला नहीं लेता है, तो मुसलमान जयराम महतो की पार्टी को समर्थन देंगे। मुसलमानों के नेता और मौलवियों का भी यही कहना है। झामुमो के धनबाद जिला सचिव मन्नू आलम ने भी इस बात का समर्थन किया है।

सिंदरी विधानसभा क्षेत्र का गणित
सिंदरी विधानसभा क्षेत्र में करीब 3.40 लाख मतदाता हैं। इनमें करीब 1.80 लाख पुरुष तथा 1.60 लाख महिला हैं। बीते लोकसभा चुनाव में यहां से भाजपा को 1.29 लाख और कांग्रेस को 87 हजार वोट मिले थे। वहीं 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को 81 हजार, मासस के आनंद महतो को 73 हजार और झामुमो के फूलचंद मंडल को 34 हजार मत मिले थे। यदि आगामी विधानसभा चुनाव में झामुमो अपना उम्मीदवार नहीं उतारता है, तो करीब 15 फीसदी मत इधर-उधर होंगे।

सिंदरी में करीब 65 हजार भाजपा के कोर वोटर हैं, जो ब्राह्मण, भूमिहार, रवानी, राजपूत, मंडल आदि विभिन्न जातियों के है। वहीं करीब 65 हजार महतो कुर्मी वोटर हैं, जो आनंद महतो के साथ वामपंथी को वोट देते आ रहे हैं। वहीं करीब इतने ही मुसलमान वोटर हैं, जो झामुमो के कोर वोटर माने जाते हैं। अनुसूचित जनजाति के मतदाताओं की संख्या करीब 83 हजार है, तो वहीं अनुसूचित जाति की संख्या करीब 10 हजार। यहां ग्रामीण मतदाताओं की संख्या करीब 2.53 लाख है, तो वहीं करीब 65 हजार शहरी मतदाता हैं। आकड़ों के अनुसार सिंदरी विधानसभा में मुस्लिम 19.5 प्रतिशत, महतो 13.9 प्रतिशत, मंडल 5.3 फीसदी, सिंह 4.6, रजवार 2.7, बोरी दो प्रतिशत, मुर्मू दो प्रतिशत, गोराई 1.8 प्रतिशत, गोप 1.6 तथा दास 1.6 प्रतिशत, मांझी-मुसहर 1.6 प्रतिशत, कुम्हार 1.6, रे-1.6, रवानी-1.6, प्रसाद 1.6, पांडे 1.3, सोरेन 1.1, चौधरी 1.1, हेंब्रम 1.1, मरांडी 1.1 प्रतिशत हैं। वहीं टुडू और कुंभकाय 1-1 प्रतिशत तथा शर्मा और रजक 1-1 प्रतिशत हैं। जबकि, किस्कू, रविदास 0.8-0.8 प्रतिशत हैं। वहीं यादव भी 0.8 प्रतिशत हैं। सिंदरी में वर्ष 2005 में भाजपा के राजकिशोर महतो विधायक चुने गये। इसके बाद वर्ष 2009 में झाविमो के फूलचंद मंडल ने कब्जा जमाया। वर्ष 2014 में फूलचंद फिर से यहां के विधायक बने। 2019 में भाजपा के इंद्रजीत महतो ने जीत हासिल की।

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